Raid on Kashmir Times: 10 घंटे तक कश्मीर टाइम्स दफ्तर खंगाला गया, पांच साल पहले भी कार्यालय हुआ था सील
जम्मू में एसआईए ने कश्मीर टाइम्स के कार्यालय पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में 10 घंटे तक तलाशी ली और हथियार, दस्तावेज जब्त किए। अखबार प्रबंधन ने आरोपों को बेबुनियाद बताया और इसे स्वतंत्र पत्रकारिता दबाने की कोशिश करार दिया।
विस्तार
जम्मू-कश्मीर पुलिस की प्रदेश जांच एजेंसी (एसआईए) ने गुरुवार को जम्मू के रेजिडेंसी रोड स्थित मीडिया हाउस कश्मीर टाइम्स (कश्मीर टाइम्स डॉट कॉम) के कार्यालय पर छापा मारा। इस दौरान दफ्तर से एक रिवाॅल्वर, एके सीरीज राइफल के तीन कारतूस व 14 खोखे, पिस्टल के कारतूस और हैंड ग्रेनेड पिन समेत अन्य वस्तुएं मिली हैं।
14 सदस्यीय एसआईए की टीम ने अखबार के मालिक प्रबोध जमवाल के गांधीनगर स्थित घर को भी खंगाला। अखबार पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने और देश के खिलाफ असंतोष फैलाने के आरोपों में एजेंसी ने यह कार्रवाई की है।
एसआईए के प्रवक्ता ने बताया कि वीरवार सुबह करीब छह बजे एसआईए की दो टीमें कश्मीर टाइम्स के दफ्तर पहुंचीं। एजेंसी ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तलाशी ली। बंद पड़े कार्यालय को खोला और जांच शुरू की। एक टीम दोपहर बाद बाहर निकली और जब्त फाइलें लेकर चली गई। इस दौरान एक टीम अंदर जांच करती रही। एजेंसी ने करीब 10 घंटे तक कार्यालय को खंगाला और साक्ष्य जुटाए।
ये हैं आरोप :
कश्मीर टाइम्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी जिसमें संकेत दिया गया था कि यह मीडिया प्लेटफॉर्म कथित रूप से आतंकवादी और अलगाववादी विचारधारा का प्रसार कर रहा है। भड़काऊ, मनगढ़ंत और झूठे आख्यान फैला रहा है। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास कर रहा है। शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने, प्रिंट और डिजिटल सामग्री के माध्यम से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने का भी आरोप लगाया गया था।
प्रबाेध और अनुराधा से पूछताछ की तैयारी में एसआईए
कश्मीर टाइम्स प्रदेश का एक पुराना अंग्रेजी दैनिक रहा है। बहरहाल लंबे समय से इसका प्रकाशन बंद पड़ा है। संस्थापक वेद भसीन के निधन के बाद अखबार का संचालन उनकी बेटी अनुराधा भसीन और दामाद प्रबोध जमवाल देखते थे। दोनों अब विदेश में हैं। रेजिडेंसी रोड स्थित कार्यालय करीब पांच साल से बंद पड़ा है। अब इस मामले में एसआईए अनुराधा और प्रबोध से पूछताछ की तैयारी में है।
पिछले दिनों एलजी मनोज सिन्हा ने जिन 25 पुस्तकों को प्रतिबंधित किया था उसमें अनुराधा की किताब- ए डिसमैंटल्ड स्टेट: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीर ऑफ्टर आर्टिकल 370 भी शामिल थी।
संबंधित वीडियो
प्रबंधन ने कहा-आरोप बेबुनियाद, कार्रवाई स्वतंत्र आवाज को दबाने की नीयत से
कश्मीर टाइम्स प्रबंधन ने जम्मू कार्यालय पर मारे गए छापे की आलोचना की। इसे स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को चुप कराने की संगठित कोशिश बताया। संपादक प्रबोध जमवाल और अनुराधा भसीन ने सोशल मीडिया पर जारी संयुक्त बयान में कहा कि लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उनका उद्देश्य कश्मीर टाइम्स की स्वतंत्र आवाज को दबाना है।
उन्होंने लिखा, सरकारी नीतियों की आलोचना करना देश का विरोध नहीं है। अखबार को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह अब भी स्वतंत्र रिपोर्टिंग कर रहा है।
प्रबंधन ने कहा कि अखबार का प्रिंट संस्करण 2021-22 में दबावों के कारण बंद करना पड़ा लेकिन डिजिटल में काम जारी है।
पांच साल पहले श्रीनगर में भी कार्यालय हुआ था सील
कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर कार्यालय में पांच साल पहले भी कार्रवाई हुई थी। एस्टेट विभाग ने अखबार के कार्यालय को सील कर दिया था।
बताया गया था कि कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने एक आर्टिकल लिखा था जिसके बाद कार्रवाई की गई थी। दैनिक का मुख्यालय जम्मू में है और यह केंद्र शासित प्रदेश के दोनों संभागों से प्रकाशित होता था।
उस समय विभागीय सूत्रों ने कारण बताया था कि उनका काफी बकाया है जिसके चलते कार्रवाई की गई लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं जारी किया गया।
राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की आड़ में छापा मारना हास्यास्पद पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने जम्मू में कश्मीर टाइम्स अखबार कार्यालय पर छापे को लेकर कहा कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की आड़ में छापा मारना हास्यास्पद है। कश्मीर टाइम्स कश्मीर के उन दुर्लभ अखबारों में से एक है जिसने न केवल सत्ता के सामने सच बोला, बल्कि दबाव और धमकी के आगे झुकने से भी इनकार कर दिया।
युवा अध्यक्ष आदित्य गुप्ता ने कार्रवाई को अनुचित बताया। कहा कि संस्थापक वेद भसीन प्रदेश में सबसे साहसी आवाज में से एक रही हैं। उनकी बेटी अनुराधा भसीन ने उसी दृढ़ता के साथ विरासत को आगे बढ़ाया।
दबाव बनाने के लिए कार्रवाई नहीं होनी चाहिए : उपमुख्यमंत्री
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा कि अगर उन्होंने (कश्मीर टाइम्स) कुछ गलत किया है, तो कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ दबाव के लिए ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सिर्फ दबाव बनाने के लिए ऐसा करते हैं, तो गलत होगा। पत्रकारिता को खुला माहौल मिलना चाहिए।
यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। उन्हें मौका दिया जाना चाहिए ताकि वे आवाज मजबूती से रख सकें। अगर आपको छापे मारने हैं, तो सब पर कार्रवाई करें। किसी को चुनकर मत करें। जम्मू के एक और बड़े अखबार की ओर इशारा करते हुए वह भी खबरें छापता है, तो उसे भी देखिए। उसे इतने बड़े विज्ञापन कहां से मिलते हैं? अखबार चलाने के लिए पैसे कहां से आता है? अगर कार्रवाई करनी है तो सभी के खिलाफ होनी चाहिए। वह अखबार भी खुद को सबसे बड़ा मानता है।