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Jammu News: सेब उद्योग के बाजार में संकट और परिवहन में दिक्कत के बीच कोल्ड स्टोरेज में भारी भीड़
सार
श्रीनगर और शोपियां सहित कश्मीर घाटी में इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में अभूतपूर्व भीड़ देखी गई है। सेब उत्पादकों ने अधिक शुल्क और लंबी कतारों की शिकायत की, जबकि मालिकों ने बिचौलियों को जिम्मेदार ठहराया। भंडारण क्षमता कम होने के कारण संकट और बढ़ गया है।
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शोपियां में कोल्ड स्टोरेज के बाहर लगी ट्रकों की कतार। मुजम्मिल याकूब
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विस्तार
उत्पादकों ने ज्यादा दाम वसूलने का आरोप लगाया, मालिकों ने बिचौलियों को जिम्मेदार ठहराया
अमृतपाल सिंह बाली
श्रीनगर/शोपियां। बाहरी बाजारों में कश्मीरी सेब की कम मांग और हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग संकट के कारण सुचारु परिवहन बाधित होने के बीच इस साल घाटी भर की कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में अभूतपूर्व भीड़ देखी जा रही है। अधिकारियों और उद्योग के जानकारों ने बताया कि लगभग 50 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज केवल 10 दिनों में भर गए जबकि आमतौर पर इसमें लगभग एक महीना लगता है। बाकी जगह महीनों पहले ही बुक हो चुकी थी।
परंपरागत रूप से, सेब उत्पादक 20-25 सितंबर के बाद अपनी उपज को कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में भेजना शुरू करते हैं लेकिन इस साल घटती मांग और परिवहन में अनिश्चितता के कारण आधी भंडारण क्षमता उस तारीख से पहले ही भर गई थी। इस असामान्य प्रवृत्ति के कारण ट्रकों और मालवाहकों की लंबी कतारें लग गईं और कुछ उत्पादकों को अपनी उपज उतारने के लिए 24 घंटे से भी ज़्यादा इंतजार करना पड़ा।
शोपियां के एक सेब उत्पादक एजाज अहमद ने कहा कि इस साल इतनी भीड़ अकल्पनीय है। आमतौर पर कोल्ड स्टोरेज पूरी क्षमता तक पहुंचने में हफ्तों लग जाते हैं लेकिन इस बार कुछ ही दिनों में ये लगभग भर गए हैं। भंडारण सुविधाओं के बाहर वाहन फंसे हुए हैं और उन्हें अपनी बारी का इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कुछ उत्पादकों ने अपनी उपज के भंडारण के लिए ज्यादा दाम वसूले जाने की भी शिकायत की।
एक उत्पादक सुहेल नजीर ने आरोप लगाया कि बाहरी बाज़ारों में घटती मांग और कम कीमतों के कारण हम पहले ही भारी नुकसान झेल रहे हैं। ऊपर से हमें कोल्ड स्टोरेज में जगह पाने के लिए अतिरिक्त पैसे देने पड़ रहे हैं। यह सरासर शोषण है। हालांकि कोल्ड स्टोरेज इकाइयों के मालिकों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बुकिंग प्रक्रिया काफी पहले ही पूरी हो चुकी थी और हस्ताक्षरित समझौतों के जरिए दरें तय की गई थीं।
पुलवामा के लस्सीपोरा औद्योगिक क्षेत्र में एक कोल्ड स्टोरेज सुविधा के मालिक जिब्रान अहमद ने कहा कि बुकिंग महीनों पहले ही उचित नियमों और शर्तों के साथ की जाती है और इस बार भी वैसे ही की गई थी। हमने शुल्कों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्या बिचौलियों की भूमिका से उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि होता यह है कि एक व्यक्ति लगभग 5,000 क्रेट बुक करता है और बाद में छोटे उत्पादकों से 200-500 क्रेट ले लेता है। ये लोग हमारे पास उत्पादक के रूप में आते हैं लेकिन वास्तव में वे बाहर एजेंट और दलाल के रूप में काम करते हैं। अगर किसी वास्तविक उत्पादक को कोई शिकायत है तो हम औपचारिक रूप से उसका समाधान करने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि इस बीच बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजमार्गों के बाधित होने और मंडियों में कम खपत के कारण उत्पादक तत्काल नुकसान से बचने के लिए कोल्ड स्टोरेज को ही अपना एकमात्र विकल्प मानते हैं। यही कारण है कि इतने कम समय में सुविधाओं पर बोझ बढ़ गया है।
घाटी में वर्तमान कोल्ड स्टोरेज क्षमता लगभग चार लाख मीट्रिक टन: अधिकारी
श्रीनगर। एक अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि घाटी में वर्तमान कोल्ड स्टोरेज क्षमता लगभग चार लाख मीट्रिक टन (एमटी ) है इसलिए उत्पादक और अधिकारी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भंडारण ढांचे के विस्तार की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में कश्मीर में लगभग 104 कोल्ड स्टोरेज इकाइयां चल रही हैं जिनमें से अधिकांश पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग और श्रीनगर जिले में स्थित हैं। हालांकि इनकी संयुक्त क्षमता घाटी के वार्षिक उत्पादन, जो 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक है, से बहुत कम है।
लस्सीपोरा स्थित एक प्रमुख कोल्ड स्टोरेज चेन के डायरेक्टर शहीद शफी ने कहा, ''हर साल हमें बुकिंग के लिए इतने अनुरोध मिलते हैं कि हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते। इस साल भी काफी पहले से बुकिंग आना शुरू हुई थी। लेकिन इसके लिए एक समाधान यह है कि अधिकतर कोल्ड स्टोरेज इकाइयां पुलवामा और शोपियां में है। अगर घाटी में अन्य ज़िलों में भी इन्हे खोला जाए तो किसी हद तक दबाव कम हो सकता है।''
सरकारी अधिकारी मानते हैं कि कश्मीर की बागवानी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बुनियादी ढांचे के खासकर कोल्ड स्टोरेज में विस्तार की आवश्यकता है। हॉर्टिकल्चर प्लानिंग और मार्केटिंग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''''फसल के बाद के प्रबंधन के लिए कोल्ड स्टोरेज बेहद ज़रूरी है। हम सब्सिडी और आसान ऋण के जरिए निजी कंपनियों और सहकारी समितियों को और ज़्यादा इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।''''
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) और अन्य योजनाओं के तहत सरकार कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढांचे, खासकर नियंत्रित वातावरण (सीए) इकाइयों की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता दे रही है।
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अमृतपाल सिंह बाली
श्रीनगर/शोपियां। बाहरी बाजारों में कश्मीरी सेब की कम मांग और हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग संकट के कारण सुचारु परिवहन बाधित होने के बीच इस साल घाटी भर की कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में अभूतपूर्व भीड़ देखी जा रही है। अधिकारियों और उद्योग के जानकारों ने बताया कि लगभग 50 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज केवल 10 दिनों में भर गए जबकि आमतौर पर इसमें लगभग एक महीना लगता है। बाकी जगह महीनों पहले ही बुक हो चुकी थी।
परंपरागत रूप से, सेब उत्पादक 20-25 सितंबर के बाद अपनी उपज को कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में भेजना शुरू करते हैं लेकिन इस साल घटती मांग और परिवहन में अनिश्चितता के कारण आधी भंडारण क्षमता उस तारीख से पहले ही भर गई थी। इस असामान्य प्रवृत्ति के कारण ट्रकों और मालवाहकों की लंबी कतारें लग गईं और कुछ उत्पादकों को अपनी उपज उतारने के लिए 24 घंटे से भी ज़्यादा इंतजार करना पड़ा।
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शोपियां के एक सेब उत्पादक एजाज अहमद ने कहा कि इस साल इतनी भीड़ अकल्पनीय है। आमतौर पर कोल्ड स्टोरेज पूरी क्षमता तक पहुंचने में हफ्तों लग जाते हैं लेकिन इस बार कुछ ही दिनों में ये लगभग भर गए हैं। भंडारण सुविधाओं के बाहर वाहन फंसे हुए हैं और उन्हें अपनी बारी का इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कुछ उत्पादकों ने अपनी उपज के भंडारण के लिए ज्यादा दाम वसूले जाने की भी शिकायत की।
एक उत्पादक सुहेल नजीर ने आरोप लगाया कि बाहरी बाज़ारों में घटती मांग और कम कीमतों के कारण हम पहले ही भारी नुकसान झेल रहे हैं। ऊपर से हमें कोल्ड स्टोरेज में जगह पाने के लिए अतिरिक्त पैसे देने पड़ रहे हैं। यह सरासर शोषण है। हालांकि कोल्ड स्टोरेज इकाइयों के मालिकों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बुकिंग प्रक्रिया काफी पहले ही पूरी हो चुकी थी और हस्ताक्षरित समझौतों के जरिए दरें तय की गई थीं।
पुलवामा के लस्सीपोरा औद्योगिक क्षेत्र में एक कोल्ड स्टोरेज सुविधा के मालिक जिब्रान अहमद ने कहा कि बुकिंग महीनों पहले ही उचित नियमों और शर्तों के साथ की जाती है और इस बार भी वैसे ही की गई थी। हमने शुल्कों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्या बिचौलियों की भूमिका से उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि होता यह है कि एक व्यक्ति लगभग 5,000 क्रेट बुक करता है और बाद में छोटे उत्पादकों से 200-500 क्रेट ले लेता है। ये लोग हमारे पास उत्पादक के रूप में आते हैं लेकिन वास्तव में वे बाहर एजेंट और दलाल के रूप में काम करते हैं। अगर किसी वास्तविक उत्पादक को कोई शिकायत है तो हम औपचारिक रूप से उसका समाधान करने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि इस बीच बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजमार्गों के बाधित होने और मंडियों में कम खपत के कारण उत्पादक तत्काल नुकसान से बचने के लिए कोल्ड स्टोरेज को ही अपना एकमात्र विकल्प मानते हैं। यही कारण है कि इतने कम समय में सुविधाओं पर बोझ बढ़ गया है।
घाटी में वर्तमान कोल्ड स्टोरेज क्षमता लगभग चार लाख मीट्रिक टन: अधिकारी
श्रीनगर। एक अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि घाटी में वर्तमान कोल्ड स्टोरेज क्षमता लगभग चार लाख मीट्रिक टन (एमटी ) है इसलिए उत्पादक और अधिकारी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भंडारण ढांचे के विस्तार की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में कश्मीर में लगभग 104 कोल्ड स्टोरेज इकाइयां चल रही हैं जिनमें से अधिकांश पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग और श्रीनगर जिले में स्थित हैं। हालांकि इनकी संयुक्त क्षमता घाटी के वार्षिक उत्पादन, जो 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक है, से बहुत कम है।
लस्सीपोरा स्थित एक प्रमुख कोल्ड स्टोरेज चेन के डायरेक्टर शहीद शफी ने कहा, ''हर साल हमें बुकिंग के लिए इतने अनुरोध मिलते हैं कि हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते। इस साल भी काफी पहले से बुकिंग आना शुरू हुई थी। लेकिन इसके लिए एक समाधान यह है कि अधिकतर कोल्ड स्टोरेज इकाइयां पुलवामा और शोपियां में है। अगर घाटी में अन्य ज़िलों में भी इन्हे खोला जाए तो किसी हद तक दबाव कम हो सकता है।''
सरकारी अधिकारी मानते हैं कि कश्मीर की बागवानी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बुनियादी ढांचे के खासकर कोल्ड स्टोरेज में विस्तार की आवश्यकता है। हॉर्टिकल्चर प्लानिंग और मार्केटिंग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''''फसल के बाद के प्रबंधन के लिए कोल्ड स्टोरेज बेहद ज़रूरी है। हम सब्सिडी और आसान ऋण के जरिए निजी कंपनियों और सहकारी समितियों को और ज़्यादा इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।''''
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) और अन्य योजनाओं के तहत सरकार कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढांचे, खासकर नियंत्रित वातावरण (सीए) इकाइयों की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता दे रही है।