आतंकियों की रणनीति बदली: दिल्ली धमाके की जिम्मेदारी लेने से बच रहे आतंकी संगठन, घाटी में जैश और टीआरएफ सक्रिय
घाटी में आतंकियों ने दिल्ली में हुए धमाके की जिम्मेदारी लेने से परहेज किया, संभवतः सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसी भारतीय सेना की कार्रवाईयों के डर से। जम्मू-कश्मीर में सक्रिय प्रमुख आतंकी संगठन जैश और टीआरएफ ही अधिकांश हमलों की जिम्मेदारी लेते रहे हैं, जबकि 24 से ज्यादा पाक समर्थित संगठनों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाया हुआ है।
विस्तार
पूर्व में हुए कई आतंकी हमलों से इतर दिल्ली में हुए धमाके का श्रेय अभी लेने से आतंकी संगठन बच रहे हैं। इसे देखकर लगता है कि आतंकियों ने इसमें भी अपनी रणनीति बदली है। पहले वह जिम्मेदारी लेते हुए चर्चा में रहते थे। अपने संगठन की पहुंच, दहशत और दबदबा दर्शाते थे। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे संगठनों पर सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर चलाकर की गई कार्रवाई से आतंकियों ने सबक लिया है। भारतीय सेना की खौफनाक कार्रवाई के डर से दिल्ली में हुए विस्फोट की जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं।
इस बाबत परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव कहते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बुरी तरह पिटे पाकिस्तान का हाल देखकर आतंकी संगठन इस हमले मेंं अपना नाम लेने से परहेज कर रहे हैं। वह जानते हैं कि जिस किसी भी संगठन का नाम सामने आएगा भारतीय सेना उसे छोड़ेगी नहीं।
कैप्टन योगेंद्र सिंह कहते हैं कि सेना उन्हें पाताल तक से खोज निकालेगी और ऐसी सजा देगी जिसे उनके आका कभी नहीं भूलेंगे। जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था। जांच एजेंसियां जल्द ही संबंधित आतंकी संगठनों को बेनकाब कर देंगी।
हमलों की सर्वाधिक जिम्मेदारी जैश और टीआरएफ लेता है
जम्मू-कश्मीर में 24 से ज्यादा सक्रिय आतंकी संगठनों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगा रखा है। इनमें से अधिकतर पाकिस्तान समर्थित हैं। आईएसआई का इन्हें खुला समर्थन है। इन प्रतिबंधित संगठनों में प्रमुख रूप से लश्कर-ए-तैयबा/ पसबन-ए-अहले हदीस, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत उल मुजाहिदीन, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जम्मू एंड कश्मीर इस्मालिक फ्रंट और द रेजिस्टेन्स फ्रंट (टीआरएफ) है।
कश्मीर मेंं हुए हमलोंं की सर्वाधिक जिम्मेदारी जैश ने ली है। 2019 में गठित टीआरएफ ने पहली बार फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2023 में टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया था लेेकिन वह अभी भी घाटी और सीमा पर सक्रिय है।
- मार्च 2000 को अनंतनाग के छत्तीसिंहपोरा में सिख समुदाय के 36 लोगों की गोली मारकर हत्या।
- अगस्त 2000 में पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पर हमला कर स्थानीय लोगों के साथ ही 32 अमरनाथ तीर्थयात्रियों की हत्या।
- जुलाई 2001 में अमरनाथ यात्रियों पर शेषनाग बेस कैंप के पास हमला कर 13 लोगों की हत्या की।
- 2001 में ही श्रीनगर में सचिवालय परिसर में पर आत्मघाती आतंकी हमले में 36 लोगों की जान गई।
- 2002 में चंदनबाड़ी बेस कैंप पर आतंकी हमले में 11 अमरनाथ तीर्थ यात्री मारे गए।
- 23 नवंबर 2002 को जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर आईडी विस्फोट में 9 सुरक्षाकर्मी, तीन महिलाएं और दो बच्चों समेत 19 लोगों की मौत।
- 23 मार्च 2003 को आतंकियों ने पुलवामा के नंदीमार्ग में 11 महिलाओं और 2 बच्चों समेत 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या की।
- 13 जून 2005 को पुलवामा में सरकारी स्कूल के सामने बाजार में विस्फोटक से भरी कार में विस्फोट से 2 स्कूली बच्चों समेत 13 लोग मारे गए थे।
- 12 जून 2006 को आतंकियों ने कुलगाम में हमला कर 9 नेपाली नागरिक और बिहारी मजदूरोंं की हत्या की।
- 10 जुलाई 2017 को कुलगाम में अमरनाथ यात्रा पर जा रही बस पर हमला कर 8 लोगों को मार डाला।
- 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की बस पर आत्मघाती हमले में 40 जवान बलिदान।
- 9 जून 2024 को शिवखोड़ी में श्रद्धालुओं की बस पर हमला, नौ लोगों की मौत।
- 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी।