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Jammu News: फाइलों में आदेश बंद, छुट्टियों में धड़ल्ले से रहा अवैध निर्माण
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- नगर परिषद के काम रुकवाने के आदेश कागजों तक ही ही सीमित
सांबा। शहर में अवैध निर्माण पर नगर परिषद की कार्रवाई मजाक बनकर रह गई है। काम रुकवाने के आदेश केवल फाइलों तक सीमित हैं। हकीकत यह है कि रविवार और सरकारी छुट्टियों में खुलेआम अवैध निर्माण पूरा कराया जा रहा है। नियमों को ठेंगा दिखाते हुए निर्माणकर्ताओं ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का नया खेल शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार जैसे ही नगर परिषद की ओर से निर्माण कार्य रुकवाने की चेतावनी दी जाती है वैसे ही छुट्टी के दिनों को चुना जाता है। इन दिनों न तो निरीक्षण होता है और न ही कोई अधिकारी मौके पर नजर आता है। इसी का फायदा उठाकर ईंट, सीमेंट और सरिया आदि सामग्री पहुंचाई जाती है और मजदूरों से दिन-रात काम करवाकर लेंटर डलवा दिया जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई इलाकों में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। नोटिस थमाने के बाद अधिकारी गायब हो जाते हैं और पीछे से अवैध निर्माण तेजी से खड़ा कर दिया जाता है। जब तक प्रशासन दोबारा हरकत में आता है तब तक इमारत लगभग तैयार हो चुकी होती है। सांबा के गैस एजेंसी मोहल्ला में बन रही तीन दुकानों का काम नगर परिषद की ओर से रुकवाने के बाद भी अवैध तरीके से पूरा कर दिया गया। नगर परिषद के अधिकारियों की कहीं कोई भूमिका नजर नहीं आई।
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लोगों का आरोप - अनजान बने बैठे हैं अधिकारी
नगर परिषद क्षेत्र में बिना नक्शा स्वीकृत कराए न सिर्फ आवासीय बल्कि व्यावसायिक इमारतें भी खड़ीं की जा रही हैं। इससे राजस्व को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी या तो अनजान बने हुए हैं या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं। लोगों का आरोप है कि छुट्टियों में अवैध निर्माण होना सामान्य बात बन चुकी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे अंदरूनी मिलीभगत है? अगर नहीं, तो फिर छुट्टी के दिन ही नियम क्यों टूटते हैं और कार्रवाई क्यों ठप पड़ जाती है?
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छुट्टी के दिन निर्माण कार्य की कोई जानकारी नहीं है। अगर जांच में यह सामने आता है कि छुट्टियों का फायदा उठाकर अवैध निर्माण किया गया है तो संबंधित निर्माण को हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
- अरुण सैनी, खिलाफवर्जी प्रभारी, नगर परिषद
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सांबा। शहर में अवैध निर्माण पर नगर परिषद की कार्रवाई मजाक बनकर रह गई है। काम रुकवाने के आदेश केवल फाइलों तक सीमित हैं। हकीकत यह है कि रविवार और सरकारी छुट्टियों में खुलेआम अवैध निर्माण पूरा कराया जा रहा है। नियमों को ठेंगा दिखाते हुए निर्माणकर्ताओं ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का नया खेल शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार जैसे ही नगर परिषद की ओर से निर्माण कार्य रुकवाने की चेतावनी दी जाती है वैसे ही छुट्टी के दिनों को चुना जाता है। इन दिनों न तो निरीक्षण होता है और न ही कोई अधिकारी मौके पर नजर आता है। इसी का फायदा उठाकर ईंट, सीमेंट और सरिया आदि सामग्री पहुंचाई जाती है और मजदूरों से दिन-रात काम करवाकर लेंटर डलवा दिया जाता है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि कई इलाकों में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। नोटिस थमाने के बाद अधिकारी गायब हो जाते हैं और पीछे से अवैध निर्माण तेजी से खड़ा कर दिया जाता है। जब तक प्रशासन दोबारा हरकत में आता है तब तक इमारत लगभग तैयार हो चुकी होती है। सांबा के गैस एजेंसी मोहल्ला में बन रही तीन दुकानों का काम नगर परिषद की ओर से रुकवाने के बाद भी अवैध तरीके से पूरा कर दिया गया। नगर परिषद के अधिकारियों की कहीं कोई भूमिका नजर नहीं आई।
लोगों का आरोप - अनजान बने बैठे हैं अधिकारी
नगर परिषद क्षेत्र में बिना नक्शा स्वीकृत कराए न सिर्फ आवासीय बल्कि व्यावसायिक इमारतें भी खड़ीं की जा रही हैं। इससे राजस्व को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी या तो अनजान बने हुए हैं या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं। लोगों का आरोप है कि छुट्टियों में अवैध निर्माण होना सामान्य बात बन चुकी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे अंदरूनी मिलीभगत है? अगर नहीं, तो फिर छुट्टी के दिन ही नियम क्यों टूटते हैं और कार्रवाई क्यों ठप पड़ जाती है?
छुट्टी के दिन निर्माण कार्य की कोई जानकारी नहीं है। अगर जांच में यह सामने आता है कि छुट्टियों का फायदा उठाकर अवैध निर्माण किया गया है तो संबंधित निर्माण को हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
- अरुण सैनी, खिलाफवर्जी प्रभारी, नगर परिषद