सूर्या हांसदा की मौत का मामला: भाजपा ने CBI जांच की मांग को लेकर किया राज्यव्यापी प्रदर्शन, लगाया ये आरोप
Jharkhand: सूर्या हांसदा की विवादित एनकाउंटर मौत पर चंपाई सोरेन ने कहा कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने आदिवासी बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने संसाधनों से उनके लिए छात्रावास भी बनाया। उन्हें उन आपराधिक मामलों में फंसाया गया।

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झारखंड भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को सूर्या हंसदा की कथित एनकाउंटर मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों और 264 ब्लॉकों में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने रांची के नागरी क्षेत्र में आदिवासी किसानों से जबरन अधिग्रहित जमीन को वापस करने की भी मांग की, जो राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) के विस्तार के लिए ली गई थी।

राजधानी रांची में आयोजित ‘अक्रोश मार्च’ का नेतृत्व भाजपा के राज्य अध्यक्ष और विपक्षी नेता बाबूलाल मरांडी ने किया। यह मार्च जिला स्कूल ग्राउंड से शुरू होकर जिला कलेक्टरेट में समाप्त हुआ, जहां एक सार्वजनिक बैठक भी आयोजित की गई। मरांडी ने कहा कि यह प्रदर्शन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर आयोजित किया गया।
बता दें कि सूर्या हंसदा, जो कई विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार रह चुके थे और जिन पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे, उनको 10 अगस्त को देवघर के नवाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, उन्हें रहडबाड़िया पहाड़ियों में छिपाए गए हथियारों की बरामदगी के लिए ले जाया जा रहा था। रास्ते में हंसदा ने कथित रूप से पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने और उन पर फायर करने की कोशिश की। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे उनकी मौत हो गई।
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मरांडी ने कहा कि सूर्या हंसदा एक सामाजिक और राजनीतिक नेता थे और माफियाओं के खिलाफ मुखर थे। उनकी हत्या एक सुनियोजित साजिश के तहत की गई। RIMS-II परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण पर मरांडी ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि आदिवासी किसानों को उनकी जमीन वापस लौटाई जाए। घाटसिला उपविभाग में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने भी आदिवासी भूमि पर बाहरी लोगों के कब्जे और सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की।
धलबुमगढ़ ब्लॉक कार्यालय में आयोजित अक्रोश प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सोरेन ने कहा कि बांग्लादेशी सहित बाहरी लोग आदिवासी जमीन को कम कीमत में हड़प रहे हैं, लेकिन महागठबंधन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। सोरेन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों और महिलाओं को प्रभावित करने वाले गंभीर मुद्दों की अनदेखी कर रही है। महिलाओं को सड़क पर उतरकर शराब की दुकानों को बंद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। वहीं सरकार युवाओं को शराब की ओर धकेल रही है, वह भी अनुसूचित क्षेत्रों में।
भाजपा नेताओं का यह भी दावा है कि राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है, जबकि आदिवासी आबादी लगातार घट रही है। सोरेन ने सवाल किया कि क्या सरकार झारखंड के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को राज्य में बसाना चाहती है? वहीं, RIMS-II परियोजना के लिए नागरी में जमीन अधिग्रहण पर उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना उचित परामर्श के जमीन के चारों ओर तारबंदी कर दी है। गांववालों ने मुख्यमंत्री से मिलने की कई कोशिशें कीं, लेकिन पिछले चार महीने में उन्होंने समय नहीं दिया। इसलिए हमें आंदोलन करना पड़ा। आदिवासी अपनी कृषि भूमि पर RIMS-II के निर्माण का कड़ा विरोध करेंगे,” सोरेन ने कहा।