World Suicide Prevention Day 2020: अवसाद से आनंद तक, भरोसा रखें कि इस दुनिया में आपकी बहुत जरूरत है

एक बार एक सज्जन एक डॉक्टर के पास शिकायत करने के लिए आए कि उन्हें कोई गंभीर रोग है। उसे सब जगह दर्द हो रहा था और वह बहुत दुखी थे, लेकिन सभी परीक्षण सामान्य निकले। डॉक्टर ने कहा, “तुम्हें कोई समस्या नहीं है। सर्कस में जाओ और वहां जोकर का कारनामा देखो। वह तुम्हें हंसाएगा। ” सज्जन ने कहा, "डॉक्टर, मैं ही वह जोकर हूं।"

दूसरों का मनोरंजन करना और विनोदी होना एक बात है, लेकिन खुद को प्रसन्न रखना बिल्कुल पृथक बात है। खुशी आपके द्वारा विकसित की गई प्रतिभा या कौशल से नहीं आती है। जब तक आप यह अनुभव नहीं करते कि आप कौन हैं, आत्मनिरीक्षण के द्वारा चेतना की प्रकृति को नहीं जानते, तब तक खुशी वास्तविकता नहीं दूर की कौड़ी है।
सच्चे अर्थों में आत्मनिरीक्षण की भावना जो ध्यान की ओर ले जाती है, खुशी की इस खोज में नितांत आवश्यक है। 6 वीं शताब्दी के भारतीय दार्शनिक और विचारक आदि शंकराचार्य ने कहा है कि नश्वर के प्रति वैराग्य और शाश्वत के साथ संबंध ही है, जो सच्चा आनंद देता है।
वास्तव में, वह आगे बढ़ते हैं और पूछते हैं, "वैराग्य कौन सा सुख नहीं लाता है?" संस्कृत में अकेलेपन के लिए 'एकांत' शब्द है, जिसका अर्थ है 'अकेलेपन का अंत'। अकेलापन मित्र बदलने से खत्म नहीं हो सकता, भले ही वह अधिक सहानुभूति और समझ से भरा हो। यह केवल तभी समाप्त हो सकता है जब आप अपने लिए अपने वास्तविक स्वरूप की खोज करेंगे।
केवल आध्यात्मिक सांत्वना आपको निराशा और दुख से बाहर निकाल सकती है। बाहरी आडंबर और दिखावा, धन, प्रशंसा और चापलूसी आंतरिक असंतोष से निपटने में मददगार नहीं हैं। जीवित रहते हुए, उन्होंने लोगों को हंसाया और अपनी मृत्यु में लोगों को सामान्य सांसारिकता से ऊपर उठकर उच्चतर की ओर जाने का संदेश दिया।
आप पूरी तरह से अलग आयाम के साथ जुड़कर दुख को अलविदा कह सकते हैं, मैं कहूंगा कि यह गहन मौन है, आनंद का एक विस्फोट और अनंत काल की झलक है, जो आप में है। आपको बस इसे अनुभव करना है।
एक ऐसी मशीन का बहुत कम उपयोग होता है जिसे आप मैनुअल के बिना संचालित नहीं कर सकते। आध्यात्मिक ज्ञान जीवन के लिए मैनुअल की तरह है। जिस प्रकार बस या कार चलाने के लिए हमें यह सीखना होगा कि स्टीयरिंग व्हील, क्लच, ब्रेक इत्यादि को कैसे चलाना है, मन की स्थिरता की ओर बढ़ने के लिए, हमें अपनी जीवनी शक्ति और ऊर्जा के बारे में बुनियादी सिद्धांतों को जानना होगा।
जीवन खुशी और गम का एक संयोग है...

यह प्राणायाम का पूरा विज्ञान है। जब हमारी प्राणऊर्जा या जीवनी शक्ति में उतार-चढ़ाव होता रहता है, तो हमारा मन भी भावनाओं के रोलर कोस्टर के माध्यम से ऊपर-नीचे होता है।
मन को मन के स्तर से नहीं संभाला जा सकता। इसी कारण से, हालांकि परामर्श या मनोचिकित्सा शुरुआत में मदद करती हैं, लेकिन यह लंबी अवधि में पूर्ण इलाज प्रदान करने में सक्षम नहीं है। अपने मन में बलपूर्वक सकारात्मक चिंतन मात्र ही पर्याप्त नहीं है और कई बार यह पुनः अवसाद का कारण बन जाता है।
अवसाद विरोधी दवाएं भी शुरुआत में ही मदद करती प्रतीत होती हैं और अंततः व्यक्ति इस प्रवृत्ति से मुक्त होने के बजाए उन पर निर्भर हो जाता है।
ऐसे में सांस का रहस्य जानना वास्तव में जीवन को बदल सकता है। सुदर्शन क्रिया जैसी श्वास तकनीक हमारी जीवनी शक्ति को स्थिर करती है और फलस्वरूप मन को भी। ध्यान के अभ्यास द्वारा अनावरण किया गया आंतरिक आयाम हमें गहराई में समृद्ध करता है और इसका प्रभाव जीवन के सभी पहलुओं पर धीरे-धीरे फैलता है।
जैसे-जैसे प्राण शरीर में बढ़ता जाता है, व्यक्ति को प्रत्यक्ष अनुभव के रूप में परिवर्तन महसूस होने लगता है न कि एक प्रयत्न पूर्वक किए गए मानसिक व्यायाम के रूप में। व्यक्ति अधिक प्रसन्न, रचनात्मक और अपने मन और भावनाओं पर अपना अधिक नियंत्रण अनुभव करता है।
एक और चीज जो वास्तव में अवसाद से बाहर आने में मददगार हो सकती है, वह सेवा का दृष्टिकोण विकसित करना है। यह सोचना कि 'मैं समाज के लिए क्या कर सकता हूं', एक बड़े उद्देश्य में शामिल होने से जीवन का पूरा ध्येय परिवर्तित हो जाता है और व्यक्ति ‘मेरा क्या होगा’ की धुन से बाहर आ जाता है।
ऐसे समाज जहां सेवा, त्याग और सामुदायिक भागीदारी के मूल्य गहराई से जुड़े होते हैं, उनमें अवसाद और आत्महत्या जैसे मुद्दे नहीं होते हैं। सिख समुदाय इसका एक बड़ा उदाहरण है।
जीवन खुशी और गम का एक संयोग है। दर्द अपरिहार्य है लेकिन पीड़ित होना वैकल्पिक है। जीवन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण रखने से आपको दुखद काल में आगे बढ़ने की ताकत मिलती है। भरोसा रखें कि इस दुनिया में आपकी बहुत जरूरत है।
अपनी सभी असीम संभावनाओं के साथ, यह जीवन एक उपहार है, क्योंकि यह न केवल अपने लिए बल्कि कई अन्य लोगों के लिए भी प्रसन्नता और आनंद का एक फव्वारा बन सकता है।
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