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MP News: भू-अर्जन मुआवजा न चुकाने पर कलेक्टर कार्यालय की भूमि कुर्की की कगार पर, न्यायालय ने जारी किया नोटिस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बड़वानी Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 28 Aug 2025 08:15 PM IST
सार

इंदिरा सागर परियोजना से प्रभावित किसानों को मुआवजा न मिलने पर बड़वानी प्रशासन संकट में है। सुप्रीम कोर्ट तक आदेश बरकरार रहने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ। अदालत ने कलेक्टर कार्यालय सहित भूमि कुर्क कर नीलामी की चेतावनी दी है। कलेक्टर की गैरहाजिरी से स्थिति गंभीर बनी, प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठे।

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MP News: Collector's office land on verge of attachment due to non-payment of land acquisition compensation
बड़वानी कलेक्टर ऑफिस - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इंदिरा सागर परियोजना से प्रभावित किसानों को भू-अर्जन मुआवजा न मिलने पर अब बड़वानी का प्रशासनिक तंत्र संकट में है। न्यायालय ने कलेक्टर कार्यालय की भूमि कुर्क कर नीलामी की चेतावनी दी है।
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बड़वानी जिले में इंदिरा सागर परियोजना से प्रभावित किसानों को वर्षों से भू-अर्जन मुआवजा नहीं मिल पाया है। जिला न्यायालय द्वारा 2020 में किसानों के पक्ष में आदेश पारित किया गया था, जिसे उच्च न्यायालय ने 2023 में और फिर सर्वोच्च न्यायालय ने 2023, 2024 और 2025 में बरकरार रखा। इसके बावजूद राज्य सरकार ने राशि का भुगतान नहीं किया।
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लगातार आदेशों की अनदेखी
किसानों के अधिवक्ता उमेश पाटीदार ने बताया कि सरकार की यह लापरवाही न्यायालय की अवमानना है। सर्वोच्च न्यायालय तक में हारने के बावजूद भुगतान में देरी की जा रही है। इस कारण शासन को अनावश्यक रूप से 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुर्की की प्रक्रिया पहले चल संपत्ति तक सीमित थी, लेकिन अब न्यायालय ने अचल संपत्ति की कुर्की की निर्णायक कार्यवाही प्रारंभ करने का आदेश दिया है।

कारण बताओ नोटिस और गंभीर कानूनी संकट
प्रथम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रहीस खान साहब की अदालत ने कलेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ग्राम सेगांव की भूमि सर्वे क्रमांक 113/1, जो शासन के नाम दर्ज है, को क्यों न कुर्क किया जाए। इसी भूमि पर कलेक्टर कार्यालय, पंजीयक कार्यालय, रोजगार कार्यालय और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तर स्थित हैं।

कलेक्टर की गैरहाजिरी और बढ़ता खतरा
नोटिस में 23 अगस्त 2025 को प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उस दिन न तो कलेक्टर और न ही उनका कोई प्रतिनिधि अदालत में उपस्थित हुआ। यदि भूमि को कुर्क कर नीलाम कर दिया गया, तो पूरे जिले का सरकारी कामकाज ठप हो सकता है।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
अधिवक्ता उमेश पाटीदार ने कहा कि किसानों ने न्यायालय में जिले के आर्थिक लेनदेन के सभी खातों पर रोक लगाने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है। यह मामला केवल किसानों के अधिकारों का प्रश्न नहीं है, बल्कि पूरे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी बड़ा संकट है।
 
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