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Bhopal: डॉ. अरुणा कुमार की जड़े मजबूत, प्रदेश भर के चिकित्सकों के विरोध के बाद भी नियुक्ति बरकरार, विरोध जारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Thu, 08 May 2025 07:53 PM IST
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सार

डॉ. अरुणा कुमार को डीएमई बनाए जाने का विरोध करीब एक हफ्ते से चल रहा है। इसके बाद भी सरकार इस पर कोई एक्शन लेती नजर नहीं आ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉ. अरुणा कुमार की जड़े कितनी मजबूत है।

Bhopal: Dr. Aruna Kumar's roots are strong, appointment remains intact despite protests from doctors across th
डॉ. अरुणा कुमार डीएमई - फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डॉ. अरुणा कुमार को डीएमई बनाए जाने का विरोध करीब एक हफ्ते से चल रहा है। इसके बाद भी सरकार इस पर कोई एक्शन लेती नजर नहीं आ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉ. अरुणा कुमार की जड़े कितनी मजबूत है। हालांकि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज समेत सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर और प्रोफेसर अभी भी काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं।
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अब केवल सांकेतिक प्रदर्शन
चिकित्सकों का कहना है कि देश मे युद्ध जैसे माहौल होने की वजह से किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है, केवल सांकेतिक विरोध दर्ज कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष  डॉ. कुलदीप गुप्ता ने बताया कि हमारा विरोध अभी समाप्त नहीं हुआ है क्योंकि देश में कुछ स्थिति ऐसी बनी है इसलिए हम लोगों ने प्रदर्शन पूरी तरह से बंद कर दिया है। केवल सांकेतिक विरोध काली पट्टी बांधकर कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हमारे लिए देश सर्वोपरि है ऐसे डॉ अरुणा कुमार आएंगे जाएंगे।
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शुरू से रहा विवादों से नाता
 दरअसल डॉ. अरुणा कुमार के लिए यह पहला मौका नहीं है जब उनका विरोध हो रहा है। उनको जब भी बड़ी जिम्मेदारी मिली उनका विवादों से नाता बना रहा। 2018 में वह पहली बार जीएमसी की डीन बनीं, लेकिन साल 2019 में छात्रों के विरोध के चलते उन्हें पद से हटाया गया। तत्कालीन कलेक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट में उन्हें छात्रों के प्रति असंवेदनशील बताया था। 2020 में दोबारा डीन बनीं लेकिन मेडिकल टीचर्स और स्टाफ से टकराव के चलते उन्हें फिर हटाना पड़ा। साल 2023 में बाला सरस्वती आत्महत्या मामले के बाद उन्हें विभागाध्यक्ष पद से हटाकर डीएमई में स्थानांतरित किया गया। जनवरी 2024 में जब उन्हें स्त्री रोग विभाग में वापस भेजने का आदेश जारी हुआ, तो जूडा ने काम बंद कर हड़ताल कर दी। मामला बढ़ता देख उपमुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा और आदेश निरस्त हुआ। मई साल 2025 यानी अब जब उन्हें प्रदेश की मेडिकल शिक्षा प्रणाली की सबसे ऊंची जिम्मेदारी डीएमई पद सौंप दी गई है तो एक बार फिर जूडा से लेकर एमटीए विरोध में आ गया है।

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दो साल के अंदर हुई वापसी
डॉ. अरुणा कुमार अपनी पहुंच के दम पर महज दो साल के भीतर विभाग के बड़े पद पर काविज हो गई हैं। दरसल 31 जुलाई 2023 को गांधी मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की थर्ड ईयर पीजी स्टूडेंट बाला सरस्वती ने आत्महत्या कर ली थी। उन्होने ने एनेस्थीसिया इंजेक्शन का ओवरडोज लेकर जान दी थी। घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट में उसने लिखा था, मेरी थीसिस कभी पूरी नहीं होगी, भले ही मैं अपनी आत्मा, खून, सबकुछ दे दूं। इस घटना के बाद। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने इस आत्महत्या के लिए डॉ. अरुणा कुमार को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया और उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हड़ताल पर चले गए थे। विरोध के बाद प्रशासन ने डॉ. अरुणा कुमार को जीएमसी से हटाकर डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) में स्थानांतरित कर दिया था, जहां से वे अब तक कार्यरत थीं। अब उसी डायरेक्टोरेट में उन्हें डायरेक्टर पद पर पदोन्नत किया गया है, जिससे एक बार फिर विरोध हो रहा है।

 
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