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MP LS Election: ग्वालियर-चंबल की सीटों पर बागी बिगाड़ेंगे खेल, मुरैना-भिंड-ग्वालियर पर त्रिकोणीय मुकाबला
अमर उजाला, न्यूज डेस्क, ग्वालियर
Published by: दिनेश शर्मा
Updated Sun, 28 Apr 2024 01:15 PM IST
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सार
ग्वालियर चंबल अंचल की चार सीटों में से तीन सीटें ऐसी हैं जिन पर बागियों के मैदान में आने से त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। इनमें भिंड, मुरैना, ग्वालियर सीटों पर पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
मप्र लोकसभा चुनाव।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश में दो चरण का मतदान हो चुका है। अब 7 मई को तीसरे चरण का मतदान होना है। तीसरे चरण में ग्वालियर-चंबल में मतदान होना है। इस बार लोकसभा चुनाव में चंबल और भिंड की सीटों पर बागियों ने भाजपा और कांग्रेस का चुनावी गणित बिगाड़ दिया है। ग्वालियर चंबल अंचल की चार सीटों में से तीन सीटें ऐसी हैं जिन पर बागियों के मैदान में आने से त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। इनमें भिंड, मुरैना, ग्वालियर सीटों पर पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं तो वही हाल विंध्य-सतना और सीधी लोकसभा सीट पर भी देखने को मिल रहा है।
ग्वालियर-चंबल अंचल के चुनावी दंगल में पिछले एक हफ्ते में समीकरण तेजी से बदल गया है। कांग्रेस पार्टी में जो कार्यकर्ता अपने लिए टिकट मांग रहे थे, उन्होंने पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में ताल ठोक दी है। चंबल की मुरैना लोकसभा सीट पर रमेश गर्ग को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह पार्टी छोड़कर बसपा में चले गए और अब बसपा की टिकट पर उम्मीदवार है। वहीं भिंड लोकसभा सीट पर भी टिकट न मिले के कारण कांग्रेस का साथ छोड़कर देवाशीष जरारिया बसपा से टिकट लाकर ताल ठोक रहे हैं। इसके साथ ही ग्वालियर लोकसभा सीट से कांग्रेस से जुड़े एक प्रॉपर्टी कारोबारी कल्याण सिंह गुर्जर अचानक बसपा की टिकट पर मैदान में कूद गए हैं और चंबल की इन तीनों सीटों पर जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। इसके अलावा सतना लोकसभा सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक नारायण सिंह त्रिपाठी बसपा की टिकट पर मैदान में हैं और सीधी सीट पर पूर्व भाजपा सांसद अजय प्रताप सिंह पार्टी छोड़कर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जो ठाकुर और आदिवासी वर्ग के वोटों में सेंध लगाकर कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही समीकरण को प्रभावित कर रहे हैं।
इन लोकसभा सीटों पर कितने असरकारक हैं बागी
भिंड-दतिया लोकसभा : 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के देवाशीष जरिया को टिकट नहीं मिला तो वे बसपा से चुनाव मैदान में कूद गए। अनुसूचित जाति के मतदाताओं के वोट तीन भागों में बट जाने से चुनाव में सवर्ण वोटर किंग मेकर की भूमिका में है।
मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट : भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर की समर्थक पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को उतारा है। कांग्रेस ने सुमावली से भाजपा के पूर्व विधायक रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय समाज से आते हैं। कांग्रेस की टिकट की दौड़ में शामिल रहे रमेश गर्ग ने बगावती रुख अपनाते हुए बसपा की टिकट पर ताल ठोक दी है। वे कांग्रेस के शहरी वोटर के साथ ही भाजपा के परंपरागत विकास वर्ग के मतों में सेंध लगा सकते हैं।
ग्वालियर लोकसभा सीट : कांग्रेस का टिकट मांग रहे कल्याण सिंह कंसाना बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाजपा के भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस के प्रवीण पाठक से है। सूत्रों के मुताबिक बसपा से गुर्जर को टिकट दिलाने के पीछे भाजपा की रणनीति है ताकि कांग्रेस को एक मुश्त मिलने वाली गुर्जर वोटो में सेंध लगाई जा सके।
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट: गुना लोकसभा है जहां भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के बीच मुकाबला है। यहां बहुजन समाज पार्टी की ओर से धनीराम चौधरी को टिकट दिया गया है। इन सभी सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वहीं बागी उम्मीदवार खड़े होने के बाद भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर वोटों के नुकसान का आरोप लगा रहे हैं।
कांग्रेस का दावा- हमें कोई नुकसान नहीं
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में भाजपा और कांग्रेस के बाद किसी अन्य पार्टी का वर्चस्व नहीं है और जितने भी बागी खड़े हुए हैं वह कांग्रेस को कोई नुकसान करने वाला नहीं है। ये सभी भारतीय जनता पार्टी को नुकसान करेंगे और एक तरह से उन्हीं के खिलाफ यह सभी बाकी चुनाव लड़ रहे हैं। ग्वालियर चंबल में जो बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं, वे पहले से ही हारे हुए हैं और जनता के बीच उनका कोई जनाधार नहीं है।
भाजपा का दावा- कांग्रेस में भगदड़, बागी भी उनके
भाजपा के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि कांग्रेस में ही एक तरह से भगदड़ का माहौल है और उन्हीं में से बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं और बाकी नेताओं से भाजपा को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि भाजपा का वोटर सिर्फ विकास को आधार मानकर वोट देता है। भाजपा से जो लोग टूट कर किसी अन्य दल में जाते हैं उसे पार्टी और जनता नकार देती है उनसे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
दोनों दलों का समीकरण तो गड़बड़ाएगा
बसपा के उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं किसी सीट पर बसपा के खाते में बड़ा वोट डाइवर्ट हो गया तो नुकसान कहीं कांग्रेस को तो कहीं बीजेपी को उठाना पड़ेगा, लेकिन एक बात तय है कि इन सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बगावती नेताओं ने दोनों पार्टियों का गणित बिगाड़ दिया है। यह जीतने में भले कामयाब ना हों, लेकिन जातिगत वोटो को गोलबंदी कर हार जीत के मार्जिन को घटा और बढ़ा सकते हैं।
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इन लोकसभा सीटों पर कितने असरकारक हैं बागी
भिंड-दतिया लोकसभा : 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के देवाशीष जरिया को टिकट नहीं मिला तो वे बसपा से चुनाव मैदान में कूद गए। अनुसूचित जाति के मतदाताओं के वोट तीन भागों में बट जाने से चुनाव में सवर्ण वोटर किंग मेकर की भूमिका में है।
मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट : भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर की समर्थक पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को उतारा है। कांग्रेस ने सुमावली से भाजपा के पूर्व विधायक रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय समाज से आते हैं। कांग्रेस की टिकट की दौड़ में शामिल रहे रमेश गर्ग ने बगावती रुख अपनाते हुए बसपा की टिकट पर ताल ठोक दी है। वे कांग्रेस के शहरी वोटर के साथ ही भाजपा के परंपरागत विकास वर्ग के मतों में सेंध लगा सकते हैं।
ग्वालियर लोकसभा सीट : कांग्रेस का टिकट मांग रहे कल्याण सिंह कंसाना बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाजपा के भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस के प्रवीण पाठक से है। सूत्रों के मुताबिक बसपा से गुर्जर को टिकट दिलाने के पीछे भाजपा की रणनीति है ताकि कांग्रेस को एक मुश्त मिलने वाली गुर्जर वोटो में सेंध लगाई जा सके।
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट: गुना लोकसभा है जहां भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के बीच मुकाबला है। यहां बहुजन समाज पार्टी की ओर से धनीराम चौधरी को टिकट दिया गया है। इन सभी सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वहीं बागी उम्मीदवार खड़े होने के बाद भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर वोटों के नुकसान का आरोप लगा रहे हैं।
कांग्रेस का दावा- हमें कोई नुकसान नहीं
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में भाजपा और कांग्रेस के बाद किसी अन्य पार्टी का वर्चस्व नहीं है और जितने भी बागी खड़े हुए हैं वह कांग्रेस को कोई नुकसान करने वाला नहीं है। ये सभी भारतीय जनता पार्टी को नुकसान करेंगे और एक तरह से उन्हीं के खिलाफ यह सभी बाकी चुनाव लड़ रहे हैं। ग्वालियर चंबल में जो बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं, वे पहले से ही हारे हुए हैं और जनता के बीच उनका कोई जनाधार नहीं है।
भाजपा का दावा- कांग्रेस में भगदड़, बागी भी उनके
भाजपा के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि कांग्रेस में ही एक तरह से भगदड़ का माहौल है और उन्हीं में से बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं और बाकी नेताओं से भाजपा को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि भाजपा का वोटर सिर्फ विकास को आधार मानकर वोट देता है। भाजपा से जो लोग टूट कर किसी अन्य दल में जाते हैं उसे पार्टी और जनता नकार देती है उनसे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
दोनों दलों का समीकरण तो गड़बड़ाएगा
बसपा के उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं किसी सीट पर बसपा के खाते में बड़ा वोट डाइवर्ट हो गया तो नुकसान कहीं कांग्रेस को तो कहीं बीजेपी को उठाना पड़ेगा, लेकिन एक बात तय है कि इन सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बगावती नेताओं ने दोनों पार्टियों का गणित बिगाड़ दिया है। यह जीतने में भले कामयाब ना हों, लेकिन जातिगत वोटो को गोलबंदी कर हार जीत के मार्जिन को घटा और बढ़ा सकते हैं।

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