सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Jabalpur News ›   MP High Court Allegations of rape after four years of consensual relationship are unfair HC dismisses case

MP High Court: आपसी सहमति से चार साल तक चले संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित, HC ने खारिज किया मामला

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Sat, 19 Oct 2024 10:45 PM IST
सार

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, आपसी सहमति से चार साल तक चले संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित होंगे। यूपीएससी में चयनित अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्रकरण को हाईकोर्ट खारिज कर दिया।

विज्ञापन
MP High Court Allegations of rape after four years of consensual relationship are unfair HC dismisses case
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि आपसी सहमति से चार साल तक चले प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित हैं। अनावेदिका आर्थिक रूप से सक्षम थी, इसके बावजूद भी लंबे समय तक एफआईआर दर्ज करवाने में अतिशत विलंब को तार्किक नहीं माना जा सकता। एकलपीठ ने आदेश के साथ यूपीएससी उत्तीर्ण अधिकारी को राहत प्रदान करते हुए उसके खिलाफ दर्ज प्रकरण को खारिज कर दिया है।

Trending Videos


नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत ने याचिका दायर कर उसके विरुद्ध दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। इस दौरान दोनों के बीच कई बार स्वेच्छा से यौन संबंध भी स्थापित हुए। याचिकाकर्ता का दूसरी युवती से विवाह तय हो गया तो उसने एफआईआर दर्ज करा दी। याचिकाकर्ता ने सिविल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण किए जाने के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश दस्तावेज में बताया गया था कि उसने साल 2019 में सिविल सर्विस परीक्षा उत्तीर्ण की है। वर्तमान में वह प्रोविजन नियुक्ति पर है। उसका तबादला जम्मू-कश्मीर से मध्यप्रदेश हुआ है और आईपीएस के रूप में नियुक्ति हुई है। प्रकरण के कारण उसका भविष्य खतरे में है।
विज्ञापन
विज्ञापन

 
पीड़िता ने कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने न केवल शादी का झांसा देकर लंबे समय तक संबंध बनाए। बल्कि उसे ब्लैकमेल करते हुए लाखों रुपये भी ठगे। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज को फर्जी बताते हुए कहा गया कि पिछले दो वर्षाें की सूची में वीर सिंह राजपूत नाम का कोई अधिकारी चयनित नहीं हुआ है। न्यायालय की सहानुभूति पाने याचिकाकर्ता की तरफ से ऐसा किया गया है। एकलपीठ ने सरकार को 15 दिनों में दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए थे।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शासकीय अधिवकता द्वारा बताया गया कि केंद्र सरकार के अवर सचिव के रिपोर्ट के अनुसार दस्तावेज कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, कार्मिक प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। दस्तावेज यानी मेडिकल और फिजिकल टेस्ट, नियुक्ति पत्र आगामी फाउंडेशन कोर्स के लिए अधिसूचना है और डीओपीटी द्वारा जारी किया गया है। याचिकाकर्ता यूपीएससी परीक्षा में आकांक्षी है और उसने परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली है। इसके मद्देनजर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

अनावेदिका का आरोप है कि याचिकाकर्ता ने प्रथम बार सितंबर 2020 में यौन संबंध स्थापित किए थे। याचिकाकर्ता ने शादी का आश्वासन दिया तो उसे उसने माफ कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने उसके साथ 20 से 30 बार यौन संबंध स्थािपत किया। इस दौरान उसने वीडियो व फोटो बना लिए थे और रुपये की मांग करते हुए उसे ब्लैकमेल करता था। याचिकाकर्ता के खिलाफ उसने अगस्त 2023 में एफआईआर दर्ज करवाई है। याचिकाकर्ता 31 साल की महिला है और आर्थिक रूप से सक्षम है। आपसी सहमति से चार साल तक चले प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित है। एकलपीठ ने दायर एफआईआर को खारिज करने के आदेश जारी किए हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed