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MP News: जब दूल्हा देखता रह गया! उज्जैन में दुल्हन घोड़ी पर चढ़कर निकली बारात, बनी चर्चा का केंद्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Tue, 25 Nov 2025 09:58 PM IST
सार

उज्जैन में मंगलवार को एक अनोखी और आकर्षक बारात निकली, जिसने पूरे शहर का ध्यान खींच लिया। इंदौर निवासी अपूर्वा ओझा अपने राजस्थानी श्रीमाली ब्राह्मण समाज की परंपरा के तहत घोड़ी पर सवार होकर दूल्हे हर्ष दवे के परिवार को शादी का निमंत्रण देने निकलीं।

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ujjain bride rides horse in baraat apurva ojha traditional ritual unique marriage procession
घोड़ी पर सजी अपूर्वा ने जीता सबका दिल! - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आज के दौर में जहां शादियां हाईटेक अंदाज और भव्य तैयारियों के साथ होती हैं, वहीं उज्जैन में मंगलवार को एक ऐसी अनोखी बारात निकली जिसने पूरे शहर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। इस बारात में वीआईपी कारें, घोड़ी और बग्घी तो शामिल थीं ही, लेकिन सबसे हैरान करने वाला नजारा यह था कि घोड़ी पर दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन सवार थी।
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आमतौर पर दूल्हा ही घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर मंडप तक पहुंचता है, लेकिन आज दृश्य बिल्कुल अलग था। इंदौर निवासी विष्णुकांत ओझा की बेटी अपूर्वा घोड़ी पर सवार होकर दूल्हे हर्ष दवे के परिवार को शादी का निमंत्रण देने पहुंची। विवाह आज इंदौर रोड स्थित एक होटल में होना है।  यह अनोखी परंपरा राजस्थानी श्रीमाली ब्राह्मण समाज की बंदौली रस्म का हिस्सा है, जिसे समाज के वरिष्ठों ने वर्षों पहले स्त्री–पुरुष भेदभाव मिटाने और पर्दा प्रथा समाप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया था। कुछ परिवार आज भी इस रस्म का पालन गर्व के साथ करते हैं।
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समाज में सांस्कृतिक और पारंपरिक रीतियां आज भी सम्मान के साथ निभाई जाती हैं। इसी कड़ी में दुल्हन अपूर्वा ने घोड़ी पर बैठकर बारात का नेतृत्व किया, जिससे यह अनूठा नजारा किसी सांस्कृतिक उत्सव जैसा प्रतीत हुआ।

घोड़ी पर बैठी दुल्हन को देख थम गई राहगीरों की नजरें

दुल्हन के जोड़े में सजी अपूर्वा जब चश्मा लगाकर घोड़ी पर सवार हुईं, तो पूरा माहौल रोमांच से भर उठा। करीब डेढ़ घंटे तक वे संगीत, नाच–गाने और जुलूस के साथ चलती रहीं। राहगीर उनकी तस्वीरें और वीडियो बनाते रहे। कई लोग तो उत्सुकता से जुलूस के साथ-साथ चलते रहे। इस अनोखी और प्रेरणादायक बंदौली ने फिर साबित किया कि परंपराएँ सिर्फ निभाई नहीं जातीं, उन्हें नए रूप में जिया भी जा सकता है।
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