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MP News: रोती-बिलखती पत्नी, बाहर पड़ा शव; उज्जैन में अस्पताल का अमानवीय व्यवहार उजागर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,उज्जैन
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Sun, 23 Nov 2025 05:35 PM IST
सार
उज्जैन के पामेचा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक युवक की मौत के बाद शव अस्पताल में रखने से इनकार कर दिए जाने पर शनिवार रात भारी हंगामा हो गया।
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उज्जैन की इस घटना ने दिया झकझोर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इंदौर रोड स्थित विद्यानगर के पामेचा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शनिवार देर रात मरीज का शव अस्पताल से बाहर रखने को लेकर जमकर हंगामा खड़ा हो गया। ठंडी रात में मरीज की पत्नी दो छोटे बच्चों के साथ एंबुलेंस में बैठकर ग्वालियर से आने वाले परिजनों का इंतजार करती रही। इसी दौरान क्षेत्रीय पार्षद गब्बर कुवाल भी मौके पर पहुंचे और अस्पताल प्रबंधन के रवैये को अमानवीय करार दिया। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने अपने बचाव में दावा किया कि उन्होंने परिजनों को हरसंभव सहयोग दिया।
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मौके पर मौजूद लोग
- फोटो : अमर उजाला
जानकारी के अनुसार, आगर निवासी युवक को हार्ट अटैक के बाद नवजीवन अस्पताल ले जाया गया था, जहां स्थिति गंभीर होने पर उसे उज्जैन रेफर कर दिया गया। शनिवार शाम करीब 5 बजे उसकी पत्नी उसे पामेचा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल लेकर पहुंची, जहां आईसीयू में उपचार शुरू किया गया। लेकिन शाम 6.15 बजे मरीज की मौत हो गई। महिला ने अनुरोध किया कि उसके नजदीकी रिश्तेदार ग्वालियर से आ रहे हैं, इसलिए शव रात तक अस्पताल में रखा जाए, लेकिन प्रबंधन ने शव रखने से इनकार कर दिया और उसे एंबुलेंस में रखवा दिया।
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पार्षद गब्बर कुवाल
- फोटो : अमर उजाला
पार्षद गब्बर कुवाल ने बताया कि महिला बार-बार विनती करती रही, रोती-बिलखती रही, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसकी एक न सुनी। जब उन्हें घटना की जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचे और डॉक्टर पामेचा को फोन कर शव सुबह तक रखने का अनुरोध किया, लेकिन उनकी बात भी नहीं मानी गई। पार्षद ने इसे उज्जैन शहर के लिए बेहद शर्मनाक घटना बताते हुए संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की।
अस्पताल के बाहर लोग
- फोटो : अमर उजाला
वहीं अस्पताल प्रबंधन ने अपने पक्ष में कहा कि मरीज को आगर से वेंटिलेटर पर रेफर किया गया था और उसे बचाने की पूरी कोशिश की गई। अस्पताल में शव रखने की सुविधा नहीं है और आईसीयू में शव रखने से अन्य मरीज मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए परिजनों से शव ले जाने का अनुरोध किया गया। प्रबंधन का दावा है कि मरीज की मृत्यु 6.15 बजे हुई थी, लेकिन रात 10 बजे तक शव आईसीयू में ही रखा गया। अस्पताल का कहना है कि महिला अकेली नहीं थी, बल्कि उसके साथ 10–15 लोग मौजूद थे और पूरी टीम ने सहयोग किया।