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पड़ताल: राम मंदिर आंदोलन के समय भाजपा शासित राज्यों के मौजूदा मुख्यमंत्री क्या करते थे, कहां थे?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 15 Dec 2021 04:49 PM IST
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भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अयोध्या पहुंचे हैं।
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विस्तार
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने दावा किया है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन को पहुंचे सभी मुख्यमंत्रियों ने राम आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है। राय का दावा है कि इन मुख्यमंत्रियों ने आंदोलन के वक्त अपने-अपने राज्यों में श्रीराम मंदिर के लिए महत्वपूर्ण काम किया है। इसलिए आज सभी का अयोध्या में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है।'अमर उजाला' ने चंपत राय के इस दावे की पड़ताल की। पता लगाया कि आखिर अयोध्या पहुंचे भाजपा शासित राज्यों के मौजूदा मुख्यमंत्री राम आंदोलन के वक्त कहां थे और क्या करते थे? पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
11 राज्यों के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री अयोध्या पहुंचेंगे।
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1. योगी आदित्यनाथ: राम मंदिर आंदोलन के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहे थे। उस दौर में छात्र राजनीति में सक्रिय थे और एबीवीपी से जुड़े थे। 1993 में गोरखपुर आए। 1994 में संन्यास लिया। 1996 में गोरखपुर से सांसद चुने गए थे।
2. शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 1988 से 1991 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्यप्रदेश के अध्यक्ष रहे। 1990 में पहली बार विधायक बने। 1991 में लोकसभा चुनाव जीते। सांसद बनने के बाद 23 नवंबर, 1991 को विधायकी छोड़ दी।
3. हेमन्त बिस्व सरमा: असम के मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्व सरमा ने 1990 में राजनीति शास्त्र से स्नातक और 1992 में परास्नातक किया। आंदोलन के वक्त वह छात्र राजनीति में सक्रीय थे। तब उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ था और पढ़ाई खत्म होते ही उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली।
4. प्रमोद सावंत: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राम मंदिर आंदोलन के दौरान स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। 1996 में बीएएमएस करने के बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने लगे। आरएसएस से जुड़े रहे हैं। 2008 में पहली बार चुनाव जीता।
5. बिप्लव देव: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव राम मंदिर आंदोलन के वक्त स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। बचपन से ही बाल स्वयंसेवक के तौर पर आरएसएस से जुड़े रहे हैं। 1999 में त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से स्नातक किया।
6. एन बिरेन सिंह: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीएसएफ में नौकरी कर रहे थे। 1992 में वह बीएसएफ छोड़कर पत्रकारिता के पेशे में आ गए। 2001 तक पत्रकारिता करने के बाद राजनीति में कदम रखा। पहले स्थानीय पार्टी डीआरपीपी से विधायक बने। 2003 में कांग्रेस से जुड़े। 2016 में भाजपा में आए।
7. मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय थे। 1977 से 1994 तक वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक सदस्य रहे। 1994 में भाजपा की सदस्यता ली।
8. भूपेंद्र पटेल: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल राम मंदिर आंदोलन के वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे। 1995 में संघ से निकलकर वह सक्रिय राजनीति में आए।
9. पेमा खांडू: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू राम मंदिर आंदोलन के समय कक्षा सातवीं में थे। 1995 में उन्होंने दसवीं पास की। पिता दोरजी खांडू कांग्रेस के बड़े नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे। पेमा खांडू ने भी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की।
10. बसवराज बोम्मई: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई राम मंदिर आंदोलन के समय राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। उनके पिता एसआर बोम्मई जनता पार्टी के कर्टनाटक अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री थे। बसवराज ने जनता पार्टी और जनता दल से राजनीति शुरू की। 2008 में भाजपा में आए।
11. जयराम ठाकुर: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राम मंदिर आंदोलन के दौर में एबीवीपी से छात्र राजनीति में सक्रिय थे। 1989 से 1993 तक एबीवीपी के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी रहे। 1993 में भाजयुमो के सचिव बने।
12. पुष्कर सिंह धामी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आंदोलन के वक्त स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। 1990 में एबीवीपी से जुड़े।
2. शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 1988 से 1991 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्यप्रदेश के अध्यक्ष रहे। 1990 में पहली बार विधायक बने। 1991 में लोकसभा चुनाव जीते। सांसद बनने के बाद 23 नवंबर, 1991 को विधायकी छोड़ दी।
3. हेमन्त बिस्व सरमा: असम के मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्व सरमा ने 1990 में राजनीति शास्त्र से स्नातक और 1992 में परास्नातक किया। आंदोलन के वक्त वह छात्र राजनीति में सक्रीय थे। तब उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ था और पढ़ाई खत्म होते ही उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली।
4. प्रमोद सावंत: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राम मंदिर आंदोलन के दौरान स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। 1996 में बीएएमएस करने के बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने लगे। आरएसएस से जुड़े रहे हैं। 2008 में पहली बार चुनाव जीता।
5. बिप्लव देव: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव राम मंदिर आंदोलन के वक्त स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। बचपन से ही बाल स्वयंसेवक के तौर पर आरएसएस से जुड़े रहे हैं। 1999 में त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से स्नातक किया।
6. एन बिरेन सिंह: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीएसएफ में नौकरी कर रहे थे। 1992 में वह बीएसएफ छोड़कर पत्रकारिता के पेशे में आ गए। 2001 तक पत्रकारिता करने के बाद राजनीति में कदम रखा। पहले स्थानीय पार्टी डीआरपीपी से विधायक बने। 2003 में कांग्रेस से जुड़े। 2016 में भाजपा में आए।
7. मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय थे। 1977 से 1994 तक वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक सदस्य रहे। 1994 में भाजपा की सदस्यता ली।
8. भूपेंद्र पटेल: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल राम मंदिर आंदोलन के वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे। 1995 में संघ से निकलकर वह सक्रिय राजनीति में आए।
9. पेमा खांडू: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू राम मंदिर आंदोलन के समय कक्षा सातवीं में थे। 1995 में उन्होंने दसवीं पास की। पिता दोरजी खांडू कांग्रेस के बड़े नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे। पेमा खांडू ने भी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की।
10. बसवराज बोम्मई: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई राम मंदिर आंदोलन के समय राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। उनके पिता एसआर बोम्मई जनता पार्टी के कर्टनाटक अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री थे। बसवराज ने जनता पार्टी और जनता दल से राजनीति शुरू की। 2008 में भाजपा में आए।
11. जयराम ठाकुर: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राम मंदिर आंदोलन के दौर में एबीवीपी से छात्र राजनीति में सक्रिय थे। 1989 से 1993 तक एबीवीपी के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी रहे। 1993 में भाजयुमो के सचिव बने।
12. पुष्कर सिंह धामी: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आंदोलन के वक्त स्कूली पढ़ाई कर रहे थे। 1990 में एबीवीपी से जुड़े।