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अमर उजाला के 'नजरिया' कार्यक्रम में आएं और सोनम वांगचुक से मिलने का मौका पाएं, कराएं रजिस्ट्रेशन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Tue, 17 Sep 2019 09:05 AM IST
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नजरिया कार्यक्रम
- फोटो : अमर उजाला
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अमर उजाला फाउंडेशन की पहल ‘नजरिया जो जीवन बदल दे’ का आयोजन आज चंडीगढ़ में होने जा रहा है, तो जल्दी से रजिस्ट्रेशन कराकर अपनी सीट पक्की करें। आयोजन पीजीआई के भार्गव आडिटोरियम में होगा। कार्यक्रम का समय दोपहर बाद 3.30 से 5.30 बजे है। कार्यक्रम में ट्राइसिटी के हर क्षेत्र के जाने माने गण्यमान्य भी शिरकत करेंगे। वहीं कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मौजूद रहेंगे।
यहां क्लिक करके रजिस्ट्रशन कराएं
https://foundation.amarujala.com/nazaria-registration
साथ ही जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी एक पहचान कायम कर चुकीं चार मशहूर हस्तियां। एक हैं सोनम वांगचुक हैं, जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। चर्चित फिल्म थ्री इडियट में आमिर खान ने जिस शख्स का किरदार निभाया था, असल जिंदगी में वो सोनम वांगचुक हैं। इनके अतिरिक्त बॉलीवुड प्रोड्यूसर संजय राउतरे, बंगलूरू की लेक की सूरत बदलने वाले आनंद मलिगावद व पूर्व आईएएस विवेक अत्रे भी वक्ताओं में शामिल हैं।
ऐसे करें अपनी सीट पक्की
अमर उजाला फाउंडेशन के कार्यक्त्रस्म ऽनजरिया जो जीवन बदल देऽ में हिस्सा लेना चाहते हैं और अभी तक अपनी सीट बुक नहीं करा पाए हैं तो परेशान नहीं हों। आप खबर में दिए क्यूआर कोड को स्कैन करके रजिस्ट्रेशन की प्रक्त्रिस्या कर सकते हैं। इसके अलावा आप https://foundation.amarujala.com/ पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। जल्द कीजिए, सीटें सीमित हैं। सीट, पहले आएं, पहले पाएं के आधार पर बुक हो रही हैं।
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साथ ही जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी एक पहचान कायम कर चुकीं चार मशहूर हस्तियां। एक हैं सोनम वांगचुक हैं, जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। चर्चित फिल्म थ्री इडियट में आमिर खान ने जिस शख्स का किरदार निभाया था, असल जिंदगी में वो सोनम वांगचुक हैं। इनके अतिरिक्त बॉलीवुड प्रोड्यूसर संजय राउतरे, बंगलूरू की लेक की सूरत बदलने वाले आनंद मलिगावद व पूर्व आईएएस विवेक अत्रे भी वक्ताओं में शामिल हैं।
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ऐसे करें अपनी सीट पक्की
अमर उजाला फाउंडेशन के कार्यक्त्रस्म ऽनजरिया जो जीवन बदल देऽ में हिस्सा लेना चाहते हैं और अभी तक अपनी सीट बुक नहीं करा पाए हैं तो परेशान नहीं हों। आप खबर में दिए क्यूआर कोड को स्कैन करके रजिस्ट्रेशन की प्रक्त्रिस्या कर सकते हैं। इसके अलावा आप https://foundation.amarujala.com/ पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। जल्द कीजिए, सीटें सीमित हैं। सीट, पहले आएं, पहले पाएं के आधार पर बुक हो रही हैं।
फिल्म निर्माता संजय राउतरे से मिलने का मौका
नेशनल अवार्ड विजेता मूवी 'अंधाधुन' के निर्माता संजय राउतरे भी अपने जीवन के अनुभव साझा करेंगे। संजय राउतरे बॉलीवुड की निर्मम भूलभुलैया में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के आजमाये गुर बताएंगे। संघर्षों की तपिश में इंसान को जो बातें बिना थके या निराश हुए आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती हैं, परेशानियों के भंवर से बाहर निकलने का हुनर देती हैं, उन कारगर और परखे हुए सफलता मंत्रों को रोचक किस्सागोई के अंदाज में संजय राउतरे के मुख से सुनने का अवसर मिलेगा।
लेखक व प्रेरक वक्ता विवेक अत्रे जिंदगी में असली जीत और खुशी के नुस्खे साझा करेंगे। संघर्षों की तपिश और उतार चढ़ावों के थपेड़े झेलकर पाई सफलता के बाद फिर क्या...सफलता से जीवन में स्थायी खुशी आ जाएगी क्या और सफलता तथा असली जीत के बीच कौन सा और कैसा बारीक सा फर्क होता है, इस बारे में विवेक अपने व्यापक अनुभव और विशिष्ट शैली में युवाओं से रू-ब-रू होंगे।
नेशनल अवार्ड विजेता मूवी 'अंधाधुन' के निर्माता संजय राउतरे भी अपने जीवन के अनुभव साझा करेंगे। संजय राउतरे बॉलीवुड की निर्मम भूलभुलैया में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के आजमाये गुर बताएंगे। संघर्षों की तपिश में इंसान को जो बातें बिना थके या निराश हुए आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती हैं, परेशानियों के भंवर से बाहर निकलने का हुनर देती हैं, उन कारगर और परखे हुए सफलता मंत्रों को रोचक किस्सागोई के अंदाज में संजय राउतरे के मुख से सुनने का अवसर मिलेगा।
लेखक व प्रेरक वक्ता विवेक अत्रे जिंदगी में असली जीत और खुशी के नुस्खे साझा करेंगे। संघर्षों की तपिश और उतार चढ़ावों के थपेड़े झेलकर पाई सफलता के बाद फिर क्या...सफलता से जीवन में स्थायी खुशी आ जाएगी क्या और सफलता तथा असली जीत के बीच कौन सा और कैसा बारीक सा फर्क होता है, इस बारे में विवेक अपने व्यापक अनुभव और विशिष्ट शैली में युवाओं से रू-ब-रू होंगे।
लेक रिवाइवर कलेक्टिव के संस्थापक आनंद मलिगावद से मिलने का मौका
मंगलवार को अमर उजाला फाउंडेशन के नजरिया कार्यक्रम में आने वाले वक्ताओं में से एक आनंद मलिगावद ने बचपन से अपने दिल में बसे प्रकृति प्रेम को ही आखिरकार अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और जमीनी सार्थक काम से अपने समाज और देश के युवाओं के सामने एक मिसाल पेश की है। उत्तरी कर्नाटक के कोप्पल जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे आनंद से उनका गांव बचपन में ही छूट गया था। लेकिन किस्मत ने बंगलूरू में भी उन्हें प्रकृति से जुड़कर आनंद ले पाने की मोहलत दे ही दी।
शहर में होने के बावजूद आनंद का स्कूल एक झील के किनारे था और उनका काफी समय झील से अपनी दोस्ती गाढ़ी करने में बीत पाता था। इसी साल जनवरी में अपनी ऊंचे वेतन वाली अपनी नौकरी छोड़कर पानी और प्रकृति के लिए काम करने को जीवन लगाने का निर्णय करने वाले आनंद की कहानी कई तरह के संघर्षों से गुजर कर आगे बढ़ी है। देश-दुनिया से मिलने वाले पुरस्कारों ने फिर काम की राह कुछ कम पथरीली की है।
पिछले दो साल में बंगलूरू की चार झीलों को पुनर्जीवित कर सकने वाले आनंद को इस काम में प्रशासनिक अड़चनों, भू-माफियाओं, बेहिसाब अतिक्रमणों से जूझने के साथ ही समाज की मानसिकता से भी खूब दो-चार होना पड़ा है। इंजीनियरिंग की अपनी पढ़ाई के कारण आनंद ने पानी और मिट्टी के मिजाज को समझ कर और बंगलूरू के भौगोलिक हालात को ठीक से ध्यान में रखकर झील पुनर्जीवन के काम को आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे सबको जोड़ने में सफल रहे।
शहर में होने के बावजूद आनंद का स्कूल एक झील के किनारे था और उनका काफी समय झील से अपनी दोस्ती गाढ़ी करने में बीत पाता था। इसी साल जनवरी में अपनी ऊंचे वेतन वाली अपनी नौकरी छोड़कर पानी और प्रकृति के लिए काम करने को जीवन लगाने का निर्णय करने वाले आनंद की कहानी कई तरह के संघर्षों से गुजर कर आगे बढ़ी है। देश-दुनिया से मिलने वाले पुरस्कारों ने फिर काम की राह कुछ कम पथरीली की है।
पिछले दो साल में बंगलूरू की चार झीलों को पुनर्जीवित कर सकने वाले आनंद को इस काम में प्रशासनिक अड़चनों, भू-माफियाओं, बेहिसाब अतिक्रमणों से जूझने के साथ ही समाज की मानसिकता से भी खूब दो-चार होना पड़ा है। इंजीनियरिंग की अपनी पढ़ाई के कारण आनंद ने पानी और मिट्टी के मिजाज को समझ कर और बंगलूरू के भौगोलिक हालात को ठीक से ध्यान में रखकर झील पुनर्जीवन के काम को आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे सबको जोड़ने में सफल रहे।