ज्योतिषशास्त्र में राहु-केतु का विशेष स्थान होता है। हालांकि विज्ञान के नजरिए से राहु- केतु का सौरमंडल में कोई भी अस्तित्व नहीं है। ज्योतिष में राहु-केतु को अशुभ फल देने वाला छाया ग्रह माना गया है। अगर किसी जातक की कुंडली में राहु-केतु से सबंधित को दोष मौजूद होता है व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को आर्थिक नुकसान होने के साथ शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कुंडली में राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ज्योतिष में कई तरह के उपाय भी बताए गए हैं जिसका नियम से पालन करने पर राहु-केतु के बुरे प्रभाव को कुछ कम किया जा सकता है। ज्योतिष में राहु-केतु को छाया और मायावी ग्रह माना गया है। लेकिन राहु-केतु हमेशा अशुभ फल ही देने वाले हैं ऐसा नहीं हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में राहु अच्छे भाव में विराजमान हैं और अन्य ग्रहों के साथ उनकी अच्छी युति है तो यह जातकों के जीवन में अच्छा फल भी प्रदान करते हैं। राहु केतु ग्रह कुंडली में उच्च और नीच राशि के अनुसार ही जातकों को शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल देते हैं।
Rahu-Ketu: जानिए कुंडली में राहु-केतु के प्रभाव से व्यक्ति को किस तरह के मिलते हैं कष्ट और शुभ फल
जब किसी जातक की कुंडली में राहु दोष पैदा होता है तो व्यक्ति के जीवन में अचानक से घटनाएं होने लगती हैं। राहुदोष से पीड़ित व्यक्ति को कम नींद आती है, डरावने सपने ज्यादा आने लगते हैं,रात में सोते समय बार-बार डर से नींद टूट जाती है, शरीर में कमजोरी और आलस्य का आना कुंडली में राहु के अशुभ प्रभाव का कारण होता है।
राहु का नाम आते ही लोगों के मन में बुरे-बुरे ख्याल आने शुरू हो जाते हैं। राहु को लोग हमेशा अशुभ फल देने वाला छाया ग्रह मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,अगर कुंडली में राहु ग्रह की स्थिति अच्छी हो तो यह जातक के जीवन में शुभ परिणाम भी देते हैं। जातक की कुंडली में राहु के शुभ भाव में होने पर व्यक्ति को हर एक कार्य में सफलता और धनार्जन करने के मौके मिलते हैं। जिन जातकों की कुंडली में राहु शुभ परिणाम देने वाले सिद्ध होते हैं वे लोग बहुत ही तीव्र बुद्धि वाले होते हैं। ऐसे जातक दर्शन और विज्ञान में गहरी रुचि रखते हैं। कुंडली में राहु की शुभ स्थिति होने पर व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पदों की प्राप्ति करता है।
कुंडली में केतु का नकारात्मक प्रभाव
राहु और केतु दोनों ही ग्रह हमेशा उल्टी चाल से चलते हैं। राहु-केतु करीब 18 महीने में एक से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। जिसका असर उन जातकों के जीवन में गहरा होता है जिन पर राहु-केतु का असर होता है। राहु की तरह ही केतु को भी अशुभ फल देने वाला छाया ग्रह माना जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में केतु अशुभ भाव में बैठा होता है तो व्यक्ति को नींद, धन हानि, धन लाभ में परेशानी, पारिवारिक तनाव, संतान कष्ट और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं से घिरा हुआ होता है।
केतु न सिर्फ अशुभ फल देता है,बल्कि यह शुभ फल देने की क्षमता भी रखता है। अगर किसी जातक की कुंडली में केतु शुभ भाव में बैठते हैं तो व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, धन और संतान स की प्राप्ति होती है। कुंडली में केतु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का आत्मविश्वास काफी बढ़ता है।

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