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तिरंगे में लपेटा हत्यारोपी का शव, नेता भी वहीं दे रहे भड़काऊ भाषण

ब्यूरो/अमर उजाला, ग्रेटर नोएडा Updated Fri, 07 Oct 2016 05:01 PM IST
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iklakh murder accused wrap in tricolor, leaders giving controversial speeches
dadri

"सरहद पे बहुत तनाव है क्या, कुछ पता तो करो चुनाव है क्या?"-राहत इंदोरी का यह शेर इस समय देश के किसी हिस्से में अगर मौजूं है तो शायद वो बिसाहड़ा ही है। ठीक एक साल पहले बिसाहड़ा में सांप्रदायिक तनाव का माहौल था क्योंकि इकलाख के परिवार पर एक हिंसक भीड़ ने देररात हमला कर दिया था। भीड़ का मानना था कि इकलाख के परिवार ने गोहत्या की है और उसका मांस खाया है। भीड़ का गुस्सा जबतक शांत होता तब इकलाख अपनी जान गंवा चुका था और उसका छोटा दानिश मौत के मुहाने पर पड़ा तड़प रहा था।

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iklakh murder accused wrap in tricolor, leaders giving controversial speeches
dadri - फोटो : अमर उजाला

ठीक एक साल बाद बिसाहड़ा में फिर एक मौत हुई है। इस बार मरने वाला किसी भीड़ का शिकार नहीं है बल्कि इकलाख की ही मौत के मामले में आरोपी था। जिसकी न्यायिक हिरासत में 4 अक्टूबर को मौत हो गई थी और मौत के बाद भी अभी तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। उसकी शव पर राजनीति शुरु हो गई है और उसे तिरंगे में लपेटकर गांव में रखा गया है।

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dadri - फोटो : अमर उजाला

शव के चारों ओर गांववालों का जमावड़ा है और उनकी मांग है कि रवि को शहीद का दर्जा दिया जाए। इस मांग के पीछे कितनी राजनीति है कितनी सच्चाई इसका अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि तथाकथित हिंदू नेता लगातार बिसाहड़ा पहुंच रहे हैं और अपने भड़काऊ भाषण से माहौल को फिर से एक साल पहले जैसे सांप्रदायिक रंग में रंगना चाहते हैं।

iklakh murder accused wrap in tricolor, leaders giving controversial speeches
dadri - फोटो : अमर उजाला

राजनीति की बात छोड़ भी दी जाए तो क्या किसी ऐसे शख्स के शव को तिरंगे में लपेटना सही होगा जिसपर किसी की हत्या का आरोप लगा हो। तिरंगा देश के लिए मरने वाले लोगों की लाश पर रखा जाता है।

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dadri - फोटो : अमर उजाला

चिंताजनक बात ये है कि वही नेता जो राष्ट्रवाद और धर्म की बात करते हैं उन्हें ही ये सब दिखाई नहीं दे रहा है जो तिरंगे में लिपटे हुए शव पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। सनद रहे कि कुछ महीनों बाद यूपी में विधानसभा चुनाव होने को हैं और अपने फायदे के लिए ऐसे विवादों को हवा देना कोई नई बात नहीं है।

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