संगीत की दुनिया का शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जो तलत महमूद गायकी का दीवाना न हो। तलत भले ही गजल की दुनिया के शहंशाह बने, लेकिन उनके लिए इंडस्ट्री में जगह बनाना आसान नहीं था। जिंदगी में एक पड़ाव ऐसा भी आया, जब तलत अपमान के डर से गायकी छोड़ना चाहते थे। अपनी बेहतरीन गायकी से दुनियाभर में अलग पहचान रखने वाले तलत महमूद की आज बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर जानते हैं तलत की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने और दिलचस्प किस्से...
Talat Mahmood: जिस गायकी के लिए पिता से रिश्ता तोड़ा, उसे भी छोड़ने को तैयार हो गए थे तलत महमूद
मखमली आवाज के मालिक... तलत महमूद जन्म नवाबों के शहर लखनऊ में जनाब मंजूर महमूद साहब के बेटे के तौर पर हुआ था। तलत महमूद को बचपन से गाने का बहुत शौक था, लेकिन रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में गाने बजाने ठीक नहीं माना जाता था, जबकि तलत महमूद तो फिल्मों में बतौर हीरो एक्टिंग करना चाहते थे, तो उनके सामने दो ही रास्ते मौजूद थे। घर पर रहिए या घर छोड़कर फिल्मों में चले जाइए। उन्होंने दूसरा रास्ता चुनना ठीक समझा। फिर क्या था, पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया और 10 साल तक चेहरा नहीं देखा। यह नाराजगी तब खत्म हुई, जब तलत फेमस हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें इज्जत से देखा जाने लगा। महज 16 साल की उम्र में तलत महमूद ने वीर दास जिगर जैसे नामचीन शायरों के कलाम ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाना शुरू कर दिए थे।
तलत महमूद स्कूली शिक्षा के बाद अलीगढ़ आ गए थे और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तालीम हासिल करते हुए शायरी शुरू की। इसके बाद तलत मुंबई चले गए। हालांकि, तलत महमूद की एक बात, जो दूसरे सिंगर्स से अलग थी कि वह सिगरेट पीते थे। उस वक्त के मशहूर संगीतकार नौशाद को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी। नौशाद अपने सिंगर्स को रिकॉर्डिंग से पहले सिगरेट पीने नहीं देते थे। 'बाबुल' फिल्म के गाने 'मेरा जीवनसाथी' की रिकॉर्डिंग से पहले तलत नौशाद के सामने सिगरेट पीने लगे। इतना ही नहीं, तलत ने सिगरेट का धुआं उनके मुंह पर छोड़ दिया। तलत की इस हरकत से नौशाद बेहद खफा हो गए। इसके बाद नौशाद ने तलत के साथ कभी काम नहीं किया। कहा जाता है कि तलत को फिल्म 'बैजू बावरा' में कुछ नगमे गाने का मौका मिलने वाला था, लेकिन उनकी सिगरेट वाली हरकत के चलते उनके हाथ से यह काम चला गया।
तलत महमूद की आवाज में खास खनक थी, जिसे म्यूजिक कंपनी एचएमवी ने पहचान लिया। 1941 में उनकी पहली गजल 'सब दिन एक समान नहीं' को रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा ‘लागे तोसे नैना’, ‘सपनों की सुहानी दुनिया’ जैसे क्लासिकल गाने भी गाए। 1944 में रिकॉर्ड ‘तस्वीर तेरी दिल मेरा’ उनकी आज तक की सबसे ज्यादा हिट एल्बम रही। कोलकाता में उन्होंने तपन कुमार के नाम से काम किया। 1949 में वह मुंबई आ गए। यहां फिल्म ‘आरजू’ के लिए अनिल बिस्वास का कम्पोज्ड 'ए दिल मुझे कहीं ले चल' उनका पहला हिट और पहला ब्रेक साबित हुआ।
तलत महमूद को सेमी क्लासिकल गजल गायकी का फाउंडर कहा जाता था। उनकी गजल गायकी के इस खास अंदाज ने गजल गायकी की धारा ही बदल दी। आगे चलकर इस जॉनर को मेहदी हसन जैसे महान गायकों ने फॉलो किया और जगजीत सिंह जैसी खूबसूरत आवाज गजल के चाहने वालों के दिलों में हमेशा के लिए घर कर गई। बता दें कि तलत साल 1956 में विदेश कॉन्सर्ट में जाने वाले पहले हिंदुस्तानी गायक थे। उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल, अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर गार्डन और जीन पियर कॉन्प्लेक्स जैसे खचाखच भरे ऑडिटोरियम में शानदार परफॉर्मेंस का जलवा बिखेरा। तलत महमूद ने करीब 800 गाने गाए।