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विश्वास के 75 वर्ष: यूं ही साथ चलते रहें, 1948 में आगरा से शुरू अमर उजाला का कारवां पूरे उत्तर भारत में फैला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 17 Apr 2023 06:58 PM IST
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75 Years of Amar Ujala india Most Popular Hindi News Paper Amar Ujala
अमर उजाला के 75 साल पूरे - फोटो : अमर उजाला
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मैं अमर उजाला हूं... 75 साल पूरे करके 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं। जी हां, उम्र के लिहाज से मेरा अमृत महोत्सव है। मैं आगरा में आपके बीच ही जन्मा हूं। इस मौके पर अपने सफर पर नजर डालने का मौका भी है और दस्तूर भी। इस समय कई दृश्य मेरी आंखों के सामने आ रहे हैं। अपने बचपन से अब तक मैंने अपने प्रिय शहर आगरा को बदलते देखा है। इस दौरान मुझ में भी परिवक्वता आई। इसमें आगरा का बड़ा योगदान है। शहर ने और यहां के लोगों ने मुझे सहारा दिया, इसी मोहब्बत के चलते मैं आगरा की आवाज बनता रहा। यह बात मुझे गर्व की अनुभूति देती है कि मैं विश्व के अजूबे ताजमहल के शहर का हमसफर हूं। शहर का हर नागरिक मेरा हमराही है। 75 वर्षों में हर दिन मेरे लिए नया दिन रहा। हर दिन नई सुर्खियां बनी। यह बात मैं बड़े विश्वास के साथ कहूंगा कि सभी सुर्खियां शहर के नागरिकों यानी मेरे पाठकों के हक में थीं। मेरा जन्म की कहानी भी बड़ी खबर के मानिंद है। 

1948 का वह दौर जब देश आजादी हासिल करने के बाद विभाजन की पीड़ा से जूझ रहा था। आगरा अवध संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश बनने की राह पर था तो आगरा अपने भविष्य की आशंकाओं में डूब उतर रहा था। ऐसे विकट हालात में दो दोस्त भी अपने शहर के हक हुकूक को लेकर उधेड़बुन में थे। शाम के एक अखबार में काम करते थे, लेकिन वहां बात नहीं बन पा रही थी कि अपने शहर की आवाज आजादी से उठा पाते। दोनों ने सपना पाला कि शहर की आवाज बुलंद करने के लिए अखबार निकालेंगे। कई महीनों बाद संकल्प साकार हुआ और मैं आपके सामने आया। 
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प्रिटिंग मशीन का पूजन करते संस्थापक मुरारीलाल माहेश्वरी एवं डोरीलाल अग्रवाल - फोटो : अमर उजाला
वो दिन था 18 अप्रैल 1948। जोश, जज्बे और जुनून से भरे ये दो दोस्त थे श्री डोरीलाल अग्रवाल और मुरारीलाल माहेश्वरी। दोनों ने पूरे समर्पण से मुझे सींचा। इसका नतीजा आज मैं आपके सामने हूं। मेरे विकास में पाठकों का भी उतना ही योगदान है। पहले बेलनगंज के एक छोटे से मकान में दफ्तर था। चंद महीनों बाद ही धूलियागंज में बड़े परिसर में पहुंच गया। 
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अमर उजाला की खबरें - फोटो : अमर उजाला
आप ही तो कहते हैं कि अखबार यानी मैं... अमर उजाला। यह आपका मेरे प्रति प्यार है और विश्वास भी है। आपकी इसी विश्वास ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी का भाव ला दिया है। वैसे मैं आपको बताऊं कि मेरा जन्म संघर्ष और संकल्प की बुनियाद पर ही हुआ है। 75 वर्ष के सफर में इस विश्वास को बनाने में मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। पाठकों के साथ चला। उनके दर्द का साथी और साक्षी बना। सच बताऊं इसी डर से मुझमें संघर्ष का जज्बा पैदा हुआ। नतीजा है कितने मुद्दे उठाए और उन्हें भरसक अंजाम तक पहुंचाया। 
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अमर उजाला स्थापना दिवस - फोटो : स्पीड कलर लैब/ कलाकुंज
भावनाओं को उद्वेलित करने वाला ताजगंज श्मशान घाट के स्थानांतरण का मामला हो या फाउंड्री बंद करने से रोजी-रोटी के संकट का मामला। मैं हर कदम आपके साथ और आपकी आवाज बना। याद कीजिए वक्त बदलने के साथ मैंने आपको भी बदलने की सलाह दी। शहर में विद्युत शवदाह गृह को लेकर जागरूकता फैलाई और पेड़ ना काटने की समझाइश भी मैंने बरसों तक दी है ताकि हमारा शहर हरा भरा रहे।
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आगरा की जनकपुरी - फोटो : अमर उजाला
इसी तरह उत्तर भारत की सांस्कृतिक धरोहर रामलीला और जनकपुरी को संभालने में भी भागीदारी आपको याद होगी। आगरा जूता व पेठा कारोबार के लिए जाना जाता है। इनके हक की आवाज भी मैं समय-समय पर बुलंद करता रहा हूं। ऐसे कितने ही किस्से इस मौके पर याद आ रहे हैं।
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