Amla Navami 2025: भारत की धार्मिक परंपराओं में हर पर्व का एक विशिष्ट आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है। यह दिन तुलसी विवाह के बाद आता है और माना जाता है कि आंवला नवमी से ही धार्मिक और शुभ कार्यों का शुभारंभ फिर से किया जा सकता है।
आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पुराणों में कहा गया है कि आंवला वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति को पुण्य, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवले का सेवन अमृत के समान माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन में सुख, संतान की उन्नति, और दीर्घायु के लिए भी यह व्रत किया जाता है। आंवला नवमी को "आंवला एकादशी" या "आंवला पर्व" के नाम से भी जाना जाता है, खासकर उत्तर भारत के कई हिस्सों में।
आंवला नवमी की पूजा विधि
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प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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घर या मंदिर में आंवले के पेड़ के नीचे पूजा स्थल बनाएं।
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भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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आंवले के पेड़ को जल, दूध और गंगाजल से स्नान कराएं।
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रोली, हल्दी, चावल, पुष्प और दीपक से पूजा करें।
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आंवले के नीचे बैठकर एक बार भोजन करना अत्यंत शुभ माना गया है।
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व्रतधारी पूरे दिन सात्विक भोजन करें और आंवले से बने व्यंजन खाएं।
आंवला नवमी पूजा सामग्री लिस्ट
- आंवला
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति या फोटो
- कलश
- नारियल
- आम के पत्ते
- दीपक, घी, बाती
- रोली, हल्दी, अक्षत
- फूल और माला
- दूध, गंगाजल
- नैवेद्य और मिठाई और फल
- अगरबत्ती, कपूर
- चावल, दाल, आटा