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जानना जरूरी: क्या आपके भी नाखूनों का रंग हो रहा है नीला? फेफड़े-हृदय की गंभीर बीमारियों का हो सकता है संकेत
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला , नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Sun, 31 Jul 2022 06:30 PM IST
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नाखूनों के रंग में होने वाले बदलाव
- फोटो : iStock
शरीर में कुछ भी असामान्य नजर आने को हल्के में लेना आपके लिए बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। त्वचा के रंग में बदलाव पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। कई बार इसके आधार पर गंभीर बीमारियों का शुरुआत में ही पता लगाकर बड़ी समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टर्स कहते हैं सभी लोगों को आंखों, त्वचा, पेशाब, नाखून के रंग पर लगातार निगरानी बनाए रखना चाहिए, यदि इसमें कुछ भी असामान्य सा नजर आए तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। इस लेख में हम नाखून के रंग में बदलाव और इससे संबंधित जोखिम के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
कुछ स्थितियों में आपके नाखूनों को रंग हल्का गुलाबी की जगह नीला या काला दिखाई दे सकता है। आमतौर पर चोट के कारण त्वचा या नाखून का रंग नीला हो जाता है, हालांकि यदि आपको चोट नहीं लगी है फिर भी इस तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। कुछ स्थितियों में नाखून का रंग नीला पड़ने के लिए सायनोसिस नामक समस्या को मुख्य कारण के तौर पर देखा जाता है।
सायनोसिस, रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली समस्या है। नाखूनों के अलावा, सायनोसिस आमतौर पर हाथों, पैरों के तलवों और मुंह को भी प्रभावित करता है। आइए नाखूनों में नीलेपन की स्थिति के बारे में जानते हैं।
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नाखून को नीलापन
- फोटो : iStock
नाखूनों में नीलेपन का कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यदि नीलेपन की स्थिति सिर्फ एक नाखून में है, तो यह संभवतः चोट के कारण नाखून के नीचे खून के इक्टठा होने के कारण हो सकता है। हालांकि यदि सभी नाखूनों में ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो यह सायनोसिस को इंगित करता है। इसके अलावा यदि रक्त संचार प्रणाली शरीर के हर हिस्से में पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंचा पा रही है तो भी इस तरह की समस्या हो सकती है। इन स्थितियों में शीघ्रता से डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता होती है। सायनोसिस के कई कारण हो सकते हैं, ऐसे में इसपर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
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नाखूनों से जाने सेहत का हाल
- फोटो : iStock
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज
फेफड़ों की विभिन्न समस्याओं के परिणामस्वरूप भी नाखूनों का नीला रंग हो सकता है। इसमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) भी शामिल है। सीओपीडी, फेफड़ों की कई प्रकार की समस्याओं का संयुक्त रूप माना जाता है। इसमें शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित हो सकती है, जिसका शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक असर देखा जा सकता है। नाखूनों के नीलेपन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
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रक्त वाहिकाओं की समस्या का संकेत (सांकेतिक)
- फोटो : Istock
रक्त वाहिकाओं का समस्या
डॉक्टर्स कहते हैं, रक्त कोशिकाओं या वाहिकाओं से संबंधित कुछ समस्याएं भी नाखून में नीलेपन का कारण बन सकती हैं। मेथेमोग्लोबिनेमिया ऐसी ही एक स्थिति है। मेथेमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि का कारण मेथेमोग्लोबिनेमिया की समस्या होती है। कुछ रसायनों या एंटीबायोटिक दवाओं के कारण लोगों को यह स्थिति जन्म से हो सकती है या बाद भी विकसित हो सकती है। इसमें त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है।
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हृदय की समस्याओं का जोखिम
- फोटो : istock
हृदय से संबंधित समस्याएं
नाखूनों में नीलेपन की समस्या हृदय विकारों का भी संकेत हो सकती हैं। कॉग्नेटिव हार्ट डिजीज की स्थिति में नाखून और त्वचा के रंग में इस तरीक के बदलाव देखे जा सकते हैं। ईसेनमेंजर सिंड्रोम नामक दुर्लभ हृदय विकार के कारण भी इस तरह की समस्याओं का जोखिम हो सकता है। हृदय की समस्याएं गंभीर दिक्कतों का कारण बन सकती हैं, कुछ मामलों में इनके घातक होने का भी जोखिम होता है, इसी वजह से नाखूनों में हो रहे बदलाव पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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