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Brijesh Solanki Death: कबड्डी प्लेयर बृजेश सोलंकी की रेबीज से हुई मौत, जानिए कितनी जानलेवा है ये बीमारी?
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिखर बरनवाल
Updated Wed, 02 Jul 2025 05:01 PM IST
सार
उत्तर प्रदेश के कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज के कारण बीते शुक्रवार तड़प-तड़पकर मौत हो गई। यह घटना रेबीज की गंभीरता और समय पर टीकाकरण की अनदेखी के घातक परिणामों को उजागर करती है। इसलिए आइए इस लेख में जानलेवा बीमारी रेबीज के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Rabies Brijesh Solanki Death: हाल ही में प्रदेश स्तर के कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी (28) की रेबीज के कारण हुई दर्दनाक मौत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। 27 जून को सुबह उनकी दुखद मृत्यु ने एक बार फिर रेबीज की भयावहता और समय पर टीकाकरण की अनदेखी के घातक परिणामों को उजागर किया है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है कि यह जानलेवा बीमारी कितनी खतरनाक हो सकती है।
रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो जानवरों विशेषकर कुत्तों के काटने से फैलती है। बृजेश की मौत हमें याद दिलाती है कि रेबीज कोई सामान्य संक्रमण नहीं, बल्कि एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिससे लड़ने का एकमात्र प्रभावी तरीका समय पर रोकथाम और टीकाकरण है। आइए इस लेख में, हम रेबीज के खतरों, इसके लक्षणों और सबसे महत्वपूर्ण टीकाकरण के सही समय के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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कुत्ते का काटना
- फोटो : Adobe Stock
रेबीज और इसके लक्षण
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो मुख्य रूप से कुत्तों, चमगादड़ों या बंदरों के काटने से फैलती है। यह न्यूरोट्रॉपिक वायरस मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और काटने की जगह पर झनझनाहट शामिल हैं। बाद में, पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), लार बढ़ना, मांसपेशियों में ऐंठन, भ्रम और कोमा जैसे गंभीर लक्षण दिखते हैं।
इसके लक्षण दिखने में जानवर के काटने के 1-3 महीने लग सकते हैं, लेकिन यह अवधि एक सप्ताह से एक वर्ष तक हो सकती है। इसकी सबसे डरावनी सच्चाई यह है कि एक बार लक्षण दिखने शुरू हो जाएं, तो इसका इलाज लगभग असंभव हो जाता है, और परिणाम अक्सर घातक होते हैं।
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कुत्ते का काटना
- फोटो : Adobe Stock
रेबीज से बृजेश की मौत
बृजेश सोलंकी, एक होनहार कबड्डी खिलाड़ी, प्रो कबड्डी लीग 2026 की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने फरवरी में प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। मार्च 2025 में, बृजेश ने गांव की नाली में गिरे एक कुत्ते के बच्चे को बचाने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान उस कुत्ते के बच्चे ने उनके दाहिने हाथ की उंगली काट ली।
बृजेश ने इसे मामूली चोट समझकर नजरअंदाज कर दिया और एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। दो महीने बाद, जून 2025 में उनकी तबीयत बिगड़ी। पहले अलीगढ़, फिर मथुरा और दिल्ली के जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां रेबीज की पुष्टि हुई। 27 जून को सुबह उनकी दर्दनाक मौत हो गई।
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रेबीज का वैक्सीन
- फोटो : Adobe Stock
टल सकती थी बृजेश की मौत
बृजेश की मौत एक दुखद लापरवाही का परिणाम था। यदि उन्होंने कुत्ते के काटने के तुरंत बाद एंटी-रेबीज वैक्सीन ली होती, तो उनकी जान बच सकती थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज का टीकाकरण काटने के बाद जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए।
बृजेश ने चोट को हल्के में लिया और टीका नहीं लगवाया, जिसके कारण वायरस उनके तंत्रिका तंत्र में फैल गया। इसलिए समय पर टीकाकरण करना बहुत जरूरी है।
कुत्ते के काटने के बाद टीकाकरण का समय
कुत्ते के काटने के बाद पहला एंटी-रेबीज इंजेक्शन तुरंत, यानी 24 घंटे के भीतर, लगवाना चाहिए। सामान्यतः चार खुराकों का कोर्स होता है, जो काटने के दिन, तीसरे, सातवें और चौदहवें दिन दी जाती हैं। गंभीर मामलों में रेबीज इम्यून ग्लोबुलिन भी दिया जाता है। घाव को 15 मिनट तक साबुन और पानी से धोना जरूरी है, क्योंकि यह वायरस को कम कर सकता है। 72 घंटे से अधिक देरी होने पर वैक्सीन का प्रभाव कम हो सकता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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