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Alzheimer's Disease: डॉक्टर के इन दो नुस्खों से याददाश्त बनी रहेगी तेज, कभी नहीं भूलेंगे कोई बात

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 19 Sep 2025 03:47 PM IST
सार

  • विशेषज्ञ बताते हैं कि जीवनशैली, खानपान और दिमाग को सक्रिय रखने से याददाश्त को लंबे समय तक अच्छा रखा जा सकता है और अल्जाइमर से भी बचाव किया जा सकता है।

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याददाश्त की समस्याओं के बारे में जानिए - फोटो : Amarujala.com

World Alzheimer's Day: उम्र बढ़ने के साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं भी हमें घेरने लग जाती हैं। कमजोर होती इम्युनिटी के कारण जहां कई तरह की संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है वहीं 50 की उम्र के बाद आमतौर पर याददाश्त भी कमजोरी पड़ने लग जाती है। 

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स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं,  जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर की तरह दिमाग की कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) भी कमजोर होने लगती हैं। इस वजह से कई लोग बार-बार चीजें भूलने लगते हैं, नाम याद नहीं रहते, सामान रखकर भूल जाते हैं या बातचीत के दौरान शब्द भूल जाते हैं। यह सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन कई बार यह अल्जाइमर रोग का शुरुआती संकेत भी बन जाती है।

इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रोगियों में कलंक के भाव को कम करने के लिए हर साल 21 सितम्बर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि जीवनशैली, खानपान और दिमाग को सक्रिय रखने से याददाश्त को लंबे समय तक अच्छा रखा जा सकता है और अल्जाइमर से भी बचाव किया जा सकता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

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उम्र बढ़ने के साथ अल्जाइमर रोग का खतरा - फोटो : Adobe Stock

अल्जाइमर रोग में छोटी-छोटी बातें भूलने लगती हैं

अल्जाइमर दिमाग की एक बीमारी है जिसमें इंसान धीरे-धीरे बातों को भूलने लगता है। शुरुआत में छोटी-छोटी बातें भूलती हैं जैसे किसी का नाम, चीजें कहां रखी थीं या हाल की घटना। लेकिन समय के साथ यह भूलना इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति को अपने परिवार के लोग, जगह या रोज के काम भी याद नहीं रहते।

भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर-डिमेंशिया का खतरा 65 की उम्र से ज्यादा बढ़ने लगता है।

पुणे स्थित एक अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ निवेदिता भार्गवी कहती हैं, भारत में भी अल्जाइमर रोग के मामले बढ़ रहे हैं। इसे वैसे तो पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है हालांकि अगर लाइफस्टाइल और आहार में समय रहते कुछ बदलाव कर लिए जाएं तो इसके लक्षणों को देर या कम जरूर करने में मदद मिल सकती है। इसमें सबसे अहम है 'माइंड 'डाइट'। कई शोध बताते हैं कि इससे अल्जाइमर का खतरा 53% तक कम हो सकता है।

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डाइट में सुधार करना बहुत जरूरी - फोटो : Freepik.com

माइंड डाइट प्लान हो सकती है मददगार

डॉक्टर कहती हैं, आपकी थाली जितनी रंग-बिरंगी और पौष्टिकता वाली होगी, दिमाग उतना ही स्वस्थ और तेज रहेगा।

दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए माइंड डाइट (मेडिटेरेनियन डाइट और डैश) को सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें ज्यादा सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दालें, ओमेगा-3 से भरपूर मछली और ड्राई फ्रूट्स शामिल होते हैं।

  • हरी पत्तेदार सब्जियों (पालक, मेथी, ब्रोकोली) में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-के होते हैं, जो न्यूरॉन्स को स्वस्थ रखते हैं।
  • ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी दिमाग की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाती हैं और याददाश्त सुधारती हैं।
  •  अखरोट, अलसी, मछली जैसी चीजें ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्रोत हैं जो ब्रेन सेल्स की झिल्ली को मजबूत करते हैं।
  • हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन दिमाग में सूजन कम करके अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकता है।
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दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी नींद जरूरी - फोटो : adobe stock

नींद और व्यायाम को भी दें प्राथमिकता

याददाश्त को ठीक रखने, अल्जाइमर रोग के खतरे को कम करने के लिए माइंड डाइट प्लान के साथ नींद और व्यायाम को भी प्राथमिकता देना जरूरी है। इसके लिए रोजाना रात में पर्याप्त नींद (7–8 घंटे) जरूर लें। नींद के दौरान दिमाग पुराने टॉक्सिन्स साफ करता है और यादें स्टोर करता है।

इसी तरह नियमित व्यायाम जैसे योग, वॉक, साइकलिंग की आदत से दिमाग तक रक्त का संचार बढ़ाता है, जिससे न्यूरॉन्स को पोषण मिलता है। ध्यान और मेडिटेशन तनाव कम करके दिमाग को आराम देते हैं।

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अल्जाइमर-डिमेंशिया से कैसे करें बचाव? - फोटो : Freepik.com

भूलने की समस्या से बचाव

डॉक्टर कहती हैं, बढ़ती उम्र में भूलने की समस्या सामान्य हो सकती है, लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह अल्जाइमर का रूप ले सकती है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, जो हफ्ते में चार बार एक्सरसाइज करते थे, उनमें डिमेंशिया का खतरा एक्सरसाइज न करने वालों की तुलना में लगभग आधा हो जाता है। आहार को ठीक रखकर भी दिमाग को स्वस्थ रखना आसान होता है। तो कम उम्र से ही अच्छी आदतें बनाकर मस्तिष्क से संबंधित बढ़ती इस समस्या के खतरे को काफी कम किया जा सकता है।




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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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