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देख लो सरकार: जान जोखिम में डालकर मजदूरी करने जाते हैं दमोह के लोग, नजारा देख सहम जाएंगे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: अरविंद कुमार Updated Fri, 01 Mar 2024 10:36 AM IST
सार

देख लो सरकार: जान जोखिम में डालकर मजदूरी करने जाते हैं दमोह के लोग, नजारा देख सहम जाएंगे

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People of Damoh risk their lives to work as laborers
पिकअप में बैठे मजदूर - फोटो : अमर उजाला

डिंडौरी जिले में एक ओवरलोड पिकअप वाहन पलटने से 14 मजदूरों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक घायल हो गए थे। दमोह जिले में भी इसी तरह पिकअप वाहनों में सवारियां ढोई जाती हैं, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। 



बता दें कि मडियादो, सिग्रामपुर और तेंदूखेड़ा में यह प्रतिदिन का आलम है। यहां से सैकड़ों मजदूर इसी तरह पिकअप वाहनों में सवार होकर रोजगार की तलाश में जबलपुर जाते हैं, जिससे कई बार हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन आज तक पुलिस और आरटीओ के द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब डिंडौरी हादसे के बाद जरूर प्रशासन कार्रवाई करेगा, लेकिन कुछ दिन बाद यह बंद हो जाएगी।

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People of Damoh risk their lives to work as laborers
पिकअप में मजदूर - फोटो : अमर उजाला

डिंडौरी हादसे के बाद शुक्रवार को तेंदूखेड़ा में इसी तरह का आलम देखने मिला, जब तेंदूखेड़ा बस स्टैंड पर दर्जनों पिकअप वाहनों में सैकड़ों ग्रामीण सवार होकर जबलपुर जिले में जाते दिखाई दिए। एक वाहन में 40 से 50 मजदूर सवार थे।

क्षेत्र में नहीं कोई रोजगार
प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग तेंदूखेड़ा पहुंचते हैं और लोडिंग वाहनों में सवार होकर जबलपुर जिले में काम करने जाते हैं। इनमें महिला, पुरुष और बच्चे सभी शामिल होते हैं, जो सुबह-सुबह रोजगार के लिए निकलते हैं और देर रात तक अपने घरों को पहुंचते हैं। ये लोग प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर इसी तरह सफर करते हैं। इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा कोई व्यवसाय नहीं है, जिससे उनका और परिवार का भरण पोषण हो सके। मंहगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है, जिसके लिए उनको मजदूरी करने दूसरे जिलों में जाना पड़ता है।

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पिकअप में मजदूर - फोटो : अमर उजाला

मनरेगा है पर भुगतान नहीं
प्रतिदिन दूसरे जिलों में पलायन करने वाले लोग ग्रामीण क्षेत्र के हैं, जहां पर कोई रोजगार नहीं है। जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके गांव में कोई रोजगार ही नहीं है। ग्राम पंचायत में जो काम होते हैं, उनमें अधिकांश कार्यों में मशीनरी का उपयोग होता है और यदि कहीं काम मिलता भी है तो उसमें वह मजदूरी नहीं मिलती है, जो शासन द्वारा निर्धारित होती है। दूसरा कारण यह भी है कि मनरेगा योजना का भुगतान दो से तीन माह में एक बार होता है। जबकि जो मजदूर मजदूरी पर निर्भर हैं, उसको तो दिनभर काम करने के बाद शाम को पैसों की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह ग्रामीण क्षेत्रों में संभव नहीं है। इन्हीं सब कारणों के चलते तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अधिकांश गांव के लोग प्रतिदिन जबलपुर जिले जाते हैं वहां पर रोजगार करके ही अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं।

कृषि और मजदूरी के भरोसे हैं ग्रामीण
मजदूरों की माने तो तेंदूखेड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास केवल एक ही व्यवसाय है या तो खेती और दूसरा मजदूरी। जिन लोगों के पास खेती है उनकी संख्या भी काफी कम है। मजदूर केवल खेती के समय ही पलायन नहीं करते, बाकी समय तो मजदूरी के भरोसे ही रहते हैं। जो उनको तेंदूखेड़ा ब्लॉक में मिलना मुश्किल है। इसलिए उनको पलायन करना पड़ता है। क्योंकि आज तक तेंदूखेड़ा ब्लॉक में ऐसी कोई फैक्ट्री या कारखाना या व्यवसाय नहीं है, जहां पर एक साथ 15 से 20 मजदूरों को रोजगार मिल सके।

People of Damoh risk their lives to work as laborers
पिकअप में मजदूर - फोटो : अमर उजाला

मजदूरों ने बताया कि यदि उनको काम मिलता भी है तो पूरा दिन काम करने का 100 से 150, 200 रुपये ही मिलता है। चाहे वह नगरीय क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र, इसलिए वह जबलपुर जिले निकल जाते हैं। वहां पर उनको मजदूरी अच्छी मिल जाती है, जिससे उनका भरण पोषण हो जाता है। अब रही बात जान जोखिम में डालने की तो उनका कहना है कि दूसरा कोई उपाय भी नहीं है, जिससे हम लोग प्रतिदिन आवागमन कर सके।

कई ग्रामीण हो गये अपाहिज
तेंदूखेड़ा ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्र से वर्षों से मजदूर जबलपुर के लिए प्रतिदिन पलायन करते हैं और लोडिंग वाहन पर जाना उनकी मजबूरी है। क्योंकि इसमें किराया कम लगता है। यदि पूर्व की घटना को देखा जाए इसी तरह आवागमन करने में कई वाहन पलटे भी हैं, जिनमें सवार लोगों को काफी गंभीर चोटे आई और कई तो ऐसे भी मजदूर हैं, जो शरीर से अपाहिज हो चुके हैं और दिव्यांगों की भांति जीवन जी रहे हैं। यदि शासन, प्रशासन इस पलायन को रोकना चाहती है तो पहले तो ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय शुरू करे या फिर क्षेत्र में कोई फैक्ट्री या बड़ा कारखाना लगवाए, जिससे पलायन करने वाले मजदूरों को वहां रोजगार मिल सके।

सभी थाना प्रभारी को दिए निर्देश
इस संबंध में एसपी सुनील तिवारी ने बताया कि वह सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित करते हैं कि यदि लोडिंग वाहनों में सवारियां ले जाती हैं तो तत्काल कार्रवाई करें। जिला परिवहन अधिकारी क्षितिज सोनी ने कहा कि कार्रवाई में उन्हें पुलिस का सहयोग भी चाहिए, क्योंकि उनके पास स्टाफ में केवल दो लोग हैं।

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