नाघोल जनजाति के वनौटी लोगों में लड़कों को अपना पौरुष साबित करने के लिए 90 फीट की ऊंचे लड़की के टावर के ऊपर से सिर के बल नीचे छलांग लगानी होती है। उनके पैर में सिर्फ एक बेल बंधी होती है जिसके सहारे वे लटकते हैं। मकसद ये होता है कि अलग जमीन पर सिर लड़के के बाद भी लड़का जिंदा रह गया तो वो असली मर्द है। इसे लैंड डाइविंग कहते हैं।
मर्दानगी साबित करने की प्रथाएं, क्या क्या नहीं सहते मर्द
मेनथवाई महाद्वीपों में लोगों के लिए बाहरी खूबसूरती बहुत मायने रखती हैं। क्योंकि वे मानते हैं अगर आत्मा अपने शरीर की सुंदरता से संतुष्ट न हो तो वह इंसान मर जाता है। इसलिए लड़कियां जैसे ही जवान होती हैं, उन्हें अपने दांत पत्थर और चेनी से घिस कर नुकीले बनाने होते हैं। इसे जवानी और खूबसूरती का संकेत माना जाता है।
मर्दानगी साबित करने की प्रथाएं, क्या क्या नहीं सहते मर्द
इथोपिया की हमर जनजाति में लड़कों को शादी पहले एक प्रथा पूरी करनी होती है। इसमें उस लड़के की करीबी महिलाओं को दूसरे मर्द पीटते हैं और वे मंत्र जाप करती रहती हैं। उन्हें लगी चोटें इसका सबूत होती हैं कि वे मर्दो के प्रति समर्पित हैं। इसके बाद 10-30 नपुंसक बैलों को लाइन से खड़ा किया जाता है और उस लड़के को नंगे हो कर उन बैलों की पीठ पर चार बार दौड़ना होता है। ऐसा कर लेने से वो 'माजा' कहलाता है।
मर्दानगी साबित करने की प्रथाएं, क्या क्या नहीं सहते मर्द
फूला जनजाति के लड़कों को दूसरी जनजाती के लड़कों से लड़ाई करनी होती। इसमें विजयी होने के बाद ही वे मर्द माने जाते हैं। लड़ाई के लिए वे जिस छड़ी का इस्तेमाल करते हैं उसके छोर नुकीले और कांटे लगे होते हैं। निर्ममता से वे एक दूसरे पर वार करते हैं। जो लड़का जीत जाता है, उसे ही मर्द कहलाने का हक होता है। इस दौरान बहुत चोट लगती है।