सब्सक्राइब करें

भारत-बांग्लादेश के इस पुराने रिश्ते के पीछे है एक 'महायोद्धा' की कहानी

Updated Sat, 08 Apr 2017 05:52 PM IST
विज्ञापन
general sam manekshaw: bangladesh war hero

भारत और बांग्लादेश मोदी और शेख हसीना के नेतृत्व में दोस्ती और सहयोग की नई ईबारत लिख रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कौन था वो आदमी जिसके दम पर पाकिस्तान से अलग होकर नया मुल्क बना बांग्लादेश। वो व्यक्ति थे भारतीय सेना के जनरल 'सैम बहादुर' यानि जनरल एसएचएफ मानेकशॉ। जिनके नेतृत्व में भारत ने दुनिया का भूगोल बदलते हुए पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को काटकर अलग मुल्क की इबारत लिख दी। आइए हम आपको बताते हैं सैम मानेकशा से सैम बहादुर और पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बनने के किस्से के बारे में।

Trending Videos

द्वितीय विश्व युद्ध में सात गोलियां खाकर भी जिंदा थे 'सैम बहादुर'

general sam manekshaw: bangladesh war hero

करीब 46 साल पहले भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर हमला कर उसे जनरल याहया खान के जुल्मों से मुक्ति दिलाई थी। जिसके बाद नए मुल्क बांग्लादेश का जन्म हुआ। कहा जाता है कि ये दुनिया का अकेला युद्ध था जिसमें एक दिन में 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध के असली हीरो थे जनरल सैम मानेकशा। जिन्हें इस युद्ध में उनके अदम्य साहस और सूझबूझ के लिए देश के पहले फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के अलावा चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध में हिस्सा ले चुके मानेकशा को उनकी बहादुरी और सूझबूझ के कारण 1969 में उस समय भारतीय सेना का अध्यक्ष बनाया गया था जब चीन युद्ध में हार के बाद सेना का हौसला टूटा हुआ था।

विज्ञापन
विज्ञापन

द्वितीय विश्व युद्ध में सात गोलियां खाकर भी जिंदा थे 'सैम बहादुर'

general sam manekshaw: bangladesh war hero

सैम मानेकशा का पूरा नाम सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ था। मानेकशा का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका परिवार गुजरात के शहर वलसाड से पंजाब आ गया था। मानेकशा ने प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पाई, बाद में वे नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हो गए। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे।

द्वितीय विश्व युद्ध में सात गोलियां खाकर भी जिंदा थे 'सैम बहादुर'

general sam manekshaw: bangladesh war hero

सेना के सबसे चर्चित जनरल रहे मानेकशा के बारे में ढेरों किस्से प्रचलित हैं। जिनमें एक ये भी है कि 17वी इंफेंट्री डिवीजन में तैनात मानेकशा को एक युवा अधिकारी के रूप में द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए बर्मा के मोर्चे पर भेजा गया। वहां फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट के कैप्टन के तौर पर बर्मा अभियान के दौरान सेतांग नदी के तट पर जापानियों से लोहा लेते हुए वे गम्भीर रूप से घायल हो गए थे।

विज्ञापन

द्वितीय विश्व युद्ध में सात गोलियां खाकर भी जिंदा थे 'सैम बहादुर'

general sam manekshaw: bangladesh war hero

उन्हें सात गोलियां लगी थी। गंभीर हालत में उनका अर्दली एक गोरखा जवान उन्हें अपने कंधे पर डालकर ही बेस कैंप तक पहुंचा और डॉक्‍टर से उनके इलाज का आग्रह किया। लेकिन सैम की गंभीर हालत देख डॉक्टर ने उनका इलाज करने से ही मना कर दिया। डॉक्टर का तर्क था कि सैम की जान बचने की गुंजाइश कम है इसलिए इनके बजाय किसी दूसरे मरीज पर ध्यान दिया जाए। यह देख गोरखा ने डाक्टर पर रायफल तान दी और गुर्राया ".....मेरे साब का हुक्म है जब तक जान बाकी है तब तक लडो। अगर तुमने इनका इलाज नहीं किया तो मैं तुम्हे गोली मार दूंगा।" जान जाती देख डॉक्टर ने सैम का इलाज शुरू किया और आश्चर्यजनक रूप से उनकी जान बच गई।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed