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Rajasthan Unique Temple: जोधपुर में होती है रावण की पूजा, मंडोर को श्रद्धालु मानते हैं मंदोदरी का मायका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Tue, 09 Sep 2025 04:34 PM IST
सार

Rajasthan Unique Temple: राजस्थान के जोधपुर में एक अनोखा मंदिर है जो रावण मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंडोर में स्थित इस मंदिर में रावण की पूजा की जाती है और मंडोर को श्रद्धालु रावण की ससुराल मानते हैं। पढ़ें पूरी खबर...।

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Rajasthan News: Jodhpur Unique Temple Ravana Worshiped, Mandodari Maternal Home Believed to Be Mandor
मंडोर दुर्ग में है रावण मंदिर - फोटो : अमर उजाला

राजस्थान के जोधपुर से करीब नौ किलोमीटर दूर स्थित मंडोर अपने ऐतिहासिक महत्व और पौराणिक कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यही मंडोर वह जगह है जहां रावण के मंदिर में आज भी उनकी पूजा होती है। मान्यता है कि यही स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था और विवाह भी यहीं हुआ था।

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Rajasthan News: Jodhpur Unique Temple Ravana Worshiped, Mandodari Maternal Home Believed to Be Mandor
मंडोर को माना जाता है रावण का ससुराल - फोटो : अमर उजाला

रावण मंदिर की खासियत
मंडोर के अमरनाथ महादेव मंदिर परिसर में स्थित यह रावण मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां रावण की पूजा देवता की तरह की जाती है। मंदिर के ठीक सामने 90 डिग्री के कोण पर मंदोदरी की मूर्ति स्थापित है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह व्यवस्था रावण और मंदोदरी के वैवाहिक संबंध का प्रतीक है।
 

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शिव भक्त रावण मंदिर - फोटो : अमर उजाला

रावण के गुणों की पूजा
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां रावण के नकारात्मक रूप नहीं, बल्कि उनके अच्छे गुणों की पूजा होती है। रावण को शिव का परम भक्त और महान विद्वान माना जाता है। इसी भक्ति और ज्ञान की वजह से श्रद्धालु उन्हें देवता की तरह पूजते हैं।

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मंदोदरी की प्रतिमा भी है स्थापित - फोटो : अमर उजाला

स्थानीय मान्यता और परंपरा
लोगों का कहना है कि मंडोर रावण का ससुराल था, इसलिए यहां उनकी पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि जोधपुर के मुद्गल और दवे ब्राह्मण रावण के वंशज हैं। यही कारण है कि इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जाता रहा है।
 

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शिव भक्त रावण की प्रतिमा - फोटो : अमर उजाला

पौराणिक कथाओं की अलग व्याख्या
जहां एक ओर विजयादशमी पर पूरे देश में रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है, वहीं मंडोर का यह मंदिर पौराणिक कथाओं की एक अलग व्याख्या प्रस्तुत करता है। यहां रावण की शिवभक्ति और विद्या को सम्मान दिया जाता है। यह मंदिर यह दर्शाता है कि पौराणिक पात्रों की अलग-अलग दृष्टिकोण से व्याख्या संभव है और उनके गुणों को आज भी समाज अपनाता है।

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