राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू के दुर्गम क्षेत्र उतरज गांव में एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब इस गांव में पहली बार एक ट्रैक्टर पहुंचा। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊंचाई पर बसे इस पहाड़ी गांव में अब तक खेती पूरी तरह बैलों और परंपरागत तरीकों से होती आई है। लेकिन अब यहां के खेतों में ट्रैक्टर की घर्र-घर्र की आवाज सुनाई देगी। यह संभव हो सका ग्रामीणों की दृढ़ इच्छाशक्ति, संघर्ष और एक स्थानीय ट्रैक्टर डीलर की मदद से।
Rajasthan: पांच हजार फीट ऊंचे गांव में पहुंचा पहला ट्रैक्टर, असेंबल भी वहीं हुआ; अब बैलों के सहारे न होगी खेती
Sirohi News: सिरोही में माउंट आबू के दुर्गम जंगलों के बीच बसे गांव तक पहले ट्रैक्टर के पुर्जे कंधों पर पहुंचाए गए। मैकेनिकों ने गांव में ही छोटे-बड़े पुर्जों से पूरा ट्रैक्टर बनाया। जानें यह रोचक कहानी...।
जानकारी के मुताबिक, उतरज गांव, माउंट आबू की ओरिया ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। यहां तक पहुंचने के लिए कोई सीधा मोटर मार्ग नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए गुरु शिखर से आगे करीब आठ किलोमीटर लंबा सफर पैदल ही तय करना पड़ता है। यह रास्ता पगडंडी जैसा है, जो घने जंगलों और उबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके से होकर गुजरता है। ऐसे हालात में यहां अब तक कोई भी वाहन नहीं पहुंच पाया था। यही वजह थी कि गांव में आज तक बैल और जुताई के पुराने औजारों से ही खेती होती रही।
ऐसे पहुंचा गांव तक पहुंचा ट्रेक्टर
खेती के कार्य में लगातार आ रही कठिनाइयों को देखते हुए उतरज गांव के लोगों ने तय किया कि अब ट्रैक्टर खरीदा जाएगा। इसके लिए उन्होंने आबूरोड स्थित महिंद्रा ट्रैक्टर डीलर एमपी मोटर्स के एमडी अमित जैन से संपर्क किया और गांव में ट्रैक्टर पहुंचाने में सहयोग का आग्रह किया। इसके बाद डीलर और ग्रामीणों ने मिलकर एक अनूठा तरीका निकाला। ट्रैक्टर को उसके पुर्जों में अलग किया गया और उन्हें ट्रैक्टर से गुरु शिखर तक पहुंचाया गया। वहां से ग्रामीणों ने अपने कंधों पर ट्रैक्टर के सभी पार्ट्स को लादकर उतरज गांव तक पहुंचाया। यह सफर तय करने में पांच से छह घंटे लगे, लेकिन ग्रामीणों के जोश और जज्बे के आगे रास्ते की कोई भी कठिनाई टिक नहीं पाई।
गांव पहुंचने के बाद ट्रैक्टर के पुर्जों को जोड़ने के लिए अस्थायी वर्कशॉप बनाई गई, जहां महिंद्रा ट्रैक्टर कंपनी के मैकेनिकों ने ट्रैक्टर को फिर से असेंबल किया। जैसे ही ट्रैक्टर गांव में पहली बार स्टार्ट हुआ और खेतों में घुमाया गया, पूरा गांव इसे देखने उमड़ पड़ा। इस दौरान लोगों की आंखों में खुशी, गर्व और उम्मीद की चमक साफ दिखाई दी।
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अब खेती बनेगी आसान, गांव में खुशी की लहर
उतरज गांव में ट्रैक्टर के पहुंचने का मतलब है- नए युग की शुरुआत। अब यहां के किसान खेती के उन पुराने तरीकों से मुक्त होंगे, जिनमें समय, श्रम और लागत तीनों ज्यादा लगते थे। ट्रैक्टर से भूमि की जुताई तेज और बेहतर तरीके से होगी, जिससे उत्पादन बढ़ने की भी संभावना है।