Sankashti Chaturthi 2025: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे नियम और विधि-विधान से व्रत रखता है, उसे मनचाहा फल अवश्य मिलता है। साथ ही उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आते हैं। वर्तमान में कार्तिक माह जारी है इस पवित्र मास में संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा, यह सवाल मन में बना हुआ है। ऐसे में आइए संकष्टी चतुर्थी की तिथि और पूजा विधि को विस्तार से जानते हैं।
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Sankashti Chaturthi 2025: 9 या 10 अक्तूबर कब है संकष्टी चतुर्थी का व्रत ? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: मेघा कुमारी
Updated Tue, 07 Oct 2025 06:06 PM IST
सार
Sankashti Chaturthi 2025: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
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Sankashti Chaturthi 2025
- फोटो : Amar Ujala
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Sankashti Chaturthi 2025
- फोटो : freepik
संकष्टी चतुर्थी 2025
- कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी।
- इस तिथि का समापन 10 अक्तूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट पर होगा।
- उदयातिथि के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 अक्तूबर को रखा जाएगा।
- शुभ मुहूर्त-सुबह11:44 से 12:31 मिनट तक रहेगा।
- संकष्टी चतुर्थी पर कृत्तिका नक्षत्र बन रहा है, जो शाम 5 :31 मिनट तक है।
- इस दिन सिद्ध योग भी रहेगा, जो शाम 5:41 मिनट तक रहने वाला है।
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Sankashti Chaturthi 2025
- फोटो : freepik
पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन एक साफ चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
- अब गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें और उन्हें तिलक लगाएं।
- इसके बाद प्रभु को दूर्वा चढ़ाएं, इससे वह प्रसन्न होते हैं
- अब घी का दीपक जलाएं और प्रभु को फूल माला पहनाएं।
- अब मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
- गणेश चालीसा का पाठ करें।
- अंत में गणेश जी की आरती करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
Sankashti Chaturthi 2025
- फोटो : freepik
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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