Shiv Panchakshar Mantra Significance: हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान भोलेनाथ का मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करने से पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु जैसे पांच तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है। यह मंत्र मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है और समस्त वेदों का सार है। इस मंत्र के प्रत्येक अक्षर में अद्भुत शक्ति निहित है। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने पंचाक्षर स्तोत्र की रचना की, जिसमें इस पंचाक्षर (न, म, शि, व, य) की महिमा का वर्णन किया गया है। यदि इस स्तोत्र का नियमित रूप से सच्चे मन से पाठ किया जाए, तो असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं। आप महाशिवरात्रि के दिन से इस स्तोत्र का पाठ शुरू कर सकते हैं। यहां जानें शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ और पूरा शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम।
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर जरूर करें इस पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ, पद प्रतिष्ठा में होगी वृद्धि
Shiv Panchakshar Mantra Meaning: भगवान भोलेनाथ का मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करने से पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु, ये पांचों तत्व नियंत्रित किए जा सकते हैं। इसे मोक्ष प्रदान करने वाला और सभी वेदों का सार माना जाता है। इस मंत्र के प्रत्येक अक्षर में अद्भुत शक्ति निहित है। इस पंचाक्षर मंत्र के हर अक्षर की महिमा का वर्णन करने के लिए जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने पंचाक्षर स्तोत्र की रचना की थी।
पंचाक्षर मंत्र के लाभ
पंचाक्षर मंत्र "ऊँ नमः शिवाय" भगवान शिव का एक प्रमुख मंत्र है, जो पांच अक्षरों से मिलकर बना है। इसका नियमित जाप करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है। यह मंत्र जीवन की चुनौतियों और दुखों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है, साथ ही यह सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन भी प्रदान करता है।
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय॥॥
मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।
मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय॥॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय॥॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय॥॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय॥॥
पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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