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Indira Ekadashi 2020: कब है इंदिरा एकादशी व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त, व्रत विधि और कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: रुस्तम राणा Updated Fri, 04 Sep 2020 05:58 AM IST
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Indira Ekadashi 2020 date muhurat, vrat vidhi and katha
इंदिरा एकादशी 2020 - फोटो : Rohit Jha

Indira Ekadashi 2020: इंदिरा एकादशी आश्विन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं। यह एकादशी श्राद्ध पक्ष में पड़ती हैं इसलिए इसे श्राद्ध एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से पितृपक्ष में इस एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि अगर कोई पितर भूलवश अपने पाप के कर्मों के कारण यमराज के दंड का भागी रहता है तो उसके परिजन के द्वारा इस एकादशी का व्रत करने पर उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इंदिरा एकादशी 2020 - फोटो : अमर उजाला

कब है इंदिरा एकादशी?
Indira Ekadashi 2020 kab hai: इस साल इन्दिरा एकादशी 13 सितंबर को पड़ रही है। इंदिरा एकादशी के दिन पितरों एवं भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखा जाता है और यह व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में खोला जाता है।

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Indira Ekadashi 2020 date muhurat, vrat vidhi and katha
इंदिरा एकादशी पूजा मूहूर्त - फोटो : Social media
इंदिरा एकादशी पूजा मूहूर्त
एकादशी प्रारम्भ: 13 सितंबर की सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर
एकादशी समाप्त: 14 सितंबर की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
पारण का समय: 14 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शाम 03 बजकर 27 मिनट तक
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एकादशी व्रत में स्नान करते श्रद्धालु - फोटो : अमर उजाला

इंदिरा एकादशी व्रत- पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। 
  • इसके बाद अपने पितरों का श्राद्ध करें। 
  • भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करें। 
  • ब्राह्मण को फलाहार का भोजन करवायें और उन्हें दक्षिणा दें। 
  • इस दिन इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनें।
  • एकादशी व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में खोलें।
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इंदिरा एकादशी - फोटो : सोशल मीडिया

इंदिरा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इंदिरा एकादशी व्रत कथा का महत्व धर्मराज युद्धिष्ठर को बताया था। उनके अनुसार, सतयुग के समय की बात है। इंद्रसेन नाम का एक राजा था जिसका महिष्मति राज्य पर शासन था। राजा के राज्य में सभी प्रजा सुखी थी और राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक बार राजा के दरबार में देवर्षि नारद पहुंचे तब राजा ने उनका स्वागत सत्कार किया और आने का कारण पूछा। 

तब देवर्षि नारद ने बताया कि मैं यम से मिलने यमलोक गया था, वहां मैंने तुम्हारे पिता को देखा। वहां वह अपने पूर्व जन्म में एकादशी व्रत के खण्डित होने का दंड भोग रहे हैं। उन्हें तमाम तरह की यातनाएं झेलनी पड़ रही है। इसके लिए उन्होंने आपसे इंदिरा एकादशी का व्रत करने को कहा है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। तब राजा ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में जानकारी देने को कहा। देवर्षि ने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत की विधि के पालन के बारे में बताया, जिससे उनके पिता की आत्मा को शांति मिली और बैकुंठ की प्राप्ति हुई।
 

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