रुद्राक्ष को जन कल्याण के लिए भगवान शंकर ने अपने अश्रुओं से उत्पन्न किया है। कहा जाता है कि रूद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। जो व्यक्ति किसी भी रूप में रूद्राक्ष धारण कर लेता है उसकी समस्याओं का निवारण स्वतः ही होने लगता है, तथा वह समस्त प्रकार के संकटों एवं नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है। शास्त्रों के अनुसार इसे धारण करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।रूद्राक्ष के मुखों के अनुसार पुराणों मे इसका महत्व तथा उपयोगिता का उल्लेख मिलता है।
जानिए रुद्राक्ष का महत्व और किस रुद्राक्ष को धारण करने से क्या होता है फायदा
एकमुखी रूद्राक्ष-
पुराणों मे एकमुखी रूद्राक्ष को साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है जो सर्वश्रेष्ठ है। यह चैतन्य स्वरूप पारब्रह्म का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का अभाव नही रहता तथा जीवन में धन, यश, मान-सम्मान, की प्राप्ति होती रहती है तथा लक्ष्मी चिर स्थाई रूप से उसके घर में निवास करती है। एकमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से सभी प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक रोगों का नाश होने लगता है तथा उसकी समस्त मनोकामनाएं स्वतः पूर्णं होने लगती हैं।
दोमुखी रूद्राक्ष-
शास्त्रों में दोमुखी रूद्राक्ष को शिव-शक्ति का स्वरुप माना गया है। यह मान-सम्मान एवं बुद्धि को बढ़ाने वाला रुद्राक्ष है। इसे धारण करने से मन में शांति तथा चित्त में एकाग्रता आने से आध्यात्मिक उन्नति तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।
इस रूद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां समाहित होती हैं। यह परम शांति, खुशहाली दिलाने वाला रुद्राक्ष है। इसे धारण करने से घर में धन-धान्य, यश, सौभाग्य की वृद्धि होने लगती है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं। उनके लिए यह अत्यंत लाभकारी होता है।
चारमुखी रूद्राक्ष-
चारमुखी रूद्राक्ष को सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। यह मनुष्य को धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष देने वाला है। जो सज्जन वेद,पुराण तथा संस्कृत विषयों के अध्यन में रूचि रखते हैं,उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसे धारण करने वाले व्यक्ति की वाक शक्ति प्रखर तथा स्मरण शक्ति तीव्र हो जाती है और शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्ति अग्रणी हो जाता है।

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