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रामायण में छिपा है जीवन का सार, अपने जीवन को बना सकते हैं सुखी और सफल

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Sun, 21 Mar 2021 03:42 PM IST
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Life can be made successful by learning from Ramayana
भगवान श्रीराम (फाइल फोटो) - फोटो : Social Media

रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मनुष्य को जीवन की सीख देता है। रामायण में जहां भगवान राम को पुरूषोत्तम कहा गया है तो वही मां सीता की पवित्रता दर्शायी गई है। लक्ष्मण और भरत दोनों ही का अपने भाई के प्रति अथाह प्रेम दिखाया गया है। रामायण के हर एक चरित्र से कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है। यदि व्यक्ति रामायण को पूजने के साथ उससे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में अनुसरण करे तो वह एक सफल जीवन व्यतीत कर सकता है। रामायण की कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें हैं जिनमें जीवन का सार छिपा है। तो चलिए जानते हैं रामायण से मिलने वाली सीख के कुछ अंश...

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भगवान राम (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : Social media

धैर्य और गंभीर बनें
रामायण में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी तीनों ने ही चौदह वर्षों तक विपरीत परिस्थितियों में भी संयम के साथ समय व्यतीत किया। रामायण की इस बात से सीख मिलती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में संयम बरतना चाहिए। जो व्यक्ति सुख एवं दुख में संयम और धैर्य बनाए रखता है। वह विषम परिस्थितियों से लड़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। 

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भगवान राम और उनके भाई भरत (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : Social media

परिवार में एकता बनाएं रखें
जब प्रभु श्री राम को वनवास दिया गया तो उनके भाई लक्ष्मण सभी सुखों का त्याग करके उनके साथ वन को गए और अपने भ्राता श्री एवं भाभी को माता समान मानते हुए उनकी सेवा में चौदह वर्ष व्यतीत किए। तो वहीं भरत ने भगवान राम की खड़ाउ को सिंहासन पर रखकर उनको शासक मानते हुए राज-काज संभाला। इससे सीख मिलती है कि परिवार में सदैव एकता रखनी चाहिए। भाई यदि भाई के साथ हो तो विषम परिस्थितियों को भी आसानी से पार किया जा सकता है। इसलिए परिवार में प्रेम और एकता बनाएं रखने चाहिए। 

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राम सीता वन प्रस्थान

माता पिता की आज्ञा का करें पालन
अपने पिता की आज्ञा और वचन को निभाने के लिए चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार किया। इससे सीख लेनी चाहिए कि चाहे परिस्थितियां जैसी भी हो हर संतान को अपनी माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। माता पिता ही इस पृथ्वी पर लाते हैं और आपको जीवन जीने के योग्य बनाते हैं, इसलिए संतान वही योग्य है जो अपने माता पिता का ध्यान रखें और उनकी आज्ञा का पालन करे। माता-पिता के आशीर्वाद से कठिन परिस्थिति में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

एकता में शक्ति
जब रावण ने माता सीता का हरण किया तो राम जी उस समय अपना आत्मविश्वास नहीं डगमगाने दिया उन्होंने सभी को एकत्रित करके समुद्र पर सेतु की निर्माण किया और रावण का वध करके माता सीता को वापस लाए। इससे सीख मिलती है कि यदि योजना बनाकर एकता के साथ कार्य किया जाए तो कठिन से कठिन कार्य भी पूरा किया जा सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। 

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