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Narak Chaturdashi 2021: आज नरक चतुर्दशी, क्यों जलाया जाता है यम के नाम का दिया, ये है इसके पीछे का बड़ा कारण

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Wed, 03 Nov 2021 10:58 AM IST
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नरक चतुर्दशी पर क्यों जलाया जाता है यम के नाम का दिया - फोटो : istock

आज कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी मनाई जा रही है। इसे नरक चतुर्दशी,रूप चौदस, काली चौदस भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती है।  इसके बाद विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप  करते हुए यम का पूजन करती है।  



नरक चतुर्दशी पर तिल के तेल में दीपक जलाया जाता है और घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर इस दिए को रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं। इस दीपक को क्यों जलाया जाता है और इस पंरपरा का यमराज से क्या रिश्ता है। आइए  जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम पर क्यों जलता है दिया?

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नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा 

पुराणों में नरक चतुर्दशी से संबंधित एक कथा का उल्लेख है। उसके अनुसार एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण हरण करते समय किसी पर दया नहीं आती है। पहले यमदूत संकोच में पड़ गए और कहा कि नहीं महाराज। परंतु दोबारा आग्रह करने पर दूतों ने एक घटना का उल्लेख किया। उन्होंने आगे उस घटना का आगे उल्लेख करते हुए बताया, हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसके जन्म के बाद ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके राजा को बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी।

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यमुना नदी - फोटो : अमर उजाला

ब्रह्मचारी बनाकर किया राजकुमार का पालन पोषण 

यह जानने के पश्चात उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर उसका लालन पालन किया। एक दिन उसी यमुना तट के किनारे महाराज हंस की युवा पुत्री यमुना तट पर घूम रही थी। जब राजकुमार ने उस राजकुमारी को देखा तो वह उस पर मोहित हो गया और उन्होंने गंधर्व विवाह कर  लिया। 

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यमराज

विवाह के चार दिन बाद मृत्यु 

ज्योतिष गणना के अनुसार जैसे ही विवाह के बाद चौथा दिन पूरा हुआ राजकुमार की मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु देखकर राजकुमारी बिलख-बिलखकर विलाप करने लगी। यमदूतों ने यमराज को कहा कि महाराज उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा।

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यमराज ने बताया अकाल मृत्यु से छुटकारे का उपाय 

यमदूतों ने कहा कि उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे भी आंसू नहीं रुक पा रहे थे। तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? इस पर यमराज ने उन्हें एक उपाय के बारे में बताया। नरक चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को पूजन और दीपदान विधि-विधान के साथ करना चाहिए। जिस जगह नरक चतुर्दशी पर दीपदान किया जाता है वहां के लोगों को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है। इस कारण ही नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपदान करने की परंपरा है। 

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