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Nautapa 2025: नौतपा में करें ये छोटा सा काम, भगवान सूर्य के आशीर्वाद समेत मिलेंगे स्वास्थ्य लाभ

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Wed, 21 May 2025 02:16 PM IST
सार

Nautapa 2025: जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो अगले 9 दिनों तक गर्मी का तापमान चरम पर रहता है। इसे नौतप कहते हैं। 

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Nautapa 2025 Start Date and Significance know surya dev mantra and chalisa
Nautapa 2025 - फोटो : Adobe Stock

Nautapa 2025: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो अगले 9 दिनों तक गर्मी का तापमान चरम पर रहता है। इसे नौतप कहते हैं। बता दें, रोहिणी नक्षत्र के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं और जब ग्रहों के राजा सूर्य इस नक्षत्र में आते हैं तो उनके तप से चंद्रमा की शीतला कम हो जाती हैं। इस समय सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती है, जिससे तापमान बढ़ने लगता है।



इस वर्ष 25 मई 2025 को सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेंगे। वह इस नक्षत्र में 8 जून 2025 तक विराजमान रहेंगे। ऐसे में 25 मई 2025 से ही नौतपा की शुरुआत होगी। हिंदू धर्म में नौतपा को भगवान सूर्य की उपासना के लिए शुभ माना जाता है।

इस दौरान पूरे नौ दिनों तक रोजाना सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाने पर वह प्रसन्न होते हैं। इस दौरान आप सूर्य मंत्रों का जप अवश्य करें। इससे ऊर्जा की प्राप्ति और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। ऐसे में आइए इन मंत्रों को जानते हैं।

Nautapa 2025 Start Date and Significance know surya dev mantra and chalisa
Nautapa 2025 - फोटो : Adobe Stock
  • सूर्य ग्रह के 12 मंत्र
  • ॐ आदित्याय नमः।
  • ॐ सूर्याय नमः।
  • ॐ रवेय नमः।
  • ॐ पूषणे नमः।
  • ॐ दिनेशाय नमः।
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Nautapa 2025 - फोटो : Adobe Stock
  • ॐ सावित्रे नमः।
  • ॐ प्रभाकराय नमः।
  • ॐ मित्राय नमः।
  • ॐ उषाकराय नमः।
  • ॐ भानवे नमः।
  • ॐ दिनमणाय नमः।
  • ॐ मार्तंडाय नमः।
Nautapa 2025 Start Date and Significance know surya dev mantra and chalisa
Nautapa 2025 - फोटो : freepik
श्री सूर्य चालीसा
 दोहा
 
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।
 
चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।
 
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।
 
सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।
 
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।
 
मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,
 
आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।
 
चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।
 
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।
 
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।
 
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।
 
भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।
 
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।
 
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।
 
जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।
 
सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।
 
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।
 
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।
 
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।
 
परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।
 
भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।
 
दोहा
 भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।
                
        
                
         
        

                
        
                
         
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        डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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