Chhath Puja 2025 Kharna: छठ पूजा का पावन पर्व आज से आरंभ हो चुका है। आज इसका पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन 28 अक्तूबर को होगा, जब श्रद्धालु उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। कल यानी दूसरे दिन खरना की परंपरा होती है, जो छठ पर्व का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन व्रती गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन आम की लड़की से प्रसाद बनाने का क्या महत्व है।
Chhath Puja: इस लकड़ी से बनाना चाहिए खरना का महाप्रसाद, यहां पढ़ें चार दिन की रस्में और महत्व
Chhath Puja: छठ पर्व के दूसरे दिन खरना की परंपरा होती है। इस दिन व्रती गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन आम की लड़की से प्रसाद बनाने का क्या महत्व है।
मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी की परंपरा
खरना के दिन बनाया जाने वाला प्रसाद हमेशा मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है। इसके लिए केवल आम की लकड़ी का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि छठी मैया को आम की लकड़ी विशेष रूप से प्रिय होती है। आम की लकड़ी को शुद्ध, सात्विक और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना गया है। इसी कारण प्रसाद इसी लकड़ी से पकाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
खरना का महत्व
छठ पर्व का दूसरा दिन यानी खरना, पूर्ण पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। ‘खरना’ शब्द का अर्थ ही होता है, शुद्धता। इस दिन व्रती स्नान कर, शुद्ध वस्त्र धारण कर और पूरे वातावरण की स्वच्छता का ध्यान रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन से छठी मैया का घर में आगमन होता है। खरना की पूजा करने वालों को सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
खरना की विधि
- व्रती सुबह स्नान कर दिनभर व्रत रखते हैं और शाम को खरना की पूजा करते हैं।
- मिट्टी के नए चूल्हे पर गुड़, चावल और दूध से खीर तैयार की जाती है।
- इसके साथ गेहूं के आटे से बनी रोटी, पूरी या ठेकुआ बनाया जाता है।
- पहले छठी मैया को इस प्रसाद का भोग लगाया जाता है, फिर व्रती स्वयं इसे ग्रहण करते हैं।
खरना की पूजा के बाद व्रती अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ करते हैं, जो छठ पूजा के अंतिम अर्घ्य तक चलता है। खरना केवल एक रस्म नहीं, बल्कि आत्मसंयम, श्रद्धा और शुद्धता का प्रतीक है। यह दिन भक्त और छठी मैया के बीच गहरी आस्था और आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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