{"_id":"68fcac26695d89426d01fb75","slug":"gyan-panchami-2025-date-time-puja-importance-and-significance-2025-10-25","type":"story","status":"publish","title_hn":"Gyan Panchami 2025: 26 अक्तूबर को ज्ञान पंचमी,जानिए इस दिन का महत्व और पूजाविधि","category":{"title":"Religion","title_hn":"धर्म","slug":"religion"}}
Gyan Panchami 2025: 26 अक्तूबर को ज्ञान पंचमी,जानिए इस दिन का महत्व और पूजाविधि
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 25 Oct 2025 04:24 PM IST
विज्ञापन
सार
धार्मिक मान्यता है कि जिस प्रकार दीपावली की रात्रि भौतिक अंधकार को दूर करने का प्रतीक है, उसी प्रकार ज्ञान पंचमी आत्मिक अंधकार अर्थात अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। इस दिन ग्रंथों, कलम-दवात, पुस्तकें, वाद्य यंत्र और विद्या से जुड़ी वस्तुओं की पूजा की जाती है।
Gyan Panchami 2025
- फोटो : adobe
विज्ञापन
विस्तार
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान पंचमी या सौभाग्य पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के पांचवें दिन मनाया जाता है और विशेष रूप से जैन और हिंदू धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन ज्ञान, शिक्षा, विवेक और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती जी की उपासना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को विद्या, बुद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है। जैन धर्म के अनुसार, यह दिन ज्ञान के पुर्नजागरण का प्रतीक है। इस दिन जैन समाज के लोग धार्मिक ग्रंथों, आगमों और शास्त्रों की पूजा करते हैं और उन्हें शुद्ध करते हैं।
हिंदू मान्यता के अनुसार, यह दिन मां सरस्वती को समर्पित है। माता सरस्वती सृष्टि में ज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को उनकी विशेष पूजा करने से जीवन में अज्ञान का नाश होता है और विवेक की वृद्धि होती है। इस दिन विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार और विद्वान विशेष रूप से मां सरस्वती की आराधना करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि जिस प्रकार दीपावली की रात्रि भौतिक अंधकार को दूर करने का प्रतीक है, उसी प्रकार ज्ञान पंचमी आत्मिक अंधकार अर्थात अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। इस दिन ग्रंथों, कलम-दवात, पुस्तकें, वाद्य यंत्र और विद्या से जुड़ी वस्तुओं की पूजा की जाती है। जैन परंपरा में इसे शास्त्र पूजन दिवस भी कहा गया है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में ग्रंथों की सफाई कर उनका पूजन करते हैं। यह दिवस आत्मचिंतन, अध्ययन और ज्ञानार्जन के लिए समर्पित होता है।
ज्ञान पंचमी पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर या मंदिर के पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई कर वहां दीपक जलाएं। मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को श्वेत वस्त्र पर स्थापित करें और उन्हें चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप से पूजन करें।
हिंदू मान्यता के अनुसार, यह दिन मां सरस्वती को समर्पित है। माता सरस्वती सृष्टि में ज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को उनकी विशेष पूजा करने से जीवन में अज्ञान का नाश होता है और विवेक की वृद्धि होती है। इस दिन विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार और विद्वान विशेष रूप से मां सरस्वती की आराधना करते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
Shubh Vivah Dates 2025: देवउठनी एकादशी के साथ फिर बजेंगी शहनाई, यहां जानें इस साल के शुभ विवाह मुहूर्त
ज्ञान पंचमी का महत्वधार्मिक मान्यता है कि जिस प्रकार दीपावली की रात्रि भौतिक अंधकार को दूर करने का प्रतीक है, उसी प्रकार ज्ञान पंचमी आत्मिक अंधकार अर्थात अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। इस दिन ग्रंथों, कलम-दवात, पुस्तकें, वाद्य यंत्र और विद्या से जुड़ी वस्तुओं की पूजा की जाती है। जैन परंपरा में इसे शास्त्र पूजन दिवस भी कहा गया है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में ग्रंथों की सफाई कर उनका पूजन करते हैं। यह दिवस आत्मचिंतन, अध्ययन और ज्ञानार्जन के लिए समर्पित होता है।
ज्ञान पंचमी पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर या मंदिर के पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई कर वहां दीपक जलाएं। मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को श्वेत वस्त्र पर स्थापित करें और उन्हें चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप से पूजन करें।

कमेंट
कमेंट X