हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरी कृष्ण पक्ष में। प्रत्येक एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन कर नियम पूर्वक व्रत करना चाहिए। सनातन धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। अश्विन मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को पापकुंशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार पापकुंशा एकादशी 16 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रही है। मान्यतानुसार इस व्रत को करने से पापों का प्रायश्चिच होता है और व्यक्ति इस लोक के सुखों को भोगते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है। जानते हैं पापकुंशा एकादशी पारणा मुहूर्त, महत्व और पूजन की विधि।
Papankusha Ekadashi 2021: इस एकादशी का व्रत करने से होता है पापों का प्रायश्चित, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि
पापकुंशा एकादशी महत्व-
वर्ष में पड़ने वाली सभी 12 एकादशी तिथियों का अलग-अलग महत्व होता है। मान्यता है कि पापकुंशा एकादशी का व्रत नियम और निष्ठा के साथ करने से मन पवित्र होता है और मनुष्य में सद्गुणों का समावेश होता है। इस एकादशी के व्रत से पापों का प्रायश्चित होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से कठोर तप के समान फल की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रहकर भगपद पढ़ने का भी विधान है।
पापकुंशा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त और पारण का समय-
इस बार अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत 16 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार को किया जाएगा।
अश्विन मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से
अश्वनि मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 16 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्ति समय- 17 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर
एकदाशी व्रत पारण का समय- प्रातः 06 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 40 मिनट
एकादशी व्रत पूजन विधि-
- एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से ही शुरु हो जाते हैं, इसलिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
- एकदाशी तिथि को प्रातः उठकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
- कलश स्थापना करके उसके पास में आसन पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
- अब धूप-दीप और फल, फूल आदि से भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करें।
- एकदाशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को किया जाता है।
- द्वादशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजन करें।
- अब सात्विक भोजन बनाकर किसी ब्राह्मण को करवाएं और दान दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
- इसके बाद शुभ मुहूर्त में आप भी व्रत का पारण करें।

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