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हैरानी में ड़ाल देता है यह मंदिर, जब भक्त चढ़ाने आते हैं दूध
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: योगेश जोशी
Updated Wed, 13 Nov 2019 08:38 AM IST
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नौ ग्रहों हर देवी देवता के अधीन भी माने गए हैं
- फोटो : rahu ketu
भारत में जितने भी मंदिर हैं, सभी के पीछे कोई ना कोई तथ्य या मान्यता छिपी हुई है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर केरल के कीजापेरुमपल्लम गांव में स्थित हैं जिसे नागनाथस्वामी मंदिर या केति स्थल के नाम से भी जाना जाता है। कावेरी नदी के तट पर बसा यह मंदिर केतु देव को समर्पित है और इस मंदिर के मुख्य देव भगवान शिव है। भगवान शिव को नागनाथ भी कहा जाता है।
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भगवान शिव को नागनाथ भी कहा जाता है
भारतीय फलित ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह माने गए हैं। इनमें राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। राहु जहां सिर है वहीं केतु केवल धड़। पौराणिक कथा अनुसार राहु एक राक्षस है और वह बेहद बलशाली है। नौ ग्रहों में राहु कूटनीति, राजनीति, सट्टा, भ्रम और सत्ता पद का भी ग्रह माना गया है वहीं केतु मोक्षकारक और रहस्यमयी गुप्त विद्याओं का प्रदाय ग्रह माना गया है। दोनों ही ग्रह बहुत महत्वपूर्ण हैं और कलियुग में दोनों का ही प्रभाव माना गया है। कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष का भी निर्माण होता है। नौ ग्रहों हर देवी देवता के अधीन भी माने गए हैं। इसे आप नौ ग्रह और देवताओं का संबंध भी कह सकते हैं। राहु की शांति के लिए जहां शिव की आराधना का महत्व बताया गया है वहीं केतु के लिए गणेश जी की आराधना।
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राहु देव के ऊपर दूध चढ़ाया जाता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केतु देव के इस मंदिर में राहु देव के ऊपर दूध चढ़ाया जाता है और केतु दोष से पीड़ित व्यक्ति द्वारा चढ़ाया गया दूध नीला हो जाता है।
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भगवान शिव की अराधना
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए केतु देव ने भगवान शिव की अराधना प्रारंभ की। शिवरात्रि के पवित्र दिन भगवान शिव ने केतु को दर्शन दिए और उसे श्राप मुक्त कर दिया।
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केतु का धड़ सांप का और सिर मनुष्य का होता है
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार केतु को सांपों का देवता भी कहा जाता है क्योंकि उसका धड़ सांप का और सिर मनुष्य का होता है।
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