सबरीमाला भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। प्रतिदिन लाखों की तादाद में लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। 18 पहाड़ियों के बीच में बसा यह मंदिर भारत के केरल जिले के सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी का मंदिर है और यह मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। इस समय यह मंदिर महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी चर्चाओं में है। आइए, आज जानते हैं, अय्यप्पा स्वामी के मंदिर की मान्यताएं...
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सबरीमाला मंदिर: भगवान विष्णु और शिव के पुत्र अयप्पा से जुड़ी 5 मान्यताएं
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: योगेश जोशी
Updated Thu, 14 Nov 2019 05:31 PM IST
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सबरीमाला मंदिर सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक है
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सबरीमाला मंदिर के पास के घने अंधेरे में एक ज्योति दिखाई देती है
मकर ज्योति
मकर संक्रांति की रात्रि में सबरीमाला मंदिर के पास के घने अंधेरे में एक ज्योति दिखाई देती है। इस ज्योति के दर्शन मात्र के लिए करोड़ों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस देव ज्योति को भगवान प्रज्वलित करते हैं।
मकर संक्रांति की रात्रि में सबरीमाला मंदिर के पास के घने अंधेरे में एक ज्योति दिखाई देती है। इस ज्योति के दर्शन मात्र के लिए करोड़ों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस देव ज्योति को भगवान प्रज्वलित करते हैं।
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सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है
- फोटो : PTI
महिलाओं के प्रवेश पर रोक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इस वजह से यहां पर 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। छोटी बच्चियां जिनका मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ हो, या ऐसी औरतें जो मासिक धर्म से मुक्त हो चुकी हैं, उनके प्रवेश पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इस वजह से यहां पर 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। छोटी बच्चियां जिनका मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ हो, या ऐसी औरतें जो मासिक धर्म से मुक्त हो चुकी हैं, उनके प्रवेश पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है।
श्री अयप्पा भगवान विष्णु और शिव के पुत्र हैं
भगवान विष्णु और शिव के पुत्र हैं श्री अयप्पा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अयप्पा को भगवान विष्णु और शिव का पुत्र कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अयप्पा को भगवान विष्णु और शिव का पुत्र कहा जाता है।
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मांस- मछली का त्याग
दर्शन से पहले मांस- मछली का त्याग
यहां दर्शन करने वाले भक्त दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन करना छोड़ देते हैं।
यहां दर्शन करने वाले भक्त दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन करना छोड़ देते हैं।

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