हिंदू धर्म में सभी तरह के शुभ कार्यो से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। बिना गणेश पूजन के किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं होती है, इसलिए गणेश जी को मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता भी बोलते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। आइए, आज हम आपको बताते है चंद्रमा को अर्ग्य क्यों दिया जाता है....
Sankashti Chaturthi 2019: जानिए गणेश पूजा के बाद क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य
श्री गणेश की प्राकृतिक कथा का वर्णन ब्रह्मपुराण में है। उसमें लिखा है कि मां पार्वती ने अपने देश की मेल से भगवान गणेश का सृजन किया और उन्हें द्वार पर बिठाकर स्नान करने चली गई। तभी वहां उनके पति शिव जी आ गए और गणेश ने मां की आज्ञा अनुसार शिव जी को अंदर नहीं जाने दिया।
इस पर शिवजी क्रोधित हो गए और गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। गणेश जी का सिर चंद्रमा पर जाकर टिक गया। बाद में शिव जी ने नवजात हाथी का सिर गणेश जी को लगा दिया। गणेश जी का सिर चंद्रमा पर सुशोभित हो गया, तभी से चंद्रमा को अर्घ्य देने की मान्यता भी हुई। अगली स्लाइडस में जानिए, किस मंत्र का जाप करने से गणपति जी प्रसन्न होते हैं और संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि...
यह मंत्र गणपति महाराज को समर्पित है। इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में निराशा नहीं रहती है। कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटती है। इस मंत्र के जाप से घर में खुशहाली का वातावरण बना रहता है। व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति करता है। व्यक्ति के शरीर की सुंदरता बढ़ती है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और स्नान करके साफ लाल, पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। भगवान गणपति की प्रतिमा पर लाल रंग के कपड़े पहनाएं और भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करना चाहिए। भगवान गणपति को लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं और उनकी प्रतिमा के सामने दिया जलाएं। भगवान गणेश की पूजा में गणेश जी को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।

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