Vrischika Sankranti 2024: ज्योतिष में सूर्य ग्रह का विशेष रूप से महत्व है। सूर्य ग्रह किसी भी राशि में लगभग 30 दिनों तक विराजमान रहेंगे। जिस दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं, उस दिन संक्रांति मनाई जाती है।। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की पूजा करते हैं, उन्हें समाज में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। आपकी किस्मत भी अच्छी रहेगी और आप किसी भी काम में सफलता प्राप्त करेंगे।
Vrischik Sankranti 2024: वृश्चिक संक्रांति आज, जानें शुभ मुहूर्त , योग और नियम
Vrishchik Sankranti 2024: सूर्य देव की पूजा के अलावा संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से भी पुण्य मिलता है। नवंबर के महीने में सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं और इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है।
वृश्चिक राशि में संक्रांति कब है?
आत्मा का कारक ग्रह सूर्य नवंबर माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अपनी राशि परिवर्तित करेंगे। 16 नवंबर 2024 को प्रातः 7:41 बजे सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे और 15 दिसंबर 2024 तक वहीं रहेंगे। हालांकि, इस दौरान सूर्य दो बार नक्षत्र परिवर्तन भी करेंगे । सबसे पहले 19 नवंबर 2024 को सूर्य अनुराधा नक्षत्र में गोचर करेंगे, फिर 2 दिसंबर 2024 को ज्येष्ठा नक्षत्र में गोचर करेगा। इसलिए इस साल वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर को मनाई जाएगी।
वृश्चिक संक्रांति के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- प्रातः 11:44 से लेकर दोपहर 12:27 तक
अमृत काल- सायं 05:18 से लेकर सायं 06:44 तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात:05:13 से लेकर प्रातः 06:01 तक
पुण्य काल- प्रात: 06:45 से लेकर प्रातः 07:41 तक
राहु काल- प्रात: 9:27 से लेकर प्रात:10:46 तक
वृश्चिक संक्रांति के शुभ योग
वृश्चिक संक्रांति बेहद खास है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। वृश्चिक संक्रांति पर परिघ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का अभ्यास किया जाता है। साथ ही इस दिन बेहद खास शिववास योग भी बन रहा है।
वृश्चिक संक्रांति पर क्या करें ?
- वृश्चिक संक्रांति के दिन उबटन करके स्नान करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इसे आत्म शुद्धि और पाप का नाश होता है।
- इस दिन पुराने कपड़े, तिल, खिचड़ी, तेल और धन का दान करना बहुत अच्छा माना जाता है। सद्गुणों के बढ़ने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
- तिल, तिल के लड्डू और तिल से बने अन्य उत्पादों का सेवन करने से आशाजनक परिणाम मिलते हैं। तिल को सूर्य देव की पूजा का हिस्सा माना जाता है और इसे समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
- वृश्चिक संक्रांति विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर हो सकती हैं। भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- संक्रांति के दिन सूर्य पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। यह विशेष रूप से जीवन में स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
- इस दिन सूर्य मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को बुरे समय से छुटकारा मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। सूर्य मंत्रों का जाप करने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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