Gita Shlok For End Of Sorrows: भगवान कृष्ण ने गीता का पाठ अर्जुन को तब पढ़ाया था, जब उनके कदम युद्ध के लिए डगमगाने लगे थे। फिर श्रीकृष्ण की बातों को सुनकर अर्जुन अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर अग्रसर हुए। तभी से ऐसा माना गया है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य को हमेशा गीता के उपदेशों का स्मरण करना चाहिए। गीता संपूर्ण जीवन दर्शन है और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि मन का परिवर्तन करने से ही दुखों का अंत होता है।
Bhagavad Gita Shlok: मन परिवर्तन कर दुखों का अंत करती हैं गीता में लिखी ये पांच बातें, आप भी करें इनका पालन
Gita Gyan: हिंदू धर्म में गीता को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गीता के अनमोल वचन मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों का वर्णन है जो उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए थे। गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, कि अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दो, अपने मन को समझाओ क्योंकि तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारे दुखों का अंत है।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, कि केवल डरपोक और कमजोर लोग ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही रहते।
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गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं शरीर नश्वर हैं पर आत्मा अमर है। यह तथ्य जानने पर भी व्यक्ति अपने इस नश्वर शरीर पर घमंड करता है जो कि बेकार है, शरीर पर घमंड करने की बजाय मनुष्य को सत्य स्वीकार करना चाहिए।
4. धर्म और मर्यादा
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, कि क्रोध तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए और सहनशीलता तब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाए।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुम अपने आपको भगवान को अर्पित कर दो। यही सबसे उत्तम सहारा है, जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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