सब्सक्राइब करें

Year Ender 2025: ट्रंप की सत्ता में वापसी से लेकर जापान में पहली महिला PM, इस साल बदले कई वैश्विक शक्ति समीकरण

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला। Published by: निर्मल कांत Updated Wed, 31 Dec 2025 04:53 PM IST
सार

Year Ender 2025:  साल 2025 कई देशों के लिए राजनीतिक रूप से उथल-पुथल भरा रहा, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने दूसरी बार सत्ता में आकर कड़े फैसले लिए, वहीं सनाए ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। दक्षिण एशिया की बात करें तो नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद केपी शर्मा ओली सरकार का पतन हुआ। 

विज्ञापन
year ender 2025 trump return white house to japan first female pm global power shift
साल 2025 में बदले वैश्विक शक्ति समीकरण - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
साल 2025 का आज अंतिम दिन है और नए साल का आगमन हो रहा है। ऐसे में सालभर के राजनीतिक घटनाक्रम पर भी नजर डालना जरूरी है। इस साल जहां अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार व्हाइट हाउस की कमान  संभाली, वहीं जापान को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली। दूसरी ओर दुनिया के कई देशों में सियासी उथल-पुथल देखने को मिली। कई देशों में प्रदर्शनों के चलते सरकार गिर गई। आइए विस्तार से जानते हैं-
Trending Videos
year ender 2025 trump return white house to japan first female pm global power shift
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : एएनआई (फाइल)
ट्रंप 2.0: राजनीति में नाटकीय वापसी
जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप का व्हाइट हाउस में लौटना साल की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना बन गई। चार साल बाद डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार की विदाई हुई और अमेरिका की अंदरूनी और वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव की शुरुआत हुई। अमेरिकी मीडिया ने इसे 'नाटकीय राजनीतिक वापसी' कहा। ट्रंप की जीत में महंगाई, प्रवासन की चुनौतियां और बाइडन प्रशासन के विदेशी मामलों के प्रबंधन से लोगों की नाराजगी सबसे बड़ा कारण रही।

'अमेरिका फर्स्ट रीसेट' के नारे के साथ चुनाव प्रचार करते हुए ट्रंप ने लोगों की आर्थिक चिंताओं को मुद्दा बनाया और कई अहम राज्यों में चुनावी नक्शा ही बदल दिया। व्हाइट हाउस में लौटते ही ट्रंप ने अपनी सत्ता मजबूत करना शुरू कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों में अपने समर्थकों को नियुक्त किया, आव्रजन (इमिग्रेशन) पर कड़े नियम लागू किए और बाइडन के जलवायु और नियम संबंधी फैसलों को तेजी से हटाया। कई वर्षों से चली आ रही विदेशी सहायता योजनाएं कुछ ही हफ्तों में रोक दी गईं, जिससे यूरोप में हलचल मच गई। 

ट्रंप का दूसरा कार्यकाल केवल नीतियों में बदलाव नहीं, बल्कि राष्ट्रपति की ताकत के व्यापक विस्तार का प्रतीक भी रहा। ओवल ऑफिस में सोने की सजावट, ईस्ट विंग को ध्वस्त कर विशाल बॉलरूम बनाना, सरकारी भवनों पर अपना नाम और तस्वीर लगाना और अपने जन्मदिन को राष्ट्रीय पार्कों में अवकाश घोषित करना- यह सब उनके सत्ता प्रेम को दर्शाता है। करीब 250 साल बाद अमेरिका अब किसी एक व्यक्ति केंद्रित ताकत के सबसे करीब दिखाई देने लगा है। ढाई सौ साल पहले अमेरिका में राजशाही शासन को खारिज कर दिया गया था। 
विज्ञापन
विज्ञापन
year ender 2025 trump return white house to japan first female pm global power shift
सनाए ताकाइची - फोटो : एक्स/सनाए ताकाइची
सनाए ताकाइची: जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री
नवंबर 2025 में सनाए ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचा। उनकी जीत का असर घरेलू शेयर बाजारों में भी देखा गया। ताकाइची ने 465 सीटों वाले निचले सदन की पहले चरण में ही 237 वोट हासिल किए, जिससे दोबारा चुनाव की जरूरत ही नहीं पड़ी। उनका चुनाव उस समय हुआ जब सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और जापान इनोवेशन पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाने का समझौता किया। ताकाइची ने प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा का स्थान लिया और जुलाई के चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद तीन महीने से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध को खत्म किया। केवल एक साल तक प्रधानमंत्री रहे इशिबा ने अपने कैबिनेट के साथ इस्तीफा दिया, जिससे ताकाइची के लिए रास्ता साफ हो गया।

समारोह के दौरान ताकाइची ने कहा, इस समय राजनीतिक स्थिरता बेहद जरूरी है। बिना स्थिरता के हम मजबूत अर्थव्यवस्था या कूटनीति के लिए कदम नहीं उठा सकते। हालांकि ताकाइची उन जापानी नेताओं में हैं, जिन्होंने महिलाओं के उत्थान के कई कदमों का विरोध किया है। वह शाही परिवार में केवल पुरुष उत्तराधिकार का समर्थन करती हैं, समलैंगिक विवाह का विरोध करती हैं और शादीशुदा जोड़ों को अलग-अलग उपनाम रखने की अनुमति नहीं देना चाहतीं। ताकाइची दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शिष्य मानी जाती हैं और इस बात की संभावना है कि वह उनकी नीतियों का पालन करेंगी, जिसमें सेना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और जापान के शांतिप्रिय संविधान में बदलाव करना शामिल है। ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की प्रशंसक और खुद को जापान की 'आयरन लेडी' कहने वाली ताकाइची अपने कड़े रूढ़िवादी विचारों के कारण आलोचना का सामना कर रही हैं। उनके विरोधियों ने उन्हें 'तालिबान ताकाइची' भी कहा।

ताकाइची इतिहास में बदलाव करने की समर्थक हैं, चीन के प्रति कड़ा रुख रखती हैं और अक्सर यासुकुनी श्राइन का दौरा करती हैं, जो सैन्यवाद का प्रतीक है। हाल ही में ताकाइची की विदेश नीति ने चीन को नाराज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो यह जापान के अस्तित्व के लिए संकट हो सकता है और संभवतः सैन्य कार्रवाई की जा सकती है। इस बयान ने जापान की ताइवान नीति की लंबे समय से चली आ रही अस्पष्टता को तोड़ दिया और कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया। चीन, जो ताइवान को अपने अधीन मानता है, ने आक्रोश में आकर ताकाइची से इस बयान को वापस लेने की मांग की और जापान पर आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया। चीनी विदेश मंत्री ने इसे 'चौंकाने वाला' और 'लक्ष्मण रेखा पार करने वाला' बताया।
year ender 2025 trump return white house to japan first female pm global power shift
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू - फोटो : एक्स@netanyahu
बेंजामिन नेतन्याहू: युद्ध के बीच सत्ता पर नियंत्रण
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 2025 में अपने करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में देश की कमान संभाली। इस साल इस्राइल कई मोर्चों पर संघर्ष में था, जिसे अधिकारियों ने 'सात-मोर्चे का युद्ध' तक बताया। गाजा में संघर्षविराम, घरेलू प्रदर्शन और गठबंधन में विवादों के बावजूद नेतन्याहू ने सुरक्षा तंत्र और राजनीतिक पर मजबूत पकड़ बनाए रखी। एएफपी के मुताबिक, नेतन्याहू ने जनता की नाराजगी और जांचों का सामना 'युद्धकाल में एकता' की कूटनीतिक चाल के जरिये किया और सत्ता में बने रहे।

मुख्य युद्ध क्षेत्र गाजा रहा, जहां हामास के साथ इस्राइल का युद्ध 2025 तक जारी रहा। अक्तूबर में संघर्षविराम लागू होने से पहले दोनों पक्षों में लगातार संघर्ष चला। वेस्ट बैंक में भी इस्राइली बलों ने रोजाना हमास, फलस्तीनी इस्लामी जिहाद और अन्य हथियारबंद समूहों के खिलाफ अभियान चलाए। उत्तर में लेबनान में हिज्बुल्लाह के साथ तनाव उच्च स्तर पर बना रहा। 2024 के अंत में संघर्षविराम होने के बावजूद सीमा पार घटनाएं और इस्राइली हमले 2025 में भी जारी रहे। 

जून 2025 में इस्राइल और ईरान के बीच सीधी लड़ाई हुई, जिसमें मिसाइल और हवाई हमले शामिल थे। संघर्षविराम के बाद ही स्थिति शांत हुई। सीरिया में भी इस्राइल ने 2025 में मुख्य रूप से ईरान से जुड़े लक्ष्यों और हथियार मार्गों को निशाना बनाते हुए नियमित हवाई हमले जारी रखे। यमन भी एक नया मोर्चा बना, जहां हूती विद्रोहियों ने मिसाइल और ड्रोन हमले किए और लाल सागर में नौवहन बाधित किया। इस्राइल ने 2025 के मध्य में जवाबी हवाई हमले किए। बेंजामिन नेतन्याहू का कई मोर्चों पर संघर्ष के बाद भी राजनीतिक रूप से सुरक्षित रहना कई विशेषज्ञों के लिए हैरान करने वाला था।
 
विज्ञापन
year ender 2025 trump return white house to japan first female pm global power shift
अहमद अल-शरा, शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान - फोटो : एएनआई/डब्ल्यूएएम
अहमद अल-शरा: सीरिया को मुख्य धारा में लाने की कोशिश
दिसंबर 2024 में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद अहमद अल-शरा सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति बने। उन्होंने देश को राजनीतिक, संस्थागत और कूटनीतिक रूप से फिर से मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए। दशकों तक अलगाव में रहे सीरिया को अब वह क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर लौटाने की कोशिश कर रहे हैं। अल-शरा पहले उस इस्लामी विद्रोही गठबंधन के नेता थे जिन्होंने असद को सत्ता से हटाने में मदद की थी। अब उन्होंने देश की व्यवस्था सुधारने, कूटनीति मजबूत करने और संस्थागत बदलाव लाने का तरीका अपनाया, ताकि सीरिया फिर से दुनिया के मुख्य खिलाड़ी बन सके।

असद के हटने के तुरंत बाद अल-शरा को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया गया। उन्होंने पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने संविधान को निलंबित किया, बाथ पार्टी को समाप्त किया और सेना व सुरक्षा तंत्र का पुनर्गठन किया। सरकार की खाली जगह भरने के लिए अस्थायी विधान परिषद बनाई गई। उनकी रणनीति का मुख्य हिस्सा संस्थागत सुधार रहा। घरेलू राजनीतिक सुधार भी शुरू किए गए। फरवरी 2025 में उन्होंने राष्ट्रीय संवाद सम्मेलन बुलाया, जिसमें राष्ट्रीय एकता, सांविधानिक बदलाव जैसी चीजों पर चर्चा की गई। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी अल-शरा ने सक्रिय कूटनीति की। विश्लेषकों के अनुसार, सीरिया ने एक साल में उतने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ संबंध बनाए जितना असद के शासन में कभी नहीं हुए। उन्होंने क्षेत्रीय ताकतों के साथ संबंध बनाए और बहुपक्षीय मंचों में हिस्सा लिया जो पहले सीरिया के लिए बंद थे। उच्चस्तरीय संयुक्त राष्ट्र भाषण और व्हाइट हाउस का ऐतिहासिक दौरा यह दर्शाता है कि सीरिया धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल रही है। अल-शरा 1946 में देश की स्वतंत्रता के बाद व्हाइट हाउस जाने वाले पहले सीरियाई नेता बने।
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed