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Year Ender 2025: कहीं संघर्ष थमा तो कहीं तय हुई सीमाएं.., इन समझौतों ने खींचा पूरी दुनिया का अपनी ओर ध्यान

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Published by: निर्मल कांत Updated Wed, 31 Dec 2025 05:25 PM IST
सार

साल 2025 का आज अंतिम दिन है। इस साल दुनिया के कई हिस्सों में हिंसक झड़पें और तनाव जारी रहा। वहीं, कई समझौतों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। चाहे वह गाजा शांति समझौता हो या कांगो-रवाडा समझौता या एशिया में कंबोडिया-थाईलैंड युद्धविराम। इन समझौतों से दुनिया में एक बार फिर शांति की उम्मीदें भी जगी हैं। आइए विस्तार से जानते हैं, इस साल कौन-कौन से अहम अंतरराष्ट्रीय समझौते हुए।

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year ender 2025 top global agreements peace treaties and strategic deals
साल 2025 में हुए कई महत्वपूर्ण समझौते - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
साल 2025 अंतरराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा और वैश्विक सहयोग के लिहाज से बेहद अहम रहा। इस वर्ष कई ऐसे समझौते और संधियां हुईं, जिन्होंने न केवल देशों के बीच संबंधों को नया आयाम दिया, बल्कि वैश्विक स्थिरता, मानवता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी दिशा तय की। पश्चिम एशिया में गाजा शांति समझौता ने इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष को रोकने और नागरिक जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया, जबकि आर्मेनिया-अजरबैजान और कांगो-रवांडा शांति समझौते ने दशकों से चले आ रहे संघर्षों को समाप्त करने और सीमा क्षेत्रों में स्थिरता लाने की कोशिश की। एशियाई क्षेत्र में कंबोडिया-थाईलैंड युद्धविराम समझौता ने सीमा पर बढ़ते तनाव और सैनिक गतिरोध को कम करने में मदद की। इस साल कौन-कौन से महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौते हुए हैं, आइए विस्तार से जानते हैं-
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गाजा में तबाही का मंजर - फोटो : पीटीआई (फाइल)
गाजा शांति समझौता 
अक्तूबर 2023 में हमास के हमले के बाद इस्राइल ने पूर्ण पैमाने का युद्ध शुरू किया। यह युद्ध दो साल से भी अधिक समय तक चला। इस दौरान 70 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए। हमास के हमले में 1400 से ज्यादा इस्राइली और अन्य देशों के नागरिक मारे गए थे। वहीं, कई लोगों को हमास गाजा पट्टी ले गया था, जिन्हें युद्ध के दौरान बंदी बनाकर रखा गया। इस साल इस युद्ध पर विराम लग गया जब शांति समझौता हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य लंबे समय से चल रहे इस्राइल-हमास संघर्ष को रोकना और मानवीय स्थिति को सुधारना था। गाजा पट्टी में युद्ध से हजारों नागरिक प्रभावित हुए, बुनियादी सुविधाएं नष्ट हुईं और जीवन संकट में पड़ा। अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवीय संकट के कारण संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने मध्यस्थता के लिए पहल की। अमेरिका, विशेषकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ने इस्राइल और हमास के बीच वार्ता कराई और शांति समझौते का प्रस्ताव तैयार किया। समझौते के तहत तीन मुख्य चरण तय किए गए: पहला चरण युद्धविराम और बंधकों का आदान‑प्रदान, दूसरा चरण गाजा के पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता की सुविधा और तीसरा चरण स्थायी शांति और शासन व्यवस्था पर बातचीत।

इस समझौते की प्रक्रिया मिस्र में हुई, जहां दोनों पक्षों ने अपनी शर्तें रखीं और मध्यस्थों की मदद से समाधान खोजने की कोशिश की। इस्राइल ने सुरक्षा और आतंकवाद रोधी उपायों पर जोर दिया, जबकि हमास ने गाजा में राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण बनाए रखने की मांग की। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मानवीय मदद पहुंचाने, घायलों और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने और संघर्ष विराम लागू कराने में सहायता की। समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर नौ अक्तूबर, 2025 को हुए। इसके अगले दिन 10 अक्तूबर को यह समझौता लागू हुआ।
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विश्व स्वास्थ्य सभा (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : फ्रीपिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन महामारी समझौता 
इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) महामारी समझौता हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य भविष्य में होने वाली महामारियों की रोकथाम, उनकी तैयारी और तेज प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। यह समझौता कोविड‑19 महामारी के समय सामने आई कमजोरियों और असमानताओं के कारण हुआ। उस समय दुनिया के कई देशों में टीकों, परीक्षणों और अन्य स्वास्थ्य संसाधनों की उपलब्धता में भारी अंतर था। इन अनुभवों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों ने 2021 में एक अंतर‑सरकारी वार्ता निकाय (आईएनबी) बनाई ताकि महामारी की तैयारियों और जवाबदेही पर आधारित एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता तैयार किया जा सके।

समझौते की वार्ता कई वर्षों तक चली और 20 मई 2025 को डब्ल्यूएचओ की 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में यह औपचारिक रूप से अपनाया गया। इस समझौते में देशों के बीच सहयोग बढ़ाने, संसाधनों और जानकारी का साझा उपयोग करने, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाने और अनुसंधान‑विकास के क्षेत्र में सहयोग करने जैसी अहम योजनाएं शामिल हैं। इस समझौते का लक्ष्य वैश्विक स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिए समानता, पारदर्शिता और सहयोग को बढ़ाना है। 
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कंबोडिया और थाईलैंड के बीच संघर्ष विराम - फोटो : एएनआई (फाइल)
कंबोडिया–थाईलैंड युद्धविराम समझौता
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हिंसक झड़प को रोकने के लिए इस साल दो युद्धविराम समझौते हुए। दोनों देशों के बीच दशकों से प्रीह विहार मंदिर और आसपास के क्षेत्रों को लेकर सीमा विवाद रहा है। जुलाई में सीमा पर झड़पें हुईं जिनमें 33 लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए थे, जिसमें दोनों देशों के सैनिक और नागरिक शामिल थे। 28 जुलाई 2025 को दोनों पक्षों ने एक तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम पर सहमति जताई। इस समझौते का उद्देश्य सीमा पर चल रही झड़पों को रोकना और बातचीत के माध्यम से स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना था। दोनों पक्षों ने इस समझौते के तहत सैनिक गतिविधियां रोकने, गोलीबारी बंद रखने और विवादित क्षेत्रों में किसी भी नुकसान को टालने का वादा किया।

हालांकि यह पहला समझौता कुछ ही समय के लिए लागू रहा, लेकिन सीमा पर विवाद और झड़पें फिर से बढ़ गईं, जिससे यह समझौता टूट गया। दिसंबर 2025 की झड़पों में दोनों पक्षों की ओर से 101 लोग मार गए। आरोप‑प्रत्यारोप और नए हमलों के बाद दोनों पक्षों ने फिर से बातचीत करने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, 27 दिसंबर 2025 को एक दूसरा युद्धविराम समझौता हुआ। इस नए समझौते में भी सैन्य गतिविधियां स्थिर रखने, हिंसा रोकने और बातचीत जारी रखने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही थाईलैंड ने यह वादा किया कि यदि युद्धविराम शांतिपूर्ण तरीके से लागू रहता है, तो वह अपनी कैद में रखे गए कंबोडियाई सैनिकों को रिहा करेगा। इन दोनों समझौतों का मुख्य उद्देश्य सीमा पर तुरंत हिंसा रोकना, विस्थापित लोगों को अपने घर लौटने देना और भविष्य में कूटनीतिक प्रयासों से स्थायी समाधान प्राप्त करना था।  
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कांगो में रवांडा समर्थित विद्रोही - फोटो : यूएन
कांगो–रवांडा शांति समझौता
इस साल लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी) और रवांडा के बीच भी शांति समझौता हुआ, जिसका उद्देश्य पूर्वी कांगो में दशकों से जारी संघर्ष और हिंसा को रोकना था। लंबे समय से एम23 नाम के विद्रोही गुट ने पूर्वी कांगो के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था, जिससे वहां पर लाखों लोग विस्थापित हुए और भारी मानवीय संकट पैदा हुआ। एम23 को रवांडा का समर्थन होने का आरोप था। इसी बीच दोनों देशों के नेताओं ने संघर्ष को समाप्त करने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए बातचीत शुरू की, जिसमें अमेरिका और कतर जैसे मध्यस्थों की भूमिका रही। इन वार्ताओं के परिणामस्वरूप 27 जून 2025 को वॉशिंगटन में एक औपचारिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे वॉशिंगटन एकॉर्ड्स फॉर पीस एंड प्रॉस्पेरिटी कहा गया। समझौते के मुख्य बिंदुओं में रवांडा की सेनाओं की पूर्वी कांगो से निकासी, डीआरसी का कुछ मिलिशिया समूहों का समर्थन समाप्त करना और दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और क्षेत्रीय सहयोग स्थापित करना शामिल था। 

हालांकि इस समझौते ने औपचारिक रूप से युद्ध रोकने की कोशिश की, इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण रहा। कुछ शर्तें पूरी नहीं हो पाईं। इसके बाद चार दिसंबर 2025 को उसी समझौते को दोनों राष्ट्राध्यक्षों (कांगो के फेलिक्स त्शिसेकेदी और रवांडा के पॉल कगामे) ने एक औपचारिक समारोह में फिर से पुष्टि की ताकि शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। 
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