Horror Story Audio

प्रेत लोक

Specials

अमर उजाला आवाज में सुनिए प्रेतलोक...कहानी दहशत की

Pret lok: भूतिया मकान

1.0x
  • 1.5x
  • 1.25x
  • 1.0x
10
10
X

सभी 67 एपिसोड

प्रियंका

8 June 202310 mins 19 secs

Pret lok: भूतिया मकान

प्रियंका आज काफी थकी हुई थी, एक तो पूरे दिन शिफ्टिंग का काम ऊपर से किराये को लेकर नए मकान मालिक से बहस. भला अंतिम समय में कोई मकान मालिक किराया बढ़ाने की बात करता है क्या? चलो फिर भी इतना ढूंढने के बाद शहर में एक अच्छा और किफायती मकान तो मिला... यही सोचते हुए प्रियंका बाथरूम में नहाने चली जाती है. शॉवर चालू कर ठंडे पानी में पूरे दिन की थकान उतारती प्रियंका न जाने क्यों धीरे धीरे 80 के दशक के गानों को गुनगुने लगती है... वैसे तो प्रियंका काफी मॉडर्न, एडवांस और एनरजेटिक लड़की है, लेकिन आज उसका मन एक दम शांत और थोड़ा उदासी भरा था. शायद घर से अभी अभी लौटने का गम उसके दिल के किसी छोर में दबा बैठा था...

एंजेलिका

6 June 20235 mins 6 secs

Pretlok : पागलखाना

देर रात एंजेलिका और राजू पागलखाने पहुंच गए. अंदर दाखिल होते ही एंजेलिका बड़ा खौफ महसूस करने लगी थी. अंदर का माहौल किसी जेल नुमा था. पागल कैद में थे, आधी रात भी उन्हें चैन नहीं था, पूरा पागलखाना चीख से गूंज रहा था...
 

एक रोज़ जब आदित्य स्कूल से लौटकर घर आया, तो अपने बिस्तर पर बैठे आराम से फोन चला रहा था, कि तभी उसे एक नोटिफिकेशन आया. इस नोटिफिकेशन में लिखा था murder mystery.com welcomes you, यानी मर्डन मिस्ट्री में आपका स्वागत है... 

शौर्य ने दादी से कहा कि उसे अकेले सोने की आदत है और फिर वो अपने कमरे में जाने लगा. जाते-जाते दादी ने

30 May 20236 mins 26 secs

Pretlok : सती पूजा

शौर्य ने दादी से कहा कि उसे अकेले सोने की आदत है और फिर वो अपने कमरे में जाने लगा. जाते-जाते दादी ने उससे कहा-अच्छा सुनो, अगर रात में मैं या फिर कोई भी और तुम्हें पुकारे तो उस आवाज़ को बिलकुल नज़रअंदाज़ कर देना. उनके या मेरे पास आने की कोई जरुरत नहीं है...

जब प्रदीप नदी के किनारे उस मशाल के पास पहुंचता है, तो देखता है कि वहां कोई मशाल नहीं बल्कि एक जिंदा युवक की चिता जलाई जा रही थी. इस मंजर से ज्यादा खौफनाक था उस चिता के आस-पास तालियां पीटते और जोर-जोर चीखते 10-20 किन्नर. ये एक-एक करके प्रकट होते जा रहे थे...

घड़ी में करीब 2:30 बज रहे थे. बेहद खामोशी भरा मंजर था. पूरा अस्पताल चुप्पी की ज़द में कैद था कि तभी अचानक एक रिक्शा अस्पताल के गेट पर आकर रुका. एक अनजान सा आदमी किसी औरत को सहारा देते हुए अस्पताल के अंदर दाखिल हुआ...

आरव ने देखा कि उन सलाखों पर एक ताला लटका हुआ है, जो लाल कपड़े में कैद है. आरव उसे तोड़ने में लग गया, दर्श ने उसे मना किया, मगर तबतक ताला टूट चुका था.अब आरव ने कपड़ा हटाया और अचानक से एक जोरदार आवाज़ उन्हें सुनाई दी...

रात के करीब 2 बजे अचानक रागिनी की आंखे खुली, उसने महसूस किया कि कमरे की खिड़की खुली है, लिहाज़ा वो कमरे की खिड़की बंद करने को उठी, तभी उसकी नज़र सामने मौजूद पेड़ों के झुंड पर पड़ी, जहां एक औरत नुमा परछाई एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उछलती नज़र आ रही थी...
 

हकीकत तो यह थी कि इंतज़ार तो मिस्टर आशीष राणे भी कर रहे थे, लेकिन अपनी रिहाई का. पंकज की नज़रें अब भी जवाब तलाश रही थी, लेकिन स्कूल में अचानक पसरा सन्नाटा अशांत कर रहा था, यह वो मंज़र था जब नौ साल का पंकज, बेचैनी, खौफ, दहशत या फिर किसी भी तरह के डर से सही मायने में वाकिफ नहीं था...

स्मिता और राकेश का अपने नए फ्लैट में पहला दिन था. दोनों खुश थे कि आखिरकार उन्होंने अपने सपनों का घर खरीद लिया. दिनभर की साफ-सफाई और सामान लगाने के बाद दोनों थककर चूर हो चुके थे और कब उनकी आंख लग गई पता ही नहीं चला..दोनों फर्श पर ही एक चटाई पर सो गए...तभी रात 10 बजे उनके फ्लैट की बेल बजती है. बेल की आवाज सुनकर स्मिता राकेश को जगाती है और कहती है- इतनी रात को कौन हो सकता है...हम तो यहां किसी को जानते भी नहीं...ठहरो मैं देखता हूं...

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
X
Jobs

सभी नौकरियों के बारे में जानने के लिए अभी डाउनलोड करें अमर उजाला ऐप

Download App Now

अपना शहर चुनें और लगातार ताजा
खबरों से जुडे रहें

एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed

Reactions (0)

अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं

अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें