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Amritsar: भिंडरांवाला के परिवार का अमृतपाल सिंह से किनारा, जसबीर सिंह बोले-हमारा कोई लेना देना नहीं

संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब) Published by: ajay kumar Updated Tue, 04 Oct 2022 12:56 PM IST
सार

श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई जरनैल सिंह रोडे ने कहा कि खालिस्तान अमृतपाल का अपना और उसकी जत्थेबंदी का एजेंडा हो सकता है। भिंडरांवाला परिवार इससे इत्तफाक नहीं रखता।

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Bhindranwalas family is also on the edge of Amritpal Jasbir Singh said we have nothing to do
अमृतपाल सिंह - फोटो : फाइल
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दमदमी टकसाल के मुखी रहे संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला के भतीजे जसबीर सिंह रोडे ने भी वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के मुखी अमृतपाल सिंह से किनारा कर लिया है। जसबीर सिंह ने कहा कि अमृतपाल सिंह की विचारधारा से उनका कोई लेना देना नहीं है। अमृतपाल भिंडरांवाला की जगह नहीं ले सकता। वो एक अलग शख्सियत थे। उन्होंने कभी भी खालिस्तान बनाने की मांग नहीं की थी।

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श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई जरनैल सिंह रोडे ने कहा कि खालिस्तान अमृतपाल का अपना और उसकी जत्थेबंदी का एजेंडा हो सकता है। भिंडरांवाला परिवार इससे इत्तफाक नहीं रखता। उन्होंने कहा कि अमृतपाल यदि सिख धर्म के प्रचार प्रसार या अमृतपान की मुहिम चलाता है तो हम उसका साथ देंगे, लेकिन अलग खालिस्तान या राज्य की मांग का वह समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा कि संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला ने भी कभी खालिस्तान की मांग नहीं की थी। वे हमेशा ही आनंदपुर साहिब मत्ते को लागू करने की मांग करते थे। इसके तहत राज्यों को अधिकार दिए जाने की वकालत थी, उसमें खालिस्तान की कोई बात नहीं थी। 
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रोडे ने कहा कि कई सिविल, पुलिस और सेना के अधिकारी संत जरनैल सिंह से मिलने आते थे और लंबी चर्चाएं करते थे। जब केंद्र ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव की मुख्य 14 मांगों के प्रति कोई भी गंभीरता और सार्थक पहुंच नहीं दिखाई तो मामला बिगड़ गया। हरिमंदिर साहिब व श्री अकाल तख्त साहिब पर सैन्य कार्रवाई के बाद माहौल खालिस्तान की तरफ मुड़ गया। उन्होंने कहा कि संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला ने कभी भी खालिस्तान की बात नहीं की थी। वे यही चाहते थे कि सिखों को आजादी से अपने धार्मिक कार्यक्रम मनाने की छूट हो। आज भी अगर केंद्र सरकार सिखों की मांगों को स्वीकार करे तो कोई भी विवाद नहीं रह जाएगा। जेलों में बंद सिख कैदियों को रिहा कर देना चाहिए, जो कैदी सजाएं पूरी कर चुके हैं।

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