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अमृतसर में लगेंगी 65 सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत की गई शुरुआत, 41 सरकारी स्कूलों को भी मिलेगा फायदा

Punjab Bureau पंजाब ब्‍यूरो
Updated Wed, 07 Oct 2020 06:09 PM IST
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sanitary napkin vending machines Amritsar started under Smart City Mission government schools benefit
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स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर के विभिन्न स्थानों पर 65 सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें और 85 इंसीनरेटर लगाए जा रहे हैं। इन मशीनों को लगाने में 58 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। मशीन से एक सेनेटरी पैड पांच रुपये में और तीन 10 रुपये में लिए जा सकते हैं। योजना के तहत 41 सरकारी स्कूलों में भी 45 वेंडिंग मशीनें और 65 इंसीनरेटर लगाए जाएंगे। स्मार्ट सिटी मिशन की सीईओ और निगम कमिश्नर कोमल मित्तल ने बताया कि पैड्स की कीमत बाजार में मिलने वाले पैड्स से कम रखी गई है। यह सुविधा महिलाओं को 24 घंटे मिलेगी। अब तक 31 मशीनें और 38 इंसीनरेटर लगाए जा चुके हैं। बाकी का काम 15 दिन में पूरा कर लिया जाएगा। मशीनाें का रखरखाव कांट्रेक्टर अगले पांच साल तक करेगा।
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इन स्थानों पर लगाई जाएंगी मशीनें
जानकारी के अनुसार अमृतसर के 20 सबसे व्यस्त इलाकों गेट हकिमांवाला, गेट भगतांवाला, आईडीएच मार्केट, एसआई ऑफिस, रणजीत एवेन्यू बी ब्लॉक मार्केट, स्लम एरिया हिंदुस्तान बस्ती, गोलबाग पीबीएन स्कूल, कबीर पार्क मार्केट, कैरों मार्केट हॉल बाजार, सिंकदरी गेट पॉवर हाउस, ढाब खटिकां, लाहौरी गेट, धर्मसिंह मार्केट, रामबाग पुलिस स्टेशन, घी मंडी, संगला वाला अखाड़ा, माई सेवा वाला बाजार, गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब राय, आटा मंडी चौक, पापड़ा वाला बाजार और काठियांवाला बाजार में स्थित सार्वजनिक शौचालय में इन मशीनों को लगाया जाएगा।
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देश में 36 प्रतिशत महिलाएं ही करतीं हैं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल
सीईओ ने बताया कि महिलाएं मासिक दिक्कतों से जुड़ी परेशानियों को खुलकर साझा नहीं कर पाती हैं। आमतौर पर घरेलू उपायों का प्रयोग कर वे इन परेशानियों को सुलझाने की कोशिश करती हैं। इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए इस तरह की मशीनों को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जा रहा है। अब लड़कियों को मासिक दिक्कतों के कारण स्कूल नहीं छोड़ना पड़ेगा। योजना को शहर के हर तबके को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। सर्वे के मुताबिक देश में सिर्फ 36 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं। वहीं हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां मासिक धर्म शुरू होने के बाद स्कूल जाना छोड़ देती हैं।
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