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Firozpur: 2023 में बाढ़ से नुकसान, फिर ऑपरेशन सिंदूर में छोड़ना पड़ा था घर... इस बार बर्बाद ही हो गए
अनिल कुमार, संवाद, फिरोजपुर (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 13 Sep 2025 10:38 AM IST
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सार
सीमावर्ती गांव चांदी वाला निवासी लखविंदर सिंह ने बताया कि सतलुज दरिया में आई बाढ़ से लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। पहले लोगों को 2023 की बाढ़ में नुकसान उठाना पड़ा। उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लोगों को घर छोड़ना पड़ा।

अपनी व्यथा सुनाता किसान
- फोटो : संवाद
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विस्तार
फिरोजपुर के बाढ़ प्रभावित गांवों में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें दोबारा जिंदगी शुरू करने के लिए किसी के सहारे की जरूरत है। लोग बुरी तरह टूट चुके हैं। बाढ़ का पानी घटने के बाद लोगों में बीमारी फैलने का डर है। अब बाढ़ प्रभावित गांवों में मृत जानवरों की बदबू फैलने लगी है।
सीमावर्ती गांव चांदी वाला निवासी लखविंदर सिंह ने बताया कि सतलुज दरिया में आई बाढ़ से लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। पहले लोगों को 2023 की बाढ़ में नुकसान उठाना पड़ा। उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लोगों को घर छोड़ना पड़ा। उस समय भी लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। अब बाढ़ ने उन्हें बर्बाद कर दिया है।
अब दोबारा से जिंदगी जीने के लिए किसी के सहारे की जरूरत है। उनके पास फसलें तक नहीं बची जिसे बेचकर अपनी जिंदगी दोबारा से शुरू कर सकें। अपने टूटे हुए घरों की मरम्मत कर सकें। दुधारू पशु भी मर चुके हैं। अब तो उनकी जिंदगी बिल्कुल ही थम सी गई है।
किलचे निवासी सरपंच बोहड़ सिंह का कहना है कि उनकी कई एकड़ जमीन दरिया में समा गई है। अभी भी जमीन दरिया में समाने का खतरा है। अब उनकी जिंदगी में कुछ नहीं रह गया। जमीन से ही किसान का जीवन चलता है। सरपंच ने जिला प्रशासन और सरकार से मांग की है कि दरिया के किनारे मजबूत करें नहीं तो जमीन दरिया में समा जाएगी। गांव किलचे, बस्ती गणेशके, फत्तेह वाला व रूकने में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है।

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सीमावर्ती गांव चांदी वाला निवासी लखविंदर सिंह ने बताया कि सतलुज दरिया में आई बाढ़ से लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। पहले लोगों को 2023 की बाढ़ में नुकसान उठाना पड़ा। उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लोगों को घर छोड़ना पड़ा। उस समय भी लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। अब बाढ़ ने उन्हें बर्बाद कर दिया है।
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अब दोबारा से जिंदगी जीने के लिए किसी के सहारे की जरूरत है। उनके पास फसलें तक नहीं बची जिसे बेचकर अपनी जिंदगी दोबारा से शुरू कर सकें। अपने टूटे हुए घरों की मरम्मत कर सकें। दुधारू पशु भी मर चुके हैं। अब तो उनकी जिंदगी बिल्कुल ही थम सी गई है।
किलचे निवासी सरपंच बोहड़ सिंह का कहना है कि उनकी कई एकड़ जमीन दरिया में समा गई है। अभी भी जमीन दरिया में समाने का खतरा है। अब उनकी जिंदगी में कुछ नहीं रह गया। जमीन से ही किसान का जीवन चलता है। सरपंच ने जिला प्रशासन और सरकार से मांग की है कि दरिया के किनारे मजबूत करें नहीं तो जमीन दरिया में समा जाएगी। गांव किलचे, बस्ती गणेशके, फत्तेह वाला व रूकने में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है।