पंजाब में शिशु मृत्यु दर नहीं हो रही कम: प्रति 1000 बच्चों में 19 की मौत, ग्रामीण इलाके अधिक प्रभावित
पंजाब में ओवरऑल शिशु मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 में यह दर 18 थी, वहीं अब नई रिपोर्ट में भी यह दर कायम है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक हजार पर 19 बच्चों की मौत हो रही है।

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पंजाब में शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही है। खासकर ग्रामीण इलाके अधिक प्रभावित हैं। एक हजार में से 19 बच्चे जान गंवा रहे हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर जहां शिशु मृत्यु दर में कमी आ रही है, वहीं राज्य में सिर्फ शहरी इलाकों में ही मामूली सुधार देखने को मिला है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
शिशु मृत्यु दर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मौतों की संख्या है। इस मृत्यु दर के बढ़ने के कई कारण होते हैं। इनमें समय से पहले प्रसव, जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, संक्रमण और प्रसवपूर्व देखभाल की कमी है। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता की कमी, कुपोषण और दस्त रोग भी शिशु मृत्यु दर के प्रमुख कारण हैं। अगर राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो ओवरऑल के साथ शहरी और ग्रामीण शिशु मृत्यु दर में भी कमी देखने को मिली है।
वर्ष 2020 में जहां हर एक हजार में से 28 बच्चों की मौत हो रही थी, वहीं अब यह कम होकर 27 हो गई है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में यह दर 31 से कम होकर 30 और शहरी क्षेत्रों में 19 से कम होकर 18 हो गई है। पिछली रिपोर्ट वर्ष 2022 जारी हुई थी, जबकि अब 2025 में यह रिपोर्ट जारी की गई है।
इसी तरह अगर पंजाब की बात की जाए तो प्रदेश में ओवरऑल शिशु मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 में यह दर 18 थी, वहीं अब नई रिपोर्ट में भी यह दर कायम है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक हजार पर 19 बच्चों की मौत हो रही है। इस तरह इसमें भी कोई कमी नहीं आई। केवल शहरी क्षेत्रों में ही थोड़ा सुधार देखने को मिला है। शहरी इलाकों में जहां पहले 17 बच्चे अपनी जान गंवा रहे थे, वहीं अब यह दर कम होकर 16 हो गई है।
ग्रामीण क्षेत्र अधिक प्रभावित
शिशु मृत्यु दर से ग्रामीण इलाके अधिक प्रभावित हैं। गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी इसका प्रमुख कारण है। पंजाब में भी ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। सरकार डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए कई प्रयास कर रही है। स्वास्थ्य विभाग पंजाब में 553 हाउस सर्जन की भर्ती कर रहा है। इसी के तहत पहली बार 255 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जिला, सब डिवीजनल अस्पतालों और कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की गई है। पीजी कोर्स जॉइन करने के बॉन्ड सरकार सख्ती से लागू कर रही है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रसवपूर्व देखभाल में सुधार, कुपोषण को कम करना, स्वच्छता में सुधार और संक्रमण को रोकने के लिए उपाय करने होंगे।
शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है। मां और बच्चे दोनों में ही पोषण को महत्व देने की जरूरत है। केंद्र व राज्य सरकारें इसी के चलते पोषण अभियान चल रही हैं। स्वच्छता, प्रसवपूर्व देखभाल की कमी और संक्रमण भी इसका प्रमुख कारण है। -डॉ. संजीव भाटिया, बाल रोग विशेषज्ञ