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DSP पर गिरेगी गाज: खरड़ सीआईए थाने में पांच माह रुका था लॉरेंस, एसएसपी की सीधी भूमिका नहीं, DGP ने दिया जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Mon, 16 Dec 2024 10:32 PM IST
सार
लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में हुए इंटरव्यू मामले में सोमवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। पंजाब के डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि लॉरेंस खरड़ सीआईए परिसर में जांच माह तक रुका था।
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lawrence bishnoi
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में हुए इंटरव्यू के मामले में निलंबित डीएसपी गुरशेर सिंह पर गाज गिरने जा रही है। पंजाब सरकार ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि सीएम ने उन्हें बर्खास्त करने की मंजूरी दे दी है। पंजाब लोक सेवा आयोग को फाइल भेज दी गई है और अब आयोग इस पर फैसला लेगा। पंजाब के डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि लॉरेंस खरड़ सीआईए परिसर में जांच माह तक रुका था। पंजाब सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है।
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सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी से पूछा कि आखिर किस जांच के आधार पर उन्होंने इंटरव्यू पंजाब में नहीं होने की बात कही थी। डीजीपी ने जल्दी में क्यों पंजाब की जेलों को क्लीन चिट दी, जबकि जेलों का अधिकार उनके पास नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई गलती हुई है, तो मान लेनी चाहिए। पुलिस महानिदेशक ने अपने हलफनामे में कहा कि यह बयान जेल विभाग के अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर दिया गया है, जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे।
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हाईकोर्ट ने कहा कि सीआईए स्टाफ खरड़ थाना परिसर में इंटरव्यू करने का तथ्य, जेल परिसर में इस तरह के इंटरव्यू से भी बदतर है। डीजीपी के हलफनामे से यह स्पष्ट है कि लॉरेंस पांच महीने सीआईए स्टाफ खरड़ में था और केवल दो महीने से कम अवधि के लिए बठिंडा जेल में था। हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर क्यों बार-बार उसका रिमांड मांगा गया।
हलफनामा संतोषजनक नहीं, दोबारा दाखिल करने के आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीपी का हलफनामा संतोषजनक नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे पंजाब की जेलों के बारे में अधिक चिंतित हैं, हालांकि जेल विभाग उनके अधीन नहीं है। उन्हें यह पूछना चाहिए था कि क्या इंटरव्यू उस समय किया गया था, जब अपराधी पुलिस हिरासत में था, क्योंकि पंजाब की जेलों में अपराधी की हिरासत की अवधि न्यायिक हिरासत में बिताए गए समय से अधिक थी। डीजीपी यह स्पष्ट करें कि उन्होंने इस तथ्य पर विचार क्यों नहीं किया कि उक्त अपराधी लंबे समय तक सीआईए स्टाफ, खरड़ के परिसर में बंद था और क्या इंटरव्यू उसी परिसर में किया गया था। हाईकोर्ट ने उन्हें एक और मौका देते हुए दोबारा हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीपी का हलफनामा संतोषजनक नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे पंजाब की जेलों के बारे में अधिक चिंतित हैं, हालांकि जेल विभाग उनके अधीन नहीं है। उन्हें यह पूछना चाहिए था कि क्या इंटरव्यू उस समय किया गया था, जब अपराधी पुलिस हिरासत में था, क्योंकि पंजाब की जेलों में अपराधी की हिरासत की अवधि न्यायिक हिरासत में बिताए गए समय से अधिक थी। डीजीपी यह स्पष्ट करें कि उन्होंने इस तथ्य पर विचार क्यों नहीं किया कि उक्त अपराधी लंबे समय तक सीआईए स्टाफ, खरड़ के परिसर में बंद था और क्या इंटरव्यू उसी परिसर में किया गया था। हाईकोर्ट ने उन्हें एक और मौका देते हुए दोबारा हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया है।
इंटरव्यू में एसएसपी की सीधी भूमिका नहीं
कोर्ट ने कहा कि एसएसपी को निलंबित क्यों नहीं किया गया, इस पर एडवोकेट जनरल ने बताया कि एसआईटी की रिपोर्ट में एसएसपी की सीधी भूमिका नहीं मिली है। हांलाकि उन्हें व एक एसपी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। फरवरी तक सभी 13 संवेदनशील जेल होंगी सीवसीटीवी की निगरानी में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि कैदी अपनों से बात कर सकें, इसके लिए 17 जेलों में कुल 467 मशीनें और 620 स्टैंड लगाए गए हैं। तेरह संवेदनशील जेलों में से सात में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और छह और जेलों में भी कैमरे लगाए जाएंगे। यह प्रक्रिया फरवरी तक पूरी कर ली जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि एसएसपी को निलंबित क्यों नहीं किया गया, इस पर एडवोकेट जनरल ने बताया कि एसआईटी की रिपोर्ट में एसएसपी की सीधी भूमिका नहीं मिली है। हांलाकि उन्हें व एक एसपी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। फरवरी तक सभी 13 संवेदनशील जेल होंगी सीवसीटीवी की निगरानी में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि कैदी अपनों से बात कर सकें, इसके लिए 17 जेलों में कुल 467 मशीनें और 620 स्टैंड लगाए गए हैं। तेरह संवेदनशील जेलों में से सात में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और छह और जेलों में भी कैमरे लगाए जाएंगे। यह प्रक्रिया फरवरी तक पूरी कर ली जाएगा।